मृत्युजंय दीक्षित श्रेष्ठश्रम को साधना और समर्पण वृद्धि की जोड़ मिले तो समाज में नि:संदेह समृद्धि पैदा होगी। श्रम से अर्थोत्पादन होता है और अर्थ ही इच्छापूर्ति का साधन है। श्रम ही यज्ञ है साधन और अनुसंधान उसके उपचार हैं। कुशलता इस साधन की उपलब्धि है। भगवान विश्वकर्मा जी ने अपने श्रेष्ठ कार्यो के द्वारा […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
आर्य समाज की स्थापना गुजरात में जन्में स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई नगरी में की थी। आर्यसमाज क्या है? यह एक धार्मिक संस्था है जिसका उद्देश्य धर्म, समाज व राजनीति के क्षेत्र से असत्य को दूर करना व उसके स्थान पर सत्य को स्थापित करना है। क्या धर्म, समाज […]
(यह आलेख हम पूज्य पिता महाशय राजेन्द्र आर्य जी की 24वीं पुण्यतिथि-13 सितंबर 2015 के अवसर पर प्रकाशित कर रहे हैं। अब से कुछ समय पश्चात श्राद्घ आरंभ होंगे। जिसे पितृकाल भी कहा जाता है। ऐसे अवसर पर यह आलेख समसामयिक है। (प्रस्तुति: सूबेदार मेजर वीर सिंह आर्य) आर्य समाज के पथ-प्रदर्शक एवं प्रवत्र्तक महर्षि […]
मृत्युंजय दीक्षित हिंदी साहितय जगत की महान लेखिका महादेवी वर्मा का साहित्य जगत में उसी प्रकार से नाम है जैसे कि मुंशी प्रेमचंद व अन्य साहित्यकारों का। महादेवी वर्मा ने केवल साहित्य ही नहीं अपितु काव्य समालोचना संस्मरण संपादन तथा निबंध लेंखन के क्षेत्र मं प्रचुरकार्य कया है अपित इसके साथ ही वे एक अप्रतिम […]
डा. भरत झुनझुनवाला यूरोप तथा उत्तरी अमरीका के देशों की कृषि के लिए ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव सकारात्मक होगा। वर्तमान में यहां ठंड ज्यादा पड़ती है। तापमान में कुछ वृद्धि से इन देशों का मौसम कृषि के अनुकूल हो जाएगा। अत: विकसित देशों का पलड़ा भारी हो जाएगा। उनके यहां खाद्यान्न उत्पादन बढ़ेगा, जबकि हमारे […]
अशोक प्रवृद्ध वैदिक मान्यतानुसार सृष्टि का उषाकाल वेद का आविर्भाव काल माना जाता है। भारतीय परम्परा के अनुसार वेदों को सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान का मूल स्रोत माना जाता है।मनुस्मृति में मनु महाराज ने घोषणा की है- यद्भूतं भव्यं भविष्यच्च सर्वं वेदात् प्रसिध्यति। – मनुस्मृति 12.97 अर्थात- जो कुछ ज्ञान-विज्ञान इस धरा पर अभिव्यक्त हो चुका है […]
सुरेश हिन्दुस्तानी विहिप नेता प्रवीण तोगडिय़ा ने मांग की है कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले मुस्लिमों को कानून बनाकर सज़ा देनी चाहिये। हालांकि संविधान ऐसा करने की इजाज़त नहीं देता और अगर ऐसा कोई पक्षपात पूर्ण कानून बनाया भी गया तो उसको संसद और राज्यसभा पास नहीं करेगी अगर यह काम विवादित […]
प्रवीन गुगनानी विश्व हिंदू परिषद उस संगठन का नाम है जो संभवत: देश में संगठन कम और परिवार अधिक के रूप में चिर परिचित है; इस देश के बहुसंख्य हिंदुओं ने इस संगठन को जहां परिवार के रूप में देखा व स्वयं को इसकी इकाई के रूप में महसूसा वहीँ इसे संगठन के रूप में […]
प्रमोद भार्गव कृष्ण बाल जीवन से ही जीवनपर्यंत समााजिक न्याय की स्थापना और असमानता को दूर करने की लड़ाई देव व राजसत्ता से लड़ते रहे। वे गरीब की चिंता करते हुए खेतीहर संस्कृति और दुग्ध क्रांति के माध्यम से ठेठ देशज अर्थ व्यवस्था की स्थापना और विस्तार में लगे रहे। सामारिक दृष्टि से उनका श्रेष्ठ […]
देवेन्द्रसिंह आर्य (चेयरमैन) प्राचीन काल से अद्यतन पर्यन्त मानव की इच्छा रही है -शांति की खोज। इसलिए चाहे आज का मानव कितना भी भौतिक संसाधनों से परिपूर्ण है, तथा कितना भी व्यस्त है, परंतु वह एक असीम शांति की चाह में अवश्य है। मानव को असीम शांति कैसे प्राप्त हो सकती है? इस पर हमारे […]