चंद्रशेखर, पूर्व प्रधानमंत्री 1980 में लोकसभा का चुनाव हुआ। बाबू जगजीवन राम पार्टी के नेता थे। जनता पार्टी के टूटने से लोगों का उससे मोहभंग हुआ और इंदिरा गांधी की वापसी निश्चित थी। बाबू जगजीवन राम को नेता बनाने के मोरारजी भाई खिलाफ थे। मैं भी उनके नाम से सहमत नहीं था। चुनाव के […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
संजीव सिंह हम सभी ने इतिहास पढ़ा है कि मुगल सल्तनत की स्थापना 1526 में ज़हीर-उद-दीन मुहम्मद बाबर ने की थी। अगले दो शताब्दियों तक भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों पर मुगलों का शासन रहा। आम धारणा यह है कि बाबर को भारत आने का निमंत्रण भेजा गया था और यह कार्य मेवाड़ के […]
दादा बस्तीराम आर्योपदेशक लेखक :- स्वामी ओमानन्द सरस्वती पुस्तक :- देश भक्तों के बलिदान प्रस्तुति :- अमित सिवाहा [यह लेख वयोवृद्ध पूजनीय पंडित बस्तीराम जी का है जिसे मैंने भालोठ ग्राम में उनके पास 2 दिन बैठकर लिखा था कुछ लोगों का कहना है कि पंडित जी सन् 57 के युद्ध के समय 17 […]
प्रथम क्रूसयुद्ध मजहबी उन्माद व्यक्ति के मन मस्तिष्क में गहरा अंधकार कर देता है। क्योंकि यह सबसे पहले विवेक के दीपक को बुझाता है । जैसे चोर घर में प्रवेश करने से पहले प्रकाश के स्त्रोत को बंद करता है वैसा ही कार्य मजहब व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर अविवेक की चादर डालकर करता […]
भारत की संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर इस संविधान को जला देना चाहते थे? अभिरूप दाम जिस समय यह लिखा जा रहा है, उस समय भारतीय संसद में मानो बमबारी हो रही है। ना-ना, किसी विधेयक या अध्यादेश पर हंगामा नहीं हो रहा है।ये सब उस किताब को लेकर हो रहा है जिससे हमारे […]
लेखकः- डाॅ. सुरेन्द्र कुमार (मनुस्मृति भाष्यकार) श्री भीमराव रामजी अम्बेडकर को डॉ. अम्बेडकर बनाने में आर्यसमाज और आर्यसमाज द्वारा प्रचारित वर्णव्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान है। जन्मगत जातिवाद के विरुद्ध समरसता और समान-अधिकार का वातावरण निर्मित करने वाले और उन्हें उच्च शिक्षा के लिए सुविधा-सहायता उपलब्ध कराने वाले वही लोग थे जो आर्य समाज से […]
क्रूसेड युद्ध अर्थात धार्मिक युद्ध मजहब के नाम पर ईसाइयों, यहूदियों और मुसलमानों के बीच एक से एक बढ़कर खूनी संघर्ष हुए हैं। जिनमें मानवता का भारी अहित हुआ है । लाखों लोगों को इन युद्धों में या तो अपने प्राण गंवाने पड़े या फिर विस्थापित होने के लिए विवश होना पड़ा। बड़ी संख्या में […]
कुशलदेव शास्त्री स्वामी दयानन्द और आर्यसमाज की वेदनिष्ठा तो जाहिर है। आर्यसमाज का तीसरा नियम है-’वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यों का परमधर्म है।‘ आर्यसमाजों में समस्त संस्कार वैदिक पद्धति से ही सम्पन्न होते हैं। कुछ अन्य भी ’सनातन‘ संगठन हैं, जो वैदिक संस्कारों के प्रति अनन्य आस्था अभिव्यक्त करते हैं। माननीय डॉ0 […]
अनिरुद्ध जोशी प्राचीन और मध्यकाल में हस्तलिखित दस्तावेज बहुत होते थे। उनमें से लाखों तो लुप्त हो गए या जला दिए गए। फिर भी हजारों आज भी किसी लाइब्रेरी में, संग्रहालय, आश्रम में या किसी व्यक्ति विशेष के पास सुरक्षित है। ऐसी ही एक हस्तलिखित पांडुलिपि या किताब इंदौर के रहने वाले साधारण से […]
#डॉविवेकआर्य जालियाँवाला बाग हत्याकांड (Jalianwala Bagh Massacre) की कहानी सुनते ही आज भी हर भारतीय की रूह कांप जाती है। यह ऐसा बर्बर हत्याकांड अंग्रेजो ने हम भारतीयों पर किया था। जिसकी निंदा आज तक की जाती है। अंग्रेजो के द्वारा किये गए इस बर्बर हत्याकांड के लिए आज भी ब्रिटेन के उच्च अधिकारी […]