कलोल भारतीय सैनिक ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ पर अटूट विश्वास करते हैं। वे कहते हैं और जानते भी हैं कि उन्हें कर्म का अधिकार है, फल का नहीं। वे हमेशा चट्टान की तरह दृढ़ रहते हैं। मगर फिर भी अगर सैनिक को वह न दिया जाए, जिसका कि वह हकदार है, तो मायूसी पैदा होती […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
रवि शंकर जलवायु परिवर्तन को लेकर भारत के लोग बाकी दुनिया खासकर धनी देशों के मुकाबले अधिक सजग और चिंतित हैं। इस मामले में भारतीय अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान से अधिक जागरूक हैं। इस बात की पुष्टि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क संधि (यूएनएफसीसीसी) की पहल पर हुए एक विश्वव्यापी सर्वेक्षण में हुई […]
अशोक प्रवृद्ध प्राकृतिक अर्थात मौसमीय मार सिर्फ किसानों को नहीं वरन समस्त देश अथवा संसार को रूलाने की क्षमता रखती है और समय-समय पर इसने सबों को रूलाया भी है ।यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कभी सूखा, कभी बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदायें न केवल फसलों को क्षति पहुँचाते है, बल्कि गाँव के गाँव […]
संजय गुप्त अभी ज्यादा दिन नहीं हुए, जब भारत के बारे में बाकी दुनिया, विशेष रूप से पश्चिमी जगत में दो तरह की धारणाएं विद्यमान थीं। पहली धारणा यह थी कि भारत का मतलब उत्पीडऩ, भुखमरी, बीमारी और बूचडख़ाना है। दूसरी धारणा के रूप में भारत की छवि एक ऐसे देश की थी, जहां साधुओं, […]
रामचंद्र गुहा नवंबर 1969 में जब इंदिरा गांधी ने कांग्रेस का विभाजन किया, तब उनके एक प्रतिद्वंद्वी ने उन्हें चेतावनी दी थी कि उन्हें इसके नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। ये थे एस. निजलिंगप्पा। अविभाजित कांग्रेस पार्टी के आखिरी अध्यक्ष। निजलिंगप्पा ने कहा था कि 20वीं सदी का इतिहास ऐसे त्रासद उदाहरणों से […]
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जहां विकास के बड़े- बड़े दावे के साथ सर्वोच्च न्यायालय की खुली अवहेलना करते हुए समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में अपने विज्ञापन प्रकाशित करवा रहे हैं वहीं दूसरी ओर प्रदेश में घट रही ताबड़तोड़ सनसनीखेज वारदातें सपा नेताओं के बयान व अफसरशाही के रवेये के कारण आज समाजवादी सरकार […]
लेखक-जितेंद्र खुराना प्रधानमंत्री श्रीनरेंद्र मोदी जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए आग्रह किया और 177 राष्ट्रों ने अपना समर्थन करते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मानते हुए इतिहास रच दिया। किन्तु अपने ही देश भारत में एक विवाद भी खड़ा हो गया जब मुस्लिम पर्सनल लॉं बोर्ड, शीर्ष […]
1.) पहली आज्ञा अक्षैर्मा दिव्य ( ऋग्वेद 10/34/13 ) अर्थात जुआ मत खेलो । इस आज्ञा का उल्लंघन हुआ। इस आज्ञा का उल्लंघन धर्म राज कहे जाने वाले युधिष्ठर ने किया । परिणाम-एक स्त्री द्रौपदी का भरी सभा में अपमान । महाभारत जैसा भयंकर विश्व युद्ध जिसमे करोड़ो सेना मारी गयी । लाखो योद्धा मारे […]
देश धर्म और संस्कृति के समक्ष चुनौतियां, और हमारी सोच की दिशा विपरीत है। इधर चुनौतियां हैं, हम उधर या तो सोच नही रहे हैं, या जानकर भी उधर से मुंह फेरकर खड़े हैं। ज्वलंत उदाहरण है कि भारत को भी बांगलादेश से मिले 50-55 गांव, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी अपने देश के साथ लाकर जोडऩे […]
संकरा प्रसाद अवस्थी ‘‘गायन्ति देवा: किल गीतकानी धन्यास्तुते भारत भूमिभागे’’ ऐसा हमारा भारतवर्ष देश, जिसके बारे में देवों ने भी भूरि-भूरि प्रशंसा की है और ऐसी कामना की है कि यह भारतभूमि धन्य है और हमारा जन्म बारंबार केवल ऐसी भारत भूमि में ही हो। इस देश की सौंधी मिट्टी में ऐसी उर्वरा शक्ति है […]