बहुरूपिये और प्रत्यारोपित हिन्दू नेताओं से सावधान आचार्य श्री विष्णुगुप्त आज मुझे एक हिन्दू एक्टविस्टों की बैठक में जाने का अवसर मिला। मैं यह देख कर दंग रह गया कि आज हिन्दुओं की जागरूकता को भटकाने के लिए नये-नये नेता और आईकॉन बन गये हैं। अपने हवाहवाई तर्को और बहुत ही खारिज बातों से चमत्कृत […]
श्रेणी: भयानक राजनीतिक षडयंत्र
दूसरा गाल आगे करने से भीख मिलती है, आज़ादी नहीं’, फोटो साभार: फेसबुक/Gettyमहात्मा गाँधी के जिस अधखुले इतिहास से कंगना रनौत द्वारा धूल हटाने से गाँधी के अंधभक्तों के पेट में मरोड़ होनी स्वाभाविक है। ये वही महात्मा गाँधी है, जो देश में तुष्टिकरण का जनक है। कंगना को अपमानित करने से पूर्व गाँधी अंधभक्तों […]
राजीव रंजन प्रसाद ऐतिहासिक उपन्यासों की परम्परा में अनेक नाम देदीप्यमान हैं लेकिन कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनकी रचनाओं को जनप्रियता तो प्राप्त हुई तथापि उनका समुचित मूल्यांकन नहीं हुआ। वाद और पंथ की बेडिय़ों ने समालोचकों को अनेक साहित्यिक नाम प्रतिमान की तरह स्थापित करने के लिये प्रदान किये परंतु कतिपय लेखन ऐसा […]
– महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी और शिवसेना को संयुक्त रूप से वोट देकर एक हिंदू सरकार ही चुनी थी…. लेकिन ये बहुत दुखद विषय है कि मुख्यमंत्री पद के लिए यानी कुर्सी के लिए दोनों पार्टियों के बीच विवाद हुआ और विवाद इतना ज्यादा हो गया कि गठबंधन टूट गया… यानी हिंदू तो नहीं […]
डॉविवेकआर्य भारत जैसे बड़े देश में करोड़ों लोग वन क्षेत्र में सदियों से निवास करते है। कुछ लोग उन्हें आदिवासी कहते है क्योंकि उनका मानना है कि आदिकाल में सबसे प्रथम जनजाति इन्हीं के समान थी। कालांतर में लोग विकसित होकर शहरों में बसते गए जबकि आदिवासी वैसे के वैसे ही रहे। हम इसे भ्रान्ति […]
यह एक बड़ी विचित्र बात है कि जो इतिहासकार अकबर से पहले के मुस्लिम शासन को हिन्दुओं के लिए दुःस्वप्न मानने से साफ इंकार करते हैं, वही अकबर को उन्हीं हिन्दुओं के लिए सुंदर सुबह का अग्रदूत बताते हैं । वे बताते हैं कि कैसे अकबर ने तीर्थों पर टैक्स और जजिया टैक्स खत्म कर […]
श्रीश देवपुजारी विनायक शाह नाम के व्यक्ति ने सर्वोच्च न्यायालय मे याचिका दाखिल कर कहा है कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी-संस्कृत में प्रार्थना हो रही हैं, जो कि पूरी तरह असंवैधानिक हैं। याचिकाकर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के विरुद्ध बताते हुए कहा है कि इसकी अनुमति नहीं दी जा […]
राजीव चौधरी एक समय वो भी आया जब वामपंथ का समाजवाद का नशा कई देशों में फैला, राजतन्त्र के खिलाफ क्रांतियाँ हुई। किसान गरीब समाजवाद के पैरोकार बने वामपंथी कई देशों में सत्तासीन भी हुए क्यूबा भी एक देश था। प्रमुख कम्युनिष्ट नेता फ़िदेल कास्त्रो यहाँ के राष्ट्राध्यक्ष थे। बताया जाता है 1993 में फिदेल […]
रवि शंकर देश में एक बहस प्रारम्भ करने की कोशिश की गई है, किसका भारत चाहिए, गांधी का या भागवत का? मुझे लगता है कि एक बेमानी बहस बेईमान मानसिकता के साथ शुरू की जा रही है। भारत को बनाने की बात की जाती है तो जिन महापुरुषों के कारण आज भारत सनातन बना हुआ […]
जवाहर लाल कौल भारत को कैसे समझें, यह प्रश्न प्रायः पूछा जाता है। लेकिन इस विषय पर अनंत बहस चलने के बावजूद कोई सार्थक उत्तर नहीं मिल पाता। वास्तव में इस प्रश्न की आवश्यकता ही नहीं होती यदि हम यह जानने का प्रयास करते कि हम अब तक किन मापदण्डों से स्वयं को और अपनी […]