प्रवीण गुगनानी गत सप्ताह की दो घटनाओं से भारत के दो सशक्त रूप देखनें को मिले। एक घटना घृणा, विद्रूपता के रूप में आई तो दूसरी में सम्पूर्ण भारत सृजन, निष्ठा और प्रेम को वंदन करता दिखा। इन दो घटनाओं को संयोग कतई नहीं कहा जा सकता, क्योंकि एक घटना में भारत के प्रिय पुत्र, […]