अकबर के दरबार में एक कट्टर सुन्नी मुस्लिम अब्द अल कादीर बदायूनी था उसने हल्दीघाटी की युद्ध का आंखों देखा वर्णन जिसमें वह खुद शामिल था अपनी किताब मुंतखाब–उत–तवारीख में किया है। मूल किताब अरबी में है जिसका 18वीं सदी में अंग्रेजी में अनुवाद किया गया। दोनों तरफ की सेनाओं में 90% राजपूत लड़ रहे […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
अनन्या मिश्रा छत्रपति शिवाजी महाराज की तरह ही उनके बेटे संभाजी महाराज वीर तथा प्रतिभाशाली इंसान थे। शिवाजी की मृत्यु के बाद संभाजी ने मराठा साम्राज्य की बागडोर संभाली थी। इस दौरान मुगलों ने उनपर कई आक्रमण किए, लेकिन संभाजी ने कभी भी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके। संभाजी शुरू से ही मुगलों के […]
अरुण लवनिया ” दरवाजा खोलो और मुझे बाहर जाने दो।” हाथ जोड़कर आंखों में आंसू भरे हीरकनी सैनिकों से प्रार्थना कर रही थी। ” नहीं । यह नहीं हो सकता।राजे का आदेश है कि शाम छ: बजे किले का दरवाजा बंद हो जाये और अगले दिन सुबह ही खुले।” बंद दरवाजे के सामने हाथों में […]
अनन्या मिश्रा 7 फीट 5 इंच लंबाई, 110 किलो वजन। शरीर पर 72 किलो का भारी-भरकम वजनी कवच और हाथ में 81 किलो का वजनी भाला। युद्ध कौशल ऐसा कि दुश्मन भी उनके कायल थे। इस शूरवीर ने मुगल बादशाह अकबर के घमंड को चकनाचूर कर दिय़ा। 30 सालों के निरंतर प्रयास के बाद भी […]
आर्य सागर खारी🖋️ 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश के जिस जनपद में मेरठ के पश्चात सर्वाधिक क्रांति की चिंगारी उठी वह जनपद एकमात्र बुलंदशहर ही था तथा बलिदानीयो ने अपने खून से स्वाधीनता की होली खेली बुलंदशहर में जो गंगा -यमुना के बीच एकमात्र विशाल जनपद था। क्रांति भूमि मेरठ […]
1950 में, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद जोगेन्द्रनाथ मंडल वापस भारत लौट आये, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के विरोधी हिंदू पूर्वाग्रह का हवाला दिया गया था। उन्होंने अपने इस्तीफे पत्र में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया। जब पाकिस्तान […]
पूज्य दानवीर भामाशाह जी का पुण्य स्मरण – ईरान 17 साल में इस्लाम के झंडे के नीचे आ गया. अफगानिस्तान 100 साल में. परन्तु भारत 650 साल से अधिक समय में भी पूर्ण इस्लामिक राज्य नहीं बन पाया. इसके कई कारण थे. महाराणा प्रताप, बन्दा बैरागी और छत्रपति शिवाजी जैसे योद्धा. समर्थ गुरु रामदास, सन्त […]
गोरों की युद्धक की निशानियां….! आज 10 मई है भारतीय स्वाधीनता संग्राम 1857 को लगभग 176 वर्ष पूरे हो गए हैं। कभी दुनिया के 50 देशों पर शासन करने वाले अंग्रेज राजघराने का शासन आज महज इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड आयरलैंड जैसे 5 देशों में सिमट गया है कोई लंबे चौड़े देश नहीं है उन्हें देश […]
अनन्या मिश्रा गुरु अमर दास जी सिखों के तीसरे गुरु थे। उनका जन्म अमृतसर के ‘बासर के’ गांव में 5 मई 1479 को हुआ था। इनके पिता का नाम तेजभान और माता का नाम लखमीजी था। बता दें कि गुरु अमर दास आध्यात्मिक चिंतन वाले व्यक्ति थे। दिन भर खेती और व्यापार आदि के कार्यों […]
मालव अर्थात लक्ष्मी का निवास ‘मालवा’ अपनी अनेकानेक भौगोलिक , सांस्कृतिक और ऐतिहासिक खूबियों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। इन प्रसिद्धियों में चार चांद लगाती है धार स्थित भोजशाला। जिसे सरस्वती मंदिर, भोज का कमरा, मध्य प्रदेश की अयोध्या और ज्ञान की देवी सरस्वती का प्रकट स्थल आदि नामों से भी पुकारा जाता है। भोज […]