भारतीय इतिहासकार मूलत विदेशी इतिहासकारों और मुग़लों के वेतनभोगी इतिहास लेखकों का अनुसरण करते दीखते हैं। पाठ्य पुस्तकों में हो या मिडिया में हर जगह हिन्दुत्व को नीचा दिखाने की कोशिश होती है. जावेद अख्तर राजपूतों को हारा हुआ राजा बताता है तो मुगलों को अपना अब्बाजान. मनोज मुन्तशिर के मुगलों पर कडवा सच कहने […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
बज गई रणभेरी विश्वशान्ति के लिए उस समय बहुत बड़ा खतरा स्पष्ट मंडराता हुआ दिखाई दे रहा था। इसके उपरान्त भी मजहबी उन्माद से पगलाए हुए शत्रु दल का कोई भी नेता यह सोचने के लिए तैयार नहीं था कि वे मानवता के विरुद्ध बहुत भयंकर अपराध करने जा रहे हैं? मजहब के नाम पर […]
गद्दारी और राजकुमार जयशाह का आपद्धर्म राजधानी में शत्रु के हमले के प्रति पूर्णतया सावधान होकर बैठे राजा दाहिर सेन अपने वीर सैनिकों के भरोसे शत्रु का सामना करने की तैयारियों में व्यस्त थे। उनके दिशा निर्देशों के अनुसार दोनों राजकुमारियां और राजपरिवार के अन्य सदस्य जनता के बीच जाकर जिस प्रकार देशभक्ति का परिवेश […]
✍🏻 लेखक – प्रो० भवानीलाल भारतीय (दैनिक जागरण समाचार पत्र दिनांक 11 सितम्बर 2021, दिल्ली संस्करण में ‘दुनिया की दृष्टि बदलने वाले विवेकानंद ‘ शीर्षक के अंतर्गत प्राच्यविद्या के आचार्य डॉ. विनोद कुमार तिवारी का लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख में लेखक ने पश्चिमी लेखक मैक्समूलर को प्राचीन ऋषि लिखा है। मैक्समूलर के कार्यों को […]
जब हम मध्यकाल में मुस्लिम आक्रमणकारियों के आक्रमणों के बारे में पढ़ते हैं तो अक्सर यह प्रश्न हमारे अंतर्मन में उठता है कि विदेशी आक्रमणकारियों के आक्रमण के समय देश के राजनीतिक केंद्रों के रूप में मान्यता प्राप्त रहे किलों की अपेक्षा धार्मिक आस्था के केंद्र हमारे मंदिर ही क्यों लूटे गए ? यदि इस […]
#डॉविवेकआर्य (दैनिक जागरण समाचार पत्र दिनांक 11 सितम्बर 2021, दिल्ली संस्करण में ‘दुनिया की दृष्टि बदलने वाले विवेकानंद ‘ शीर्षक के अंतर्गत प्राच्यविद्या के आचार्य डॉ. विनोद कुमार तिवारी का लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख में लेखक ने पश्चिमी लेखक मैक्समूलर को प्राचीन ऋषि लिखा है। मैक्समूलर के कार्यों को वैदिक ज्ञान की दिग्विजय यात्रा […]
✍🏻 लेखक – प्रो० भवानीलाल भारतीय (दैनिक जागरण समाचार पत्र दिनांक 11 सितम्बर 2021, दिल्ली संस्करण में ‘दुनिया की दृष्टि बदलने वाले विवेकानंद ‘ शीर्षक के अंतर्गत प्राच्यविद्या के आचार्य डॉ. विनोद कुमार तिवारी का लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख में लेखक ने पश्चिमी लेखक मैक्समूलर को प्राचीन ऋषि लिखा है। मैक्समूलर के कार्यों को […]
द्वितीय चरण में विस्तार होता है। छोटा चर्च अब एक बड़ा बन जाता है। उसका विस्तार हो जाता है। अब वह छुप-छुप कर नहीं अपितु आत्म विश्वास से अपनी उपस्थिती दर्ज करवाता है। स्थानीय सभा के स्वरुप में परिवर्तन- अब वह हर रविवार को आम सभा में लाउड स्पीकर लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है। […]
राजा दाहिर सेन ने देवल जैसे प्रांत का सूबेदार ज्ञानबुद्ध को बना तो दिया पर यहाँ उनसे एक चूक भी हो गई कि उन्होंने सामरिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण प्रान्त का सूबेदार एक ऐसे व्यक्ति को बना दिया था जो महात्मा बुद्ध की ‘अहिंसा’ में विश्वास रखता था। राजा दाहिर सेन को ज्ञान बुद्ध के […]
गोविंद बल्लभ पंत ( जन्म:10 सितम्बर 1887; मृत्यु: 7 मार्च, 1961) उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका मुख्यमंत्री कार्यकाल 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1954 तक रहा। बाद में ये भारत के गृहमंत्री भी (1955 -1961) बने। भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा […]