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इतिहास के पन्नों से

लाहौर की दो प्रमुख आर्य समाजें : आर्यसमाज अनारकली एवं आर्यसमाज वच्छोवाली

-स्व० विश्वनाथ पाकिस्तान बनने से पहले पंजाब की दो प्रमुख आर्यसमाजें थीं जहां से पंजाब ही नहीं, किसी सीमा तक देश भर के आर्यजगत् की गतिविधियों की कल्पना की जाती थी और उन्हें साकार किया जाता था। आर्यसमाज अनारकली आर्य प्रादेशिक सभा की प्रमुख समाज थी उसके प्रेरणा स्त्रोत महात्मा हंसराज जी थे। दूसरी थी- […]

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भारत की बौद्धिक संपदा का केंद्र था नालंदा विश्वविद्यालय

कुछ साल पहले बिहार गया. अचानक इच्छा हुई कि समय है तो क्यों ना नालन्दा विश्वविद्यालय के जले हुए अवशेषों को देखा जाए. पटना में नालन्दा का रास्ता पता किया. पता चला कि नालन्दा जाने के लिए पटना से बख्त्यारपुर की ट्रेन पकडनी पड़ेगी. आश्चर्य हुआ कि जिस बख्त्यार खिलजी ने 2000 बौद्ध भिक्षु अध्यापकों […]

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भारत की 563 रियासतों का भारत में विलय और सरदार पटेल

उगता भारत ब्यूरो भारत की आजादी के बाद सबसे बड़ी परेशानी सरकार के सामने देश में मौजूद विभिन्‍न रियासतों को देश में शामिल करना था। ये काम आसान भी था और मुश्किल भी। आसान इसलिए क्‍योंकि कुछ रियासतें खुद से भारत में शामिल होने की इच्‍छुक थीं तो कुछ इसके खिलाफ थीं। आजाद भारत में […]

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हैदराबाद में सैन्य कार्यवाही पर नेहरू से पटेल ने कही थी ऐसी दो टूक बात …..

जब हैदराबाद में सैन्‍य कार्रवाई पर पंडित नेहरू से बोले थे सरदार पटेल आप सो जाइये, मैं भी सोने जा रहा हूूं उगता भारत ब्यूरो सरदार पटेल को देश को एकजुट करने का श्रेय जाता है। इसमें हैदराबाद को भारत में मिलाने की कहानी बड़ी दिलचस्‍प है। टाइम मैग्‍जीन ने हैदराबाद के निजाम को एक […]

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आज भी होती है नेहरू की कश्मीर नीति की आलोचना

27 अक्टूबर को ही जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय हुआ था। इसकी 75वीं वर्षगांठ के मौके पर देश के कानून मंत्री किरन रिजिजू ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की कश्मीर नीति की आलोचना की है। उन्होंने एक लेख लिखकर नेहरू की पांच गलतियां गिनाई हैं। बकौल रिजिजू नेहरू की इन पांच गलतियों से कश्मीर […]

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आर्य संस्कृति के रक्षक गौतम आजीवन रहे थे हिंदू

( लेखक : डॉ० शंकर शरण ) ——————————————– हमारे अनेक बुद्धिजीवी एक भ्रांति के शिकार हैं, जो समझते हैं कि गौतम बुद्ध के साथ भारत में कोई नया ‘धर्म’ आरंभ हुआ। तथा यह पूर्ववर्ती हिन्दू धर्म के विरुद्ध ‘विद्रोह’ था। यह पूरी तरह कपोल-कल्पना है कि बुद्ध ने जाति-भेदों को तोड़ डाला, और किसी समता-मूलक […]

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आर्यसमाज का तप और भारत के स्वाधीनता आंदोलन में योगदान

आर्यसमाज का तप पराधीन भारत में अंग्रेज पादरियों और अधिकारियों की आर्यसमाज के अनुयायियों पर कू्रर दण्डात्मक दृष्टि थी। इसके लगभग 24 उदाहरण आर्यसमाज के विद्वान आचार्य पं. सत्यप्रिय शास्त्री, प्राचार्य, दयानन्द ब्राह्म महाविद्यालय, हिसार ने अपनी पुस्तक ‘भारतीय स्वातन्त्र्य संगाम में आर्यसमाज का योगदान’ में दिये हैं। वह पुस्तक के छठे अध्याय में लिखते […]

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शिवाजी से मिलने से पहले अपनी 64 बेगमों को कटवा दिया था अफजल खान ने

उगता भारत ब्यूरो भारतीय इतिहास विषमताओं से भरा हुआ है। मुगल शासन वैसे भी बर्बर और नारी का अपमान करने के लिए जाना जाता था। बहुत सी ऐसी घटनाएं हुईं हैं जिसमें मुगलों ने औरतों पर जुल्मों की इंतहा कर दी। एक मुगल शासक ऐसा हुआ जिसने युद्ध में जानें से पहले अपनी 64 बेगम […]

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जीटी रोड का महत्व और इतिहास

जीटी रोड किसने बनवाया था और जीटी रोड का पुराना नाम क्या है लव त्रिपाठी जिन शहरों से जीटी रोड होकर गुजरती है उनमें रहने वाले लोगों के मन में ये विचार जरुर आया होगा की जीटी रोड का निर्माण किसने करवाया और जीटी रोड का पुराना नाम क्या है? आईए जानते हैं जीटी रोड […]

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*क्या राम ने शबरी के झूठे बेर खाए*?

आर्य वैदिक संस्कृति नगर ,ग्राम प्रधान ना होकर वन प्रधान रही है।आर्यों के चार आश्रम में से तीन आश्रम ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ ,सन्यास वनों में ही केंद्रित आश्रित थे। हमारे पूर्वजों को खुला परिवेश वातावरण बहुत भाता था। नगर ग्रामों में रहने की छूट केवल ग्रहस्थ आश्रम को ही मिली हुई थी। भारत की दो तिहाई […]

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