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इतिहास के पन्नों से

25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच, भाग …3

नंद राजवंश भारतीय तिथि क्रम और वंशावलियों के अनुसार नंद वंश का शासन काल ई0 पूर्व 1664 से 1596 के मध्य माना गया है। पुराणों में इसे महापदम नंद कहा गया है। जिसने पांचवी चौथी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया था । नंद वंश की स्थापना महापदम नंद ने […]

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महाभारतकालीन भारत

महाभारत काल में भारत के अंदर 101 प्रसिद्घ क्षत्रिय राजवंश थे। इनमें 86 राजा मगध नरेश जरासंध ने पराजित कर जेल में डाल रखे थे। इन 101 राजवंशों के इतने ही महाजनपद (प्रांत या राज्य क्षेत्र) थे। इससे महाभारत (विशाल भारत) का निर्माण होता था। ये राजा किसी एक राजा से होने वाले दूसरे राजा […]

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इतिहास के पन्नों से

25 मानचित्र में भारत के इतिहास का सच, भाग ..1

जम्बू द्वीप जंबूद्वीप मैं कभी संपूर्ण यूरोप और एशिया सम्मिलित हुआ करते थे। पौराणिक भूगोल के वर्णन के अनुसार जम्बूद्वीप सप्तमहाद्वीपों में से एक है। विद्वानों की मान्यता के अनुसार यह पृथ्वी के केन्द्र में स्थित माना गया है। इसके नवखण्ड हैं, जिनके नाम ये हैं- इलावृत्त, भद्रास्व, किंपुरुष, भारत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरू और […]

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25 मानचित्रों में भारत के इतिहास का सच : भूमिका

भूमिका आर्यावर्त कालीन आर्य राजाओं की यह विशेषता रही कि वे भारतवर्ष की केंद्रीय सत्ता के प्रति सदैव निष्ठावान रहे । सुदूर प्रांतों में अलग स्वतंत्र राज्य होने के उपरांत भी केंद्र की सत्ता के प्रति वे अपनी आस्था को वैसे ही बनाए रहे जैसे एक पुत्र अपने पिता के प्रति निष्ठावान बना रहता है […]

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भेड़ की खाल में भेड़िया

डॉ अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित भ किसी ने मुझसे पूछा की भेड़ की खाल में भेड़िया का उदाहरण दो। मैंने कहा आज के समाज में भेड़ की खाल में भेड़िया का सबसे सटीक उदाहरण “दलित चिंतक/विचारक” हैं। जो खाते इस देश का है, आरक्षण भी इस देश लेते है और […]

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इमली का एक पेड़ शहीद स्मारक

उगता भारत ब्यूरो भारत की वो एकलौती ऐसी घटना जब , अंग्रेज़ों ने एक साथ 52 क्रांतिकारियों को इमली के पेड़ पर लटका दिया था, पर वामपंथियों ने इतिहास की इतनी बड़ी घटना को आज तक गुमनामी के अंधेरों में ढके रखा। उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले में स्थित बावनी इमली एक प्रसिद्ध इमली का पेड़ […]

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राममंदिर विध्वंस एवं तुलसीदास (6 दिसम्बर 1992 के नवनिर्माण उद्यम के शौर्य स्मरण पर)

(6 दिसम्बर 1992 के नवनिर्माण उद्यम के शौर्य स्मरण पर) -अरुण लवानिया आपको कुछ मुसलमान और कम्युनिस्ट यह चिल्लाते दिखेंगे कि अगर बाबर ने हिन्दू मंदिर तोडा होता तो तुलसीदास ने लिखा होता। मगर इसका कोई प्रमाण रामचरितमानस में नहीं मिलता। सत्य यह है कि तुलसीदास जी ने बाबर के हाथों राममंदिर विध्वंस का वर्णन […]

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इतिहास के पन्नों से

आइए जानते हैं कि आर्यावर्त क्या है ?

लेखक – प्रो० उमाकान्त उपाध्याय, एम० ए० जब कभी भ्रान्त विचार चल पड़ते हैं तो उनके अवश्यम्भावी अनिष्टकारी परिणामों से बचना दुष्कर हो जाता है। इसी प्रकार का एक अशुद्ध भ्रान्त विचार यह है कि आर्यावर्त की सीमा उत्तर भारत तक ही है और आर्यावर्त की दक्षिणी सीमा उत्तर प्रदेश के दक्षिण और मध्यप्रदेश के […]

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इतिहास के पन्नों से व्यक्तित्व

डॉ राजेन्द्र प्रसाद को क्यों पसंद नहीं करते थे जवाहरलाल नेहरू

अखिलेश शुक्ला राजेंद्र प्रसाद जयंती आज कई दल और संगठन हिंदुओं का हितैषी होने का दावा करते हैं। इस आधार पर वोट मांगते हैं। उन्होंने अपने-अपने नायक भी चुन रखे हैं। लेकिन, हैरानी की बात है कि इनमें से कोई भी दल या संगठन उस पुरोधा की बात नहीं करता, जो आजादी के बाद हिंदू […]

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इतिहास के पन्नों से

वह इतिहास जो भुला दिया गया

विभाजन के समय क्या हुआ था? लाखों हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के ऐतिहासिक दस्तावेज। देश विभाजन का खूनी इतिहास। ₹335 मंगवाने के लिए 7015591564 पर वाट्सएप द्वारा सम्पर्क करें। विभाजन पश्चात भारत सरकार ने एक तथ्यान्वेषी आयोग बनाया। पाकिस्तान छोड़ भारत आये लोगों पर हुए अत्याचारों के आधार पर उच्च न्यायालय के जज जी डी […]

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