Categories
इतिहास के पन्नों से व्यक्तित्व

राम मंदिर आंदोलन के निकटस्थ साक्षी : चंपत राय जी

18 नवम्बर/जन्म-दिवस   1947 के बाद भारत के हिन्दू नवजागरण में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की विशेष भूमिका है। इसने देश के धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया। आंदोलन में सार्वजनिक मंचों पर वरिष्ठ साधु-संतों के साथ विश्व हिन्दू परिषद के श्री अशोक सिंहल सदा उपस्थित रहते थे; लेकिन पीछे रहकर सब योजनाओं को […]

Categories
इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय – 15 ( 2), सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण पर भी आया था गांधीजी का विरोध

  सरदार वल्लभ भाई पटेल के विशेष प्रयासों से पण्डित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रीमण्डल ने सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया था । यह बहुत बड़ी बात थी कि सरदार वल्लभभाई पटेल गांधीवादी पण्डित जवाहरलाल नेहरू को भी इस बात के लिए तैयार कर लिया था कि सोमनाथ मन्दिर का सरकारी व्यय […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

करतार सिंह सराभा थे भगत सिंह के प्रेरणा स्रोत

16 नवम्बर/बलिदान-दिवस अमर बलिदानी करतार सिंह सराबा को भगतसिंह अपना अग्रज, गुरु, साथी तथा प्रेरणास्रोत मानते थे। वे भगतसिंह से 11 वर्ष बड़े थे और उनसे 11 वर्ष पूर्व केवल 19 वर्ष की तरुणावस्था में ही भारतमाता के पावन चरणों में उन्होंने हंसते हुए अपना शीश अर्पित कर दिया। करतार सिंह का जन्म 1896 ई. […]

Categories
इतिहास के पन्नों से मुद्दा हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

गुर्जर सम्राट पृथ्वीराज चौहान का दिल्ली में बनेगा संग्रहालय

सभी राष्ट्रवादियों के लिए यह एक बहुत ही उत्साहजनक खबर है कि  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) अपनी वीरता ,शौर्य और पराक्रम के लिए इतिहास में विशेष सम्मानित स्थान रखने वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान से संबंधित संग्रहालय बनाएगा। इसे किला राय पिथौरा में बनाया जाएगा। इसके लिए योजना बन चुकी है। इस किले में पहले से […]

Categories
इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

समग्र क्रांति के अग्रदूत योगेश्वर श्रीकृष्ण

नरेंद्र सहगल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष अधर्मियों, आतंकवादियों, समाजघातकों, देशद्रोहियों और भ्रष्टाचारियों को समाप्त करने के उद्देश्य से धराधाम पर अवतरित हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्म से लेकर अंत तक अपने निर्धारित उद्देश्य के लिए सक्रिय रहे. वे एक आदर्श क्रांतिकारी थे. कृष्ण के जीवन की समस्त लीलाएं/क्रियाकलाप प्रत्येक मानव के लिए प्रेरणा देने वाले अद्भुत प्रसंग हैं. […]

Categories
इतिहास के पन्नों से पर्व – त्यौहार भारतीय संस्कृति

धन्वंतरि त्रयोदशी का इतिहास

धन्वन्तरि का इतिहास-धन-त्रयोदशी को धन्वन्तरि-जयन्ती भी कहा जाता है। इतिहास में कई धन्वन्तरि हुये हैं, जिनमें २ कलियुग के पूर्व थे। धनु चाप के आकार का होता है जिससे बाण छोड़ते हैं। इसी प्रकार के यन्त्र द्वारा शरीर से शल्य निकालते हैं अतः शल्य चिकित्सक को धन्वन्तरि कहा गया है। शल्य चिकित्सा तथा आयुर्वेद कई […]

Categories
इतिहास के पन्नों से व्यक्तित्व समाज

बिरसा मुंडा जयन्ती आर्य -अनार्य विमर्श के अवसान का अवसर

  बिरसा मुंडा महान क्रांतिकारी थे, जनजातीय समाज को साथ लेकर उलगुलान किया था उन्होने। उलगुलान अर्थात हल्ला बोल, क्रांति का ही एक देशज नाम। वे एक महान संस्कृतिनिष्ठ समाज सुधारक भी थे, वे संगीतज्ञ भी थे जिन्होंने सूखे कद्दू से एक वाद्ध्ययंत्र का भी अविष्कार किया था जो अब भी बड़ा लोकप्रिय है। इसी वाद्ध्ययंत्र को बजाकर वे आत्मिक […]

Categories
इतिहास के पन्नों से भयानक राजनीतिक षडयंत्र

इतिहास पर गांधीवाद की छाया , अध्याय 15 (1 )

  गांधीजी और गांधीवादी नेहरू गांधीजी से मिला हुआ ‘हिन्दू विरोध’ कांग्रेस का मौलिक संस्कार है — अनेकों प्रकरणों , प्रसंगों , सन्दर्भों से यह बात अब पूर्णतया सिद्ध हो चुकी है । यदि इस देश की संस्कृति से प्यार करना और उसके लिए संघर्ष करने की प्रवृत्ति गाँधीजी की कांग्रेस की रही होती तो […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

समाजसेवी क्रांतिकारी सेनापति बापट

12 नवम्बर/जन्म-दिवस सेनापति बापट के नाम से प्रसिद्ध पांडुरंग महादेव बापट का जन्म 12 नवम्बर, 1880 को पारनेर (महाराष्ट्र) में श्री महादेव एवं गंगाबाई बापट के घर में हुआ था। पारनेर तथा पुणे में शिक्षा पाकर उन्होंने कुछ समय मुंबई में पढ़ाया। इसके बाद वे मंगलदास नाथूभाई की छात्रवृत्ति पाकर यांत्रिक अभियन्ता की उच्च शिक्षा […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

आज के दिन दिया था धर्म रक्षा हेतु बलिदान गुरु तेग बहादुर ने

11 नवम्बर/बलिदान-दिवस एक बार सिखों के नवें गुरु श्री तेगबहादुर जी हर दिन की तरह दूर-दूर से आये भक्तों से मिल रहे थे। लोग उन्हें अपनी निजी समस्याएँ तो बताते ही थे; पर मुस्लिम अत्याचारों की चर्चा सबसे अधिक होती थी। मुस्लिम आक्रमणकारी हिन्दू गाँवों को जलाकर मन्दिरों और गुरुद्वारों को भ्रष्ट कर रहे थे। […]

Exit mobile version