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मुस्लिम नेताओं को पुरानी मानसिकता से बाहर आना चाहिए और निर्दोषों को मारना कोई वीरता नहीं है

[ शंकर शरण ]: एआइएमआइएम के नेता वारिस पठान द्वारा समुदायिक बल का गुमान दिखाने से उनके सेक्युलर-वामपंथी समर्थक ही झेंपे, क्योंकि वे मुसलमानों के बारे में कुछ और बातें कहते रहते हैं। इसी पार्टी के अकबरुद्दीन ओवैसी तो कई बार अपनी 15 मिनट वाली धमकी दोहरा चुके हैं कि हम पच्चीस करोड़ हैं और […]

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आने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार का ऊंट किस करवट बैठेगा ?

निर्मल रानी महात्मा बुध से लेकर महात्मा गाँधी जैसे महापुरुषों की कर्मस्थली रहा देश का प्राचीन समय का सबसे समृद्ध राज्य बिहार गत 15 वर्षों में हुए अनेक मूलभूत विकास कार्यों के बावजूद अभी भी देश के पिछड़े राज्यों में ही गिना जाता है। आज भी बिहार के शिक्षित व अशिक्षित युवा अपनी रोज़ी रोटी […]

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समाज , सरकार और मीडिया

डाॅ. राकेश राणा किसी भी समाज में मीडिया और राजनीति का सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था से गहरा संबंध होता है। मीडिया विशेषतः विकास-संचार और लोकतांत्रिक सहभागिता का काम देखता है। विकास और स्वतंत्रता अंर्तसंबंधित है। जिनका पहिया स्वतंत्र मीडिया की धुरी पर घूमता है। राजनीतिक व्यवस्थाएं मीडिया की इसी स्वतंत्रता को कुतरती रहती है, […]

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महर्षि दयानंद के दलितों के उद्धार के कार्य

(मेरे दलित भाई – बहन अवश्य पढ़ें ) देश व समाज को जन्मना जाति व्यवस्था के अभिशाप से मुक्त कराने के लिए ऋषि दयानन्द के दलितोद्धार के प्रेरक कार्य- वर्णव्यवस्था जन्मना है या कर्मणा।यदि उसे जन्मना माना जाय तो वह जातिगत भेदभाव को निर्माण करने का एक महत्तवपूर्ण कारण सिद्ध होती है।ऋषि दयानन्द कर्मणा वर्णव्यवस्था […]

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द टेलीग्राफ की नंगई : जिहाद की आग में झोंके जा रहे शाहीन बाग के मासूमों को राम और कृष्ण से जोड़ा

आरबीएल निगम ( वरिष्ठ पत्रकार ) दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहा विरोध प्रदर्शन अब एक नवजात बच्ची की हत्या के लिए जिम्मेदार है। इस प्रदर्शन ने एक ऐसी मासूम की जान ले ली, जिसे यही भी नहीं पता था कि वो अपने माता-पिता की नासमझी के कारण किस तरह इस्तेमाल हो रही है। […]

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आखिर मीडिया है किसके साथ

संजय स्वदेश बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने 31 जनवरी 1920 को मराठी पाक्षिक ‘मूकनायक’ का प्रकाशन प्रारंभ किया था. सौ साल पहले पत्रकारिता पर अंग्रेजी हुकूमत का दबाव था. दबाव से कई चीजे प्रभावित होती थी. सत्ता के खिलाफ बगावत के सूर शब्दों से भी फूटते थे. आजाद भारत में यह दबाव धीरे धीरे […]

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2020 में क्या पटरी पर लौटेगी भारत की अर्थव्यवस्था ?

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति भारत की मौजूदा विकास दर 4.5 फ़ीसदी है जो छह साल में सबसे निचले स्तर पर है. साल 2019 के आखिरी महीने में वित्त मंत्री ने संसद में बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था भले ही सुस्त है लेकिन मंदी का ख़तरा नहीं है. साल 2019 ख़त्म हो गया […]

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क्या भारत के सभी नागरिक राष्ट्रवादी नहीं होने चाहिए ? गणतंत्र दिवस पर विशेष

ओ३म् ========== भारत संसार का सबसे प्राचीन देश है। इसका धर्म सनातन वैदिक धर्म है। यह धर्म सृष्टि की उत्पत्ति के साथ परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न मनुष्यों के द्वारा ईश्वर की प्रेरणा व वेदों के ज्ञान, ऋग्वेद-यजुर्वेद-सामवेद-अथर्ववेद, की प्राप्ति से आरम्भ हुआ था। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वान्तर्यामी एवं निराकार आदि अनन्त […]

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क्या होता है 26 जनवरी की परेड के अवसर पर

26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। गणतंत्र दिवस को पूरे देश में विशेष रूप से भारत की राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के महत्व […]

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क्या है गणतंत्र की सही परिभाषा

एक गणराज्य या गणतंत्र (लातिन : रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक “सार्वजनिक मामला” माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा […]

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