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इतिहास के पन्नों से

गांधी महात्मा या महान समलैंगी ?

गोस्वामी तुलसीदास जी ने एक बड़े ही महत्त्व की और और शिक्षाप्रद बात कही है कि , “प्राकृत जन कीने गुणगाना . सिर धुन लागि पडा पछताना ” अर्थात – एक सामान्य और अवगुणों से युक्त व्यक्ति की बढ़ चढ़ कर तारीफें करने वालों को एक दिन सिर पीट पीट कर पछताना पड़ता है . […]

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इतिहास के पन्नों से

श्री कृष्ण जन्मभूमि के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

1947 में घोसी मुसलमानों के अवैध कब्जे मे थी कृष्ण जन्मभूमि फिर उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला ने कैसे बनवाया ‌मंदिर ? -1670 में औरंगजेब ने मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़ दिया था… उसके बाद 281 सालों तक कृष्ण जन्मभूमि पर कोई मंदिर नहीं था… सिर्फ एक बहुत छोटा सा अस्थाई मंदिर […]

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आतंकवाद इतिहास के पन्नों से

भारत के विभाजन के समय हुए थे भयंकर सांप्रदायिक दंगे

भारत -पाक विभाजन दंगों की भीषण मारकाट युक्त घटनाओं से विचलित वैरागी होने वाले मुस्लिम धोबी किशोर युवक मुंशी के ब्रह्मचारी मनु देव तथा कालांतर में जीवनमुक्त योगी सन्यासी श्रद्धेय स्वामी “सत्यपति परिव्राजक महाराज” बनने की त्याग तपस्या तितिक्षा मुमुक्षत्व ईश्वर के प्रति समर्पण से युक्त जीवन यात्रा का स्वामी जी द्वारा स्वयंकथित वर्णन || […]

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इतिहास के पन्नों से

देश के मध्यकालीन इतिहास में खाप पंचायतों का स्वाधीनता आंदोलन भाग 7 कबीर दास के शव के फूल और ढमेलचंद योद्धा

‘सर्वखाप पंचायत का राष्ट्रीय पराक्रम’ पुस्तक से यह भी स्पष्ट होता है कि सन 1518 में कबीर दास जी के अंतिम समय में उनके शव के फूल नहीं बने थे, बल्कि हमारे वीर योद्धा ढमेल चंद, कीर्तिमल और भीमपाल ने अपने शौर्य और पराक्रम को दिखाते हुए राजा वीर सिंह बघेल से बड़ी सैनिक सहायता […]

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देश के मध्यकालीन इतिहास में खाप पंचायतों का स्वाधीनता आंदोलन भाग 6 : तैमूर के विरुद्ध पंचायती सेना का युद्ध

जिस समय तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया उस समय पंचायत के केसरिया झंडे के नीचे 80000 मल्ल योद्धा एकत्रित हुए। 40000 युवतियों और 20000 जवान लड़के तैयार हुए। दिल्ली से 100-100 कोश चारों ओर के योद्धा युद्ध के लिए इकट्ठे हो गए थे। इस सेना का सेनापतित्व योगराज बाल ब्रह्मचारी ने स्वीकार किया […]

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1857 की क्रांति* की शुरूआत

भारतवासी 10 मई को प्रत्येक वर्ष क्रान्ति दिवस के रूप में मनाते हैं इतिहास की पुस्तकें कहती हैं कि 1857 की क्रान्ति की शुरूआत 10 मई 1857 की संध्या को मेरठ में अमर शहीद कोतवाल धनसिंह गुर्जर ने की थी । [6] 10 मई 1857 को मेरठ में विद्रोही सैनिकों और पुलिस फोर्स ने अंग्रेजों […]

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1857 की सशस्त्र जनक्रान्ति के सूत्रधार : कोतवाल धन सिंह गुजर

डा. कुँवरपाल सिंह पंवार सन् 1803 ई० में कोल अलीगढ़ एवं पटपड़गंज छलेरा वर्तमान नोएडा के स्थानों पर मराठा सेना के सेनापति पैरन अंग्रेज सेना- नायक लाईलेक से पराजित हो गये थे। इस विजय की स्मृति में ग्राम छलेरा में लाई लेक टावर का अंग्रेजों द्वारा निर्माण कराया गया था । इस पराजय के साथ […]

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देश के मध्यकालीन इतिहास में खाप पंचायतों का स्वाधीनता आंदोलन भाग 5 , 262 देवियों का वीर बलिदानी

मुस्लिम शासनकाल में गुलाम वंश के पश्चात खिलजी वंश का शासन 1290 से 1320 ई0 तक रहा था। इस वंश का अंतिम बादशाह मुबारक शाह 1316 ई0 से 1320 ई0 तक शासन करता रहा। इसके शासनकाल में वर्तमान मेरठ मंडल के अंदर बागपत नगर से उत्तर दिशा की ओर कुताना कस्बा यमुना नदी पर है। […]

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इतिहास के पन्नों से

बिस्तर पर किसी मर्द से कम न थी इंदिरा

–M.O MATHAI Related image आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार जब हम पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की बात करते हैं, तो कई कांग्रेसी कहते हैं कि वह भारत की आयरन लेडी हैं; उसने पाकिस्तान को दो भागों में विभाजित किया और कई और अधिक लेकिन क्या वे उनके अंधेरे रहस्यों के बारे में बात करेंगे? देश की […]

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देश के मध्यकालीन इतिहास में खाप पंचायतों का स्वाधीनता आंदोलन भाग 3

महमूद गजनवी के साथ पंचायती युद्ध महमूद गजनवी के साथ पंचायती युद्ध के संबंध में ‘सर्वखाप पंचायत का राष्ट्रीय पराक्रम’ नामक उपरोक्त पुस्तक के पृष्ठ संख्या 101 पर लिखा है कि देश के वीरों ने तन – मन – धन सर्वस्व लगाकर महमूद गजनवी से भारी टक्कर ली। गजनवी के 80000 लश्कर को मारकर देश […]

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