2 अक्तूबर/जन्म-दिवस मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म दो अक्तूबर, 1869 को पोरबन्दर( गुजरात) में हुआ था। उनके पिता करमचन्द गांधी पहले पोरबन्दर और फिर राजकोट के शासक के दीवान रहे। गांधी जी की माँ बहुत धर्मप्रेमी थीं। वे प्रायः रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थों का पाठ करती रहती थीं। वे मन्दिर जाते समय अपने साथ मोहनदास […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
पिछले दिनों वामपंथी मिजाज वाली एक पत्रिका ने भगत सिंह पर लंबा चौड़ा लेख लिखा। अपने लेख में भगत सिंह को कोट करते हुए वो लिखते हैं कि जिस व्यक्ति (भगत सिंह) ने खुद कहा हो कि अभी तो मैंने केवल बाल कटवाए हैं, मैं धर्मनिरपेक्ष होने और दिखने के लिए अपने शरीर से सिखी […]
३७. १८ वीं शताब्दी ईस्वी में भारत का व्यापार इतना विशालं था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के दरिद्र से दीखते फुटकरिया व्यापारी किसी गिनती में नहीं थे . ३८ कहाँ सोना , चांदी,हीरे मोती ,मूंगा, पन्ना रत्नों ,, जवाहरात , सुन्दरतम सूती ,ऊनी, रेशमी वस्त्र , गुड , शकर खांड , सैकड़ों मसालों ,का बड़ी […]
गांधी जी के ‘सच’ को क्योंकि इतिहास ने छुपाने का ‘पाप’ किया है , इसलिए बहुत से लोग हैं जो गांधीजी के ‘सच’ पर लिखे गए किसी लेख पर बड़ी कठोर टिप्पणी किया करते हैं । इस विषय में उन्हें कुछ और अधिक जानकारी गांधीजी के विषय में लेनी चाहिए । गांधी जी अपने लिए […]
प्रखर देशभक्त सूफी अम्बाप्रसाद सूफी अम्बाप्रसाद का जन्म 1858 में मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक सम्पन्न भटनागर परिवार में हुआ था। जन्म से ही उनका दाहिना हाथ नहीं था। कोई पूछता, तो वे हंसकर कहते कि 1857 के संघर्ष में एक हाथ कट गया था। मुरादाबाद, बरेली और जालंधर में उन्होंने शिक्षा पायी। पत्रकारिता में […]
30 सितम्बर/जन्म-दिवस यों तो भारत में देववाणी संस्कृत के गर्भ से जन्मी सभी भाषाएँ राष्ट्रभाषाएँ हैं, फिर भी सबसे अधिक बोली और समझी जाने के कारण हिन्दी को भारत की सम्पर्क भाषा कहा जाता है। भारत की एकता में हिन्दी के इस महत्व को अहिन्दी भाषी प्रान्तों में भी अनेक मनीषियों ने पहचाना और विरोध […]
29 सितम्बर/बलिदान-दिवस भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कदम से कदम मिलाकर संघर्ष किया था। मातंगिनी हाजरा एक ऐसी ही बलिदानी माँ थीं, जिन्होंने अपनी अशिक्षा, वृद्धावस्था तथा निर्धनता को इस संघर्ष में आड़े नहीं आने दिया। मातंगिनी का जन्म 1870 में ग्राम होगला, जिला मिदनापुर, पूर्वी बंगाल (वर्तमान बांग्लादेश) […]
(जन्म जयन्ती पर विशेष 28 सितम्बर 1907 ई.) सरदार भगत सिंह के बंगा गांव में उनकी स्मृति में बने संग्रहालय को देखने का अवसर मिला। दीवारों पर लगे अखबारों में महाशय राजपाल की हत्या की खबरे पढी… उनके अंतिम संस्कार की खबरे पढ़ी। वह भक्तिदर्पण पुस्तक देखी, जिसे महाशय राजपाल जी ने छापा था और […]
२५.सिंधिया की सेना में हनोवर का अन्थोनी पोहिमन्न एक सैन्य अधिकारी था जिसके अधीन फिरंगी रेजिमेंट थी .वे सिंधिया की सेवा में थे. आदिलशाह की सेवा में पुर्तगाल का फर्नाओ लोप्स था . भोपाल का नवाब वस्तुतः गोंड राजा का अफगान सेवक था और इनाम में भोपाल जागीर पाया था . उसकी सेवा में ज्यां […]
१७ . जहाँ शिवाजी महाराज किसी विदेशी को धर्म बदलने नहीं कहते थे ,वहीँ मुस्लमान शासक उन्हें पहले इस्लाम कबूलने की शर्त रखते थे पर यूरोप के बेचारे इन गरीब दुखियारों की दशा इतनी गड़बड़ थी कि वे सुखी जीवन के लिए रिलिजन त्याग कर मज़हब कबूल करने खींचे चले जाते थे .उसमे सेक्स की […]