विक्रमादित्य का साम्राज्य भारतीय कालगणना में सर्वाधिक महत्व विक्रम संवत पंचांग को दिया जाता है। विक्रम संवत् का आरंभ 57 ई.पू. में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नाम पर हुआ। उन्होंने इसी दिन अपना राज्याभिषेक कराया था । भारत में यह विक्रम संवत आज भी काम कर रहा है। अपने इस महान न्यायप्रिय और जनप्रिय […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
महमूद गजनवी का साम्राज्य विस्तार देश के हिंदू वीर योद्धाओं में हर स्थान पर महमूद गजनवी का व्यापक विरोध किया था। भारत भक्त उन वीर योद्धाओं को हमें नमन करना चाहिए ,जिनके कारण उस समय मां भारती पूर्णतया विदेशी पराधीनता के शिकंजे में कसने से बचाई जा सकी। जिस समय महमूद गजनवी 67 वर्ष की […]
कब-कब बंटा है भारत ….? यदि भारत के जंबूद्वीप पर किए गए शासन के दिनों को छोड़ दें तो प्राचीन भारत अपने स्वरूप में सन 1876 ई तक लगभग ज्यों का त्यों बना रहा। उस समय तक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्री लंका, बर्मा, नेपाल, तिब्बत, भूटान, बांग्लादेश इत्यादि देशों का कोई अस्तित्व नही था। ये सारा […]
यह टुटा फूटा सा उद्धम सिंह का स्मारक है, हमारे देश अपनी जान देने वाले का। यही स्थान उनका पुश्तैनी घर था. पंजाब में संगरूर जिले के सुनाम गांव में 26 दिसंबर 1899 में जन्मे ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग में अंग्रेजों द्वारा किए गए कत्लेआम का बदला लेने की प्रतिज्ञा की थी जिसे उन्होंने […]
राष्ट्रकूट राजवंश के बारे में भारत के बड़े राजवंशों में राष्ट्रकूट वंश का नाम भी सम्मिलित है। इस वंश के शासकों ने 735 ई0 से 982 ई0 से भी आगे तक तक शासन किया। राष्ट्रकूट साम्राज्य के केंद्र में पूरे कर्नाटक , महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ भाग सम्मिलित थे । एक ऐसा क्षेत्र जिस पर राष्ट्रकूटों ने दो शताब्दियों […]
अभी यूरोप, अमरीका और ईसाई जगत में इस समय क्रिसमस डे की धूम है। क्या आप जानते है कि बाइबिल के न्यू टेस्टमेंट्स के किसी भी गॉस्पेल में जीसस की जन्म तिथि अथवा ऋतु की चर्चा नही लिखी हुई है । चर्च के लोग विभिन्न मतभेदों के साथ गोस्पेल ऑफ़ ल्यूक और मैथ्यूज की फिक्शन […]
“दिल्ली के बादशाह नवाब नजीबुद्दौला के दरबार में एक सुखपाल नाम का ब्राह्मण काम करता था। एक दिन उसकी लड़की अपने पिता को खाना देने महल में चली गयी। मुग़ल बादशाह उसके रूप पर मोहित हो गया। और ब्राह्मण से अपनी लड़की कि शादी उससे करने को कहा और बदले में उसको जागीरदार बनाने का […]
दिए गए चित्र में हम सम्राट हर्षवर्धन का साम्राज्य देख रहे हैं। सम्राट हर्षवर्धन का राज्य विस्तार 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर था। इस महान शासक के बारे में हम भारतवासियों को यह कह कर भ्रमित किया गया है कि भारतवर्ष में हर्ष अंतिम हिंदू सम्राट था। इसके पश्चात भारतवर्ष में बड़े-बड़े साम्राज्य स्थापित […]
कुषाण वंश गुर्जर शासक कुषाणों को विदेशी कहकर हम भारतवासियों से दूर करने का प्रयास किया गया है। ऐसा लिखने वाले इतिहास लेखकों की दृष्टि में मुगल तो इसलिए भारतीय हो गए कि वे चाहे बेशक बाहरी थे पर यहां आकर उनकी पीढ़ियां हमारे साथ घुलमिल गईं, पर गुर्जर कुषाणों को मुगलों से भी पहले […]
चालुक्य वंश चालुक्य वंश एक भारतीय शाही राजवंश था, जिसने छठी और 12वीं शताब्दी के बीच दक्षिणी और मध्य भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया। इस वंश का साम्राज्य विस्तार लगभग 12 लाख वर्ग किलोमीटर था। हमने इस मानचित्र को यहां पर इसलिए दिया है जिससे कि पाठकों को यह बात समझ में आ सके कि भारतवर्ष में महमूद […]