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इतिहास के पन्नों से

सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिंदू राजनीतिक दल की आवश्यकता माला ] – भाग – 2

१२. स्वयं वस्कोदेगामा ने लिखा है कि जब मैं भारत आया तो अनेक इतालवी और यूरोपीय सैनिक मालाबार एवं पश्चिमी तट के विभिन्न राजाओं के यहाँ सैनिक की नौकरी कर रहे थे ,तब भी भारत में जो अभागे यह पढ़े और पढाये जा रहे हैं कि कोलंबस ने अमेरिका खोजा (भयंकर झूठ)और वास्को ने भारत […]

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सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिंदू राजनीतिक दल की आवश्यकता माला] – भाग – 1

( भारत के अभिजनों के लिए ही है यह लेखमाला यानी सचमुच अभिजन मानते हों जो स्वयं को और भारतीय हों उनके लिए है । आम आदमी , फलां दल के समर्थक आदि के लिए यह व्यर्थ और अनुपयोगी है. यह अति विशेष लोगों के लिए है । कृपया टिप्पणी करने का अधिकार तभी मानें […]

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महाप्रतापी वीर योद्धा स्कन्दगुप्त

राकेश उपाध्याय (लेखक बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में व्याख्याता है।) वाराणसी से गोरखपुर जाइए तो सड़क के रास्ते या रेल के रास्ते वाराणसी से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित औडि़हार जंक्शन पर हर ट्रेन और बस ठहरती है। भारतीय इतिहास के वीर प्रवाह को समझने के लिए यह स्थान बेहद महत्वपूर्ण है। बिल्कुल गंगा के किनारे […]

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश का है महाभारत काल से संबंध

डॉ. हेमेन्द्र कुमार राजपूत महाभारत में स्वयं महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास जी ने सम्पूर्ण जम्बूद्वीप का प्रादेशिक भ्रमण करके जो कुछ भौगोलिक इतिहास लिखा, वह कहीं अन्यत्र नहीं मिलता। साथ ही उन्होंने अखण्ड महाभारत वर्ष जिसे जम्बूद्वीप कहते हैं, का सांस्कृतिक और सामाजिक एवं राजनैतिक इतिहास हमारे सामने प्रस्तुत किया जिसे आज के आधुनिक […]

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सम्राट ललितादित्य और कश्मीर

जवाहरलाल कौल भारत और विशेषकर जम्मू कश्मीर के इतिहास में ललितादित्य का नाम उनकी शानदार विजय-यात्राओं के कारण प्रसिद्ध रहा है। कुछ लोग मार्तंड मंदिर के कारण भी उन्हें स्मरण करते हैं। लेकिन विकासमान भारत के संदर्भ में अगर वे किसी बात के लिए प्रासंगिक हैं तो उनकी विदेश नीति और अपनी समरनैतिक सूझबूझ के […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय — 3 गांधीजी और उनकी अहिंसा

अहिंसा और गांधीजी महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरम्भ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई सन्देह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के जीवन की […]

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इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय – 2 , जलियांवाला बाग हत्याकांड पर गांधीजी देशवासियों के साथ नहीं थे

सन 1919 में भारतीय इतिहास में जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड की एक बहुत ही निर्दयतापूर्ण घटना घटित हुई थी। उस समय देश के लोगों की एक स्वर से मांग थी कि नरसंहार के खलनायक जनरल डायर पर अभियोग चलाया जाए । लोगों का आक्रोश उफ़न रहा था और जिन लोगों ने इस हत्याकाण्ड में अपने बलिदान […]

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जम्मू कश्मीर में 35 ए , शेख अब्दुल्ला और पंडित नेहरू की कहानी

डाँ. मनमोहन वैद्य भारत सरकार का अनुच्छेद 370 में संशोधन, 35 ए समाप्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को सभी संवैधानिक प्रावधानों का लाभ देने का फैसला भारत के नागरिकों से किए वादे को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम है अनुच्छेद 370 में संशोधन, 35ए को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित […]

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इतिहास पर गांधीवाद की छाया : अध्याय -1 , महात्मा गांधी का आदर्श औरंगजेब था शिवाजी नहीं

गांधीजी का आदर्श औरंगजेब है 06 दिसम्बर 2017 को ‘बीबीसी’ ने एक लेख ‘औरंगजेब और मुगलों की तारीफ क्यों करते थे- महात्मा गांधी’ – शीर्षक से प्रकाशित किया। इस लेख में ‘बीबीसी’ ने बताया कि गांधीजी के औरंगजेब और मुगल शासकों के प्रति बहुत ही नेक विचार थे। वह उनके धर्मनिरपेक्ष विचारों के प्रशंसक थे […]

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पुण्यतिथि पर विशेष : मुगल वंश के शासक शाहजहां की बेटी जहाँआरा की सबसे चालाक और खर्चीली मुगल बेगम

मुगल सल्तनत में सबसे चतुर, सबसे सुंदर, सबसे विवादास्पद और सबसे धनी कोई शहजादी थी तो वो जहांआरा थीं. शाहजहां की बेटी और औरंगजेब की बहन . उनको लेकर तमाम किस्से हैं. चांदनी चौक का नक्शा उन्हीं की देखरेख में बना. वो विदेशों से व्यापार करती थीं. आज से ठीक 339 साल पहले मुगल सल्तनत […]

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