ओ३म् ========== भारत संसार का सबसे प्राचीन देश है। इसका धर्म सनातन वैदिक धर्म है। यह धर्म सृष्टि की उत्पत्ति के साथ परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न मनुष्यों के द्वारा ईश्वर की प्रेरणा व वेदों के ज्ञान, ऋग्वेद-यजुर्वेद-सामवेद-अथर्ववेद, की प्राप्ति से आरम्भ हुआ था। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वान्तर्यामी एवं निराकार आदि अनन्त […]
श्रेणी: मुद्दा
26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय राष्ट्र ध्वज को फहराया जाता हैं और इसके बाद सामूहिक रूप में खड़े होकर राष्ट्रगान गाया जाता है। गणतंत्र दिवस को पूरे देश में विशेष रूप से भारत की राजधानी दिल्ली में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर के महत्व […]
एक गणराज्य या गणतंत्र (लातिन : रेस पब्लिका) सरकार का एक रूप है जिसमें देश को एक “सार्वजनिक मामला” माना जाता है, न कि शासकों की निजी संस्था या सम्पत्ति। एक गणराज्य के भीतर सत्ता के प्राथमिक पद विरासत में नहीं मिलते हैं। यह सरकार का एक रूप है जिसके अंतर्गत राज्य का प्रमुख राजा […]
सिद्धार्थ शंकर गौतम भारतीय कला और संस्कृति के बिखरे खंडों को एकत्रित करने और उनके संरक्षण की आवश्यकता को पहचानते हुए 1987 में मूर्धन्य कला विद्वान डॉ. कपिला वात्स्यायन ने इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र की स्थापना की थी। उन्होंने इस केन्द्र को देश-दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाई किन्तु वर्तमान में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला […]
नये भारत के निर्माण की नींव में बैठा इंसान सिर्फ हिंसा की भाषा में सोचता है, उसी भाषा मेें बोलता है और उससे कैसे मानव जाति को नष्ट किया जा सके, इसका अन्वेषण करता है। बदलते परिवेश, बदलते मनुज-मन की वृत्तियों ने उसका यह विश्वास और अधिक मजबूत कर दिया कि हिंसा हमारी नियति है, […]
मोनिका शर्मा हाल ही में मध्यप्रदेश में बारह साल की आयु से कम की नाबालिग बालिकाओं से दुष्कर्म और किसी भी उम्र की महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड दिए जाने के प्रावधान वाले दंड विधि संशोधन विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दे दी गई। इस तरह के सख्त कानून […]
हमारे देश को प्रयोगशाला बनाकर नये-नये प्रयोग करते जाने की राजनीतिज्ञों की पुरानी परम्परा है। जब किसी प्रयोग पर करोडों-अरबों रूपया व्यय हो जाता है तो फिर उसे भुला दिया जाता है या जब उस प्रयोग के गलत परिणाम राजनीतिज्ञों को मिलने लगते हैं तो उन्हें जनता को न बताकर चुपचाप उस योजना को ही […]
बाल मुकुन्द ओझा भारत में 1975 से हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकार, उनके सम्मान और अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी की चर्चा होती है, महिलाओं को प्रोत्साहन देने की बात होती है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने […]
बाबाओं के पास जो भीड़ जमा होती है, उसके मूल में दुख है, अभाव है, गरीबी है या अशांति है। कोई बेटे से परेशान है, कोई बहू से, कोई नौकरी से, कोई जमीन के झगड़े में फंसा है और किसी को कोर्ट-कचहरी के चक्कर में जायदाद बेचनी पड़ गई है। या तो धन ही नहीं […]
रीता सिंह देश की सर्वोच्च अदालत ने आश्रमों में कम उम्र की विधवाओं के रहने पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि विधवा विवाह को कल्याणकारी योजनाओं का हिस्सा क्यों नहीं होना चाहिए? न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने चिंता जताई कि विधवाओं के पुनर्वास की […]