आजकल डिब्बाबंद खान-पान सामग्री का प्रचलन जोर पकड़ता जा रहा है। जब से हमने परिश्रम करना छोड़ दिया है तभी से हम तैयार खान-पान के आदी हो गए हैं।
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
जिस प्रकार मंदिर में पुजारी , गुरुद्वारे में ग्रन्थी और चर्च में पादरी होता है उसी प्रकार मस्जिद में इमाम होता है । इमाम,मोटे तौर पर जुम्मा यानि शुक्रवार के दिन मस्जिद में नमाज़ के लिये जो मुसलमान इक्कठे होते हैं , उनकी नमाज़ का मंच से संचालन करता है । नमाज़ के बाद वह […]
वो जमाना चला गया जब आदमी अपने और अपने कुटुम्ब के लिए कमाता था और संतोषी जीवन व्यतीत करते हुए जिन्दगी के सारे आनंद प्राप्त करता था, समुदाय को भी आनंदित करता था, सामाजिक सरोकारों और क्षेत्रीय हलचलों में पूरी और पक्की भागीदारी निभाता हुआ अपने जीवन को धन्य करता था। आज पहले के मुकाबले […]
देश में सरदार पटेल की सबसे ऊँची मूर्ति स्थापित करने का निर्णय गुजरात सरकार ने पहले ही कर लिया था । इसके लिये देश के कोने कोने से लोहा भी एकत्रित किया जा चुका है । अब इस प्रकल्प का क्रियान्वयन हो रहा है । सरदार पटेल की १८२ मीटर की इस प्रस्तावित मूर्ति को […]
आजकल सभी को अफसरी का जबरदस्त भूत सवार है। अफसरी का किसी पद से कोई सरोकार नहीं है बल्कि वे लोग हैं जो खुद कुछ करना न जानते हैं, न चाहते हैं लेकिन प्रदर्शित ऎसे करते हैं जैसे कि सर्वज्ञ, संप्रभुतासम्पन्न, सर्वव्यापी, सर्वप्रिय और सर्वोत्कृष्ट हैं और भगवान ने दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए […]
सत्य इंसान के लिए वह आचरणीय विषय है जिसे स्वीकार कर लिए जाने पर तमाम सिद्धान्त और आदर्श पीछे-पीछे चलने लगते हैं। यों कहा जाए कि जो व्यक्ति सत्य को ही अपने जीवन का ध्येय बना लेता है वह अपने आप धर्म मार्ग को प्राप्त कर लेता है और उसके लिए सत्य-धर्म एकमात्र वह माध्यम […]
रूप-रंग लावण्य और सौन्दर्य न कहीं बाहर से आता है, न थोंपा जा सकता है। इसका सीधा रिश्ता होता है अपने ही भीतर से। हर इंसान के भीतर ही विद्यमान रहता है अपने रूप-रंग को निखारने और अप्रतिम सौन्दर्य का वह महाप्रपात, जो हमेशा अक्षुण्ण बना रहता है। यह इंसान पर निर्भर है कि वह […]
संसार में सभी स्थानों पर हर समय न तो पूर्ण अनुकूलताएं होती हैं न प्रतिकूलताएं। इनका न्यूनाधिक प्रवाह हमेशा बना रहता है। कभी किसी जगह एक प्रकार की अनुकूलताएं होती हैं तो वहाँ दूसरे प्रकार की प्रतिकूलताएं बनी रहती हैं। इसी प्रकार कहीं प्रतिकूलताएं होंगी, तो वहाँ किसी न किसी प्रकार की अनुकूलताओं का अस्तित्व […]
पुण्य प्रसून वाजपेयी 3 जनवरी 1969 को पहली बार नागपुर में बालासाहेब ठाकरे की मुलाकात तत्कालीन सरसंघचालक गुरु गोलवरकर और सरकार्यवाहक देवरस से हुई थी । उस वक्त बालासाहेब ठाकरे बंबई से गये तो थे नागपुर विघापीठ में विघार्थी संघ के सम्मेलन में भाषण देने । लेकिन सीपीएम की धमकी की ठाकरे नागपुर से जिन्दा […]
सारा हिन्दुस्तान इन दिनों भिड़ा हुआ है साफ-सफाई में। गांधी जयन्ती से शुरू हुआ दौर अब दीवाली को देखकर पूरे परवान पर है। हर साल दीवाली पर यही होता है। गांवों से लेकर महानगरों तक सारे के सारे इसी जतन में जुटे हुए हैं कि लक्ष्मी मैया को रिझाने लायक साफ-सफाई दिखा दें ताकि बरकत […]