नौ दिन कन्या पूजकर, सब जाते है भूल देवी के नवरात्र तब, लगते सभी फिजूल क्या हमारा समाज देवी की लिंग-संवेदनशील समझ के लिए तैयार है? नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता […]
श्रेणी: समाज
भोपाल, मप्र आज के परिवेश में यदि कोई कहता है कि कम शिक्षित या अशिक्षित महिलाएं घर की चारदीवारी तक ही सीमित हैं, तो वह गलत हैं, क्योंकि महिलाएं घर के कामकाज के साथ साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभा रही हैं. खासकर उन महिलाओं का इस ओर बढ़ना उत्साह पैदा करता है जो […]
प्रह्लाद सबनानी गृहणियों के कामकाज का आकलन कर उनके योगदान को भी सकल घरेलू उत्पाद में शामिल करना चाहिए भारतीय अर्थशास्त्रियों द्वारा जैसी कि उम्मीद की जा रही थी एवं भारतीय रिजर्व बैंक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था सम्बंधी अपने आंकलन में जो सम्भावना व्यक्त की थी, उसी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 की तृतीय तिमाही, […]
मंजू धपोला कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंड दो साल पहले मध्य प्रदेश के रतलाम से आई एक तस्वीर ने लोगों को चौंका दिया था. जहां एक दलित समुदाय के दूल्हे को हेलमेट पहनकर घोड़ी पर चढ़ना पड़ा था, क्योंकि गांव के सवर्ण लोग नहीं चाहते थे कि वह घोड़ी पर चढ़े. पहले तो उसकी घोड़ी छीन ली […]
______________💊💉🍺🍻🍻🍺🍻🍺🍸🍺🍻🍻🍸🍺🍻 आर्य सागर खारी🖋️ शराब के प्रचार प्रसार के… अनेक अनैतिक कार्यों में फंसती जा रही जनता का उद्घार कैसे होगा?। भारतीय आनबान और शान की गौरवमयी संसकृति वैदिक परम्पराओं के अनुरूप आदर्श मर्यादाओं में कैसे सुरक्षित रह पायेगी?। प्रश्न पहले ही शराब, चरस, तम्बाकू और ध्रूमपान जैसी लत और दुर्व्यसन कैई परिवार बरबाद। आंकड़े […]
✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी एक तरफ एम पी कैडर के आई ए एस नियाज़ खान जैसे कुछ प्रबुद्ध अधिकारी ब्राह्मण के आई क्यू की प्रशंसा कर रहे है । ब्रह्मण की सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की सराहना कर रहे हैं,वही देश में बहुत बड़ा वर्ग ब्राह्मण के गुणों को नजरंदाज करते हुए […]
रूबी सरकार भोपाल, मप्र भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पीने और अन्य कार्यों के लिए पानी जुटाने का जिम्मा घर की महिला सदस्यों पर है, जबकि उसका इस्तेमाल पुरुष भी करते हैं. पानी चाहे जितनी दूर से लाना पड़े, 7 महीने की गर्भवती, हो या बीमार महिला, चाहे किशोरियों की स्कूल छूट जाए फिर भी […]
सिमरन कुमारी मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार दहेज एक ऐसी कुप्रथा है जिससे लड़कियों की मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ता है. कहते हैं देश बदल रहा है, समाज बदल रहा है, नित्य तरक्की के नए-नए प्रतिमान गढ़े जा रहे हैं, बड़े-बड़े स्लोगन, भाषण और संगोष्ठियां आयोजित हो रही हैं. लेकिन क्या जमीन पर ऐसा दिखता है? क्या […]
निशा गढ़िया कपकोट, उत्तराखंड बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार का सख्त फैसला इस वक़्त देश और दुनिया में सुर्खियां बनी हुई है. यह शायद पहला मौका है जब किसी राज्य सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ न केवल सख्ती की है बल्कि एक्शन भी लिया है. अब तक करीब तीन हज़ार से अधिक […]
रेखा कुमारी मुजफ्फरपुर, बिहार भारत की आधी आबादी का अस्तित्व आज भी खतरे में है. सदियों से वह हिंसा के विभिन्न रूपों का सामना करती रही है. वक्त बदल गया, लेकिन उसके साथ होने वाली हिंसा ख़त्म नहीं हुई. कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, घरेलू हिंसा और आये दिन उसे छेड़छाड़ आदि का शिकार बनना […]