लेखक- डॉ. भवानीलाल भारतीय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत महर्षि दयानन्द द्वारा प्रतिपादित विचारों की भारत की राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करने तथा देश की अखण्डता की रक्षा में क्या उपयोगिता है? यदि हम संसार के सर्वाधिक प्राचीन ग्रंथ वेदों का अवलोकन करें, तो हमें विदित होता है कि वैदिक वाङ्मय में सर्वप्रथम राष्ट्र की […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर स्वामी का भारतीय इतिहास में विशेष और सम्मान पूर्ण स्थान है । उन्होंने धर्म मार्ग से भटकते हुए लोगों को ज्ञानपूर्वक सही मार्ग दिखाने का प्रयास किया। उनके द्वारा स्थापित किया गया जैन धर्म संसार के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। इस धर्म का उल्लेख ‘योगवशिष्ठ’, ‘श्रीमद्भागवत’, ‘विष्णु […]
कुछ संधियों के तहत कुछ रियासतें ऐसी थी जिन पर ब्रिटिश सम्राज्य का सीधा शासन नहीं था। ऐसी रियासतें अपने आंतरिक फैसले लेने के लिए स्वतंत्र थी। इन रियासतों को ये अधिकार था कि वे भारत और पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश के साथ विलय कर सकती है या फिर स्वयं को […]
शाहजहाँ की हिन्दू विरोधी नीति जहाँगीर के बाद उसके पुत्र शाहजहाँ ने उसकी विरासत को संभाला । शाहजहाँ के शासनकाल में को भारत के कई वामपंथी इतिहासकारों ने स्वर्ण युग की संज्ञा दी है । यद्यपि उसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे स्वर्ण युग कहा जा सके । जिस ताजमहल को शाहजहाँ के […]
——श्याम सुन्दर पोद्दार ———————————————ब्रिटिश निस्ट ग़ोखले के कहने पर अंग्रेज दक्षिण अफ़्रीका से तिलक की राजनीति “स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है “वाली राजनीति का विरोध करने के लिए गांधी को लाए थे। गांधी को जनता में पूजवाने के लिए चंपारन में उन्हें ज़बरदस्ती ब्रिटिश सरकार को झुकाने वाले की छवि वाइसराय की दख़ल से […]
कुतुब मीनार या लौह स्तम्भ एक ऐसा स्तम्भ है जिसे निजी और धार्मिक कार्यक्रम के तहत रूपांतरित किया गया, इसे अपवित्र किया गया और हेरफेर कर इसे दूसरा नाम दे दिया गया। इतिहास में ऐसे प्रमाण और लिखित दस्तावेज हैं जिनके आधार पर यह साबित किया जा सकता है कि कुतुब मीनार एक हिंदू […]
लेखक- पं० चमूपति जी, प्रस्तोता- प्रियांशु सेठ, #डॉविवेकआर्य •अनजाने में मिथ्याकथन महात्मा कहते हैं ऋषि ने अनजाने में मिथ्या कथन किया है। ‘अनजाने में मिथ्या कथन’ से महात्मा का तात्पर्य क्या है? क्या ऋषि ने इन मत मतान्तरों का भाव अशुद्ध समझा? यह सम्भव है! अन्ततोगत्वा ऋषि भी मनुष्य थे। दूसरा यह कि समझा […]
हिन्दू नसीब सिंह महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी …. ! गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी […]
23 मार्च/बलिदान-दिवस क्रान्तिवीर भगतसिंह का जन्म 28 सितम्बर, 1907 को ग्राम बंगा, (जिला लायलपुर, पंजाब) में हुआ था। उसके जन्म के कुछ समय पूर्व ही उसके पिता किशनसिंह और चाचा अजीतसिंह जेल से छूटे थे। अतः उसे भागों वाला अर्थात भाग्यवान माना गया। घर में हर समय स्वाधीनता आन्दोलन की चर्चा होती रहती थी। […]
भारतीय समाज पर मुगलों का प्रभाव भारतीय समाज पर मुगल शासनकाल का यह है गम्भीर प्रभाव है। मुगल काल में आर्य परम्परा के सर्वथा विपरीत आचरण करने वाले लम्पट शासकों को देश का पूजनीय शासक बनाने का चाहे जितना प्रयास किया गया हो, परन्तु भारतीय आर्य परम्परा की श्रेष्ठता की निकृष्टतम श्रेणी में भी […]