Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

पाकिस्तान, बांग्लादेश ,बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि को मिलाकर बनता है अखंड भारत

प्रो. कुसुमलता केडिया (लेखिका धर्मपाल शोधपीठ, भोपाल की निदेशक हैं।) यह आज हमें पता है कि भारत का वर्तमान स्वरूप 15 अगस्त 1947 की देन है। आज अखंड भारत की कल्पना में हम केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ते हैं। परंतु हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि भी भारत के ही […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

सर्वश्रेष्ठ रही है विश्व में भारत की सैन्य परंपरा

राजबहादुर शर्मा [लेखक से.नि. ब्रिगेडियर और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ हैं।] भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी सामाजिक संस्कृति है। वायुपुराण में भरत की कहानी आती है जो कि आधुनिक इतिहासकारों की समझ से परे है। पिछले हजारों वर्षों में स्थानीय और विदेशियों द्वारा बड़ी संख्या में रचे गए साहित्य, पुरातात्विक प्रमाणों और मजबूत मौखिक […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान का जनक है ‘आयुर्वेद’

प्रो. राकेश उपाध्याय ईसा पूर्व 800-900 साल पहले की बात है। यानी आज से करीब 2900 साल पहले की यह प्रमाणिक गाथा है। आज का चिकित्सा विज्ञान तब यूरोप और संसार के अन्य हिस्सों में किस रूप में थी, यह शोध का विषय है, किन्तु भारत में आयुर्वेद की चिकित्सा प्रणाली किस रूप में मौजूद […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत में ज्योतिष के विद्वानों की लम्बी परम्परा में वराहमिहिर का स्थान आकाश में उदित होने वाले ज्योतिष्मान् नक्षत्र की भांति

सुद्युम्न आचार्य वराहमिहिर ने पृथ्वी सहित ग्रहों का सही परिभ्रमण काल की सटीक गणना प्रस्तुत की है। इस देश में प्राचीन काल से ज्योतिष के विद्वानों का अत्यधिक सम्मान रहा है। वेद की एक सूक्ति में कहा है- प्रज्ञानाय नक्षत्रदर्शम् (यजुर्वेद 30.10) अर्थात् सबसे बढिय़ा विज्ञान, सबसे अच्छी प्रतिभा प्राप्त करनी हो तो ‘नक्षत्रदर्श’ के […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

भारत के विज्ञान का लोहा संपूर्ण विश्व ने माना

प्रो. रामेश्वर मिश्र पंकज भारत पर अंग्रेजों की असली जीत 14 एवं 15 अगस्त 1947 ईस्वी को हुई, क्योंकि उस दिन पहली बार वे भारत में एक ऐसे उत्तराधिकारी समूह को अपनी सत्ता सौंप कर जाने में सफल हुये जो उनसे कई गुना बढ़कर अंग्रेजों का भक्त था और जो प्रत्येक भारतीय सत्य और तथ्य […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

रामायण , श्री राम और पर्यावरण , भाग – 4

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्श चरित्र , व्यक्तित्व और कार्यशैली पर एक महत्वपूर्ण लेख माला _____________________________ आदि कवि महर्षि वाल्मीकि ने रामायण के अरण्य कांड मैं श्री राम के वनवास के दौरान घटित घटनाओं को बहुत ही सुंदरता से वृक्षों ऋतु चक्र के माध्यम से चित्रित किया है| मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने 14 वर्ष […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

आर्य समाज सत्य के प्रचार और असत्य को छुड़ाने का एक सार्वभौमिक आंदोलन है

ओ३म् =========== आर्यसमाज विश्व का ऐसा एक अपूर्व संगठन है जो किसी मनुष्य व महापुरुष द्वारा प्रचारित मत का प्रचार नहीं करता अपितु सृष्टि में विद्यमान सत्य की खोज कर सत्य का स्वयं ग्रहण करता व उसके प्रचार द्वारा विश्व के सभी मनुष्यों से उसे अपनाने, ग्रहण व धारण करने का आग्रह करता है। ऋषि […]

Categories
आओ कुछ जाने विश्वगुरू के रूप में भारत

महर्षि कणाद महान है डाल्टन व न्यूटन नहीं

भारत का वैदिक ज्ञान हीं है ज्ञान विज्ञान की जननी संकलन अश्विनी कुमार तिवारी न्यूटन के आगे सेब गिरा फिर उनके लिये सब यूरेका यूरेका हो गया। ऐसे ही एक बार महर्षि कणाद (लगभग छठी सदी ईसापूर्व) किसी फल को ले कर कुछ सोचते-विचारते जंगल में भटक रहे थे। गंभीर चिंतन में थे इसलिये नाखून […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

विश्व हिंदू परिषद के 56 वर्ष

विश्व हिन्दू परिषद के स्थापना दिवस पर विशेष -विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता-विहिप स्वतंत्रता के पश्चात सेक्युलर वाद के नाम पर हिन्दू समाज के साथ बढ़ते अन्याय तथा ईसाईयों व मुसलमानों के तुष्टिकरण के बीच 1957 में आई नियोगी कमीशन की आँखें खोल देने वाली रिपोर्ट ने हिन्दू समाज के कर्णधारों की नींद उड़ा दी. रिपोर्ट […]

Categories
विश्वगुरू के रूप में भारत

विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय महर्षि दयानंद और आर्य समाज को है

ओ३म् —————— पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास तथा पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में वृद्धि हुई है। आश्चर्य होता है […]

Exit mobile version