1938 में हरिपुरा अधिवेशन के वार्षिक अधिवेशन के लिए सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था । हरिपुरा में कांग्रेस अधिवेशन के समय सुभाष बोस ने जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय योजना समिति की स्थापना की जिसके सदस्यों में बिङला,लाला श्रीराम, विश्वरैया शामिल थे। 1939 के त्रिपुरी कांग्रेस के वार्षिक […]
Category: इतिहास के पन्नों से
ओ३म् ========== राम को हमारे पौराणिक बन्धु ईश्वर मानकर उनकी मूर्तियों की पूजा अर्थात् उनको सिर नवाते हैं और यत्रतत्र समय-समय पर राम चरित मानस का पाठ भी आयोजित किया जाता है। वाल्मीकि रामायण ही राम के जीवन पर आद्य महाकाव्य एवं इतिहास होने सहित प्रामाणिक ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में परवर्ती काल में अनेक […]
शत्रु इतिहास लेखकों द्वारा लिखे गए हमारे इतिहास की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इसमें अधिकतम युद्ध जीतने वाले हिंदू राजाओं को ही पराजित दिखाया जाता है । बहुत ही चालाकी के साथ हमारे हिंदू वीर योद्धाओं के विजयी युद्ध का उल्लेख या तो बहुत संक्षिप्त में किया जाता है या फिर किया ही […]
विजय मनोहर तिवारी हम कुछ समय इब्नबतूता के साथ गुज़ारते हैं। उसने तुगलक को जितना करीब से देखा, समझा और दर्ज किया, उतना शायद ही कोई और हो। वह माेहम्मद तुगलक के साथ हिंदुस्तान के इलाकों में सफर पर भी गया है। दरबार में उसने कई साल गुज़ारे हैं। सुलतान के बारे में वह दो […]
महाराणा प्रताप नाम के हिंदू वीर योद्धा ने अकबर को 1576 से 1585 तक निरंतर चित्तौड़ में उलझा रखा उसका परिणाम यह निकला कि अकबर के 10 वर्ष हमारे अकेले वीर योद्धा महाराणा प्रताप से लड़ते हुए गुजर गए । तब उसने 1585 में देश के अन्य हिस्सों पर अपने नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास […]
अकबर चित्तौड़ को लेने में सफल हो गया और हमारे इतिहासकारों द्वारा उसे महान होने का गौरव भी दे दिया गया। हम उसे प्रचलित इतिहास में इसी नाम से पढ़ते हैं, पर उसकी महानता को इतिहास पर थोपते ही ‘भारत का इतिहास’ मर गया। अपने गौरवपूर्ण अतीत से मानो भारत का संबंध विच्छेद हो गया। […]
सावरकर जी की पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष इससे पूर्व कि अखंड भारत के साधक और भारतीय राजनीतिक के सबसे दुर्गंधित पक्ष इस्लामिक सांप्रदायिकता के तीव्र विरोधी , सबके साथ समान व्यवहार करने के पक्षधर वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि के संदर्भ में उनके जीवन पर हम कुछ प्रकाश डालें , यह बताना उचित समझते […]
इतिहास का यह एक कटु सत्य है कि वैदिक सभ्यता संस्कृति ही संसार की सबसे प्राचीन और प्रमाणिक सभ्यता और संस्कृति है । जब थे दिगंबर रूप में वे जंगलों में थे घूमते । प्रासाद के तोरण हमारे चंद्र को थे चूमते ।। जयशंकर प्रसाद जी ने यह पंक्तियां यूं ही नहीं कह दी होंगी […]
मोहम्मद बिन तुगलक का शासनकाल भारतवर्ष में 1325 ईसवी से 1351 ईसवी तक 26 वर्ष का माना जाता है । हमें इतिहास में इस प्रकार पढ़ाया जाता है कि जैसे उसके शासनकाल में पूर्णरूपेण शांति रही और हिंदू पूर्णतया मरी हुई जाति के रूप में अपने आत्मसम्मान को बेचकर चुपचाप उसके शासनादेशों का पालन करता […]
दसों गुरू और भक्त जन जिनकी वाणी गुरू ग्रन्थ साहब में दर्ज है, मांस शराब आदि के सेवन को महापाप मानते थे। आइये हम सभी जन गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के पावन पर्व पर उनकी शिक्षाओं पर चलते हुए अपने जीवन में मद्य मांसादि का सेवन कदापि न करने का संकल्प लें जिससे […]