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बेरोजगारी की डराती तस्वीर

प्रमोद भार्गव भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बना देने का सपना दिखाने वालों की नींद अब टूटनी चाहिए। जिस युवा जनसंख्या के बूते इक्कीसवीं शताब्दी के भारतीय युवाओं की शताब्दी होने का दंभ भरा जा रहा है, उसे उत्तर प्रदेश में खड़ी शिक्षित बेरोजगारों की फौज ने आईना दिखा दिया है, जहां विधानसभा सचिवालय में […]

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सृष्टि में मनुष्यों का प्रथम उत्पत्ति स्थान और आर्यों का मूल निवास

हमारा यह संसार वैदिक मान्यता के अनुसार आज से 1 अरब 96 करोड़ 08 लाख 53 हजार 115 वर्ष पूर्व बनकर आरम्भ है।  इस समय मानव सृष्टि संवत् 1,96,08,53,116 हवां चल रहा है। यह वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से आरम्भ हुआ है। इस सृष्टि सम्वत् के प्रथम दिन ईश्वर ने मनुष्यों को किस स्थान पर […]

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हिन्दू समाज में जातीय समन्वय के अद्भुत ऐतिहासिक प्रसंग (2)

दिनेश चंद्र त्यागी गतांक से आगे…. विजय नगर हिंदू साम्राज्य सन 1335 ई. में स्थापित होकर लगभग तीन सौ वर्ष तक अविजित रहा। यादव जाति ने जहां अपने शौर्य व पराक्रम का परिचय दिया वहीं इस साम्राज्य की स्थापना में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बलात मुसलमान बना लिये गये हरिहर व बुक्का को फिर से हिंदू […]

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क्या नदियों को जोडऩा जरूरी है?

नदियों को जोडऩे की महत्त्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत एक और कामयाबी मिली। कृष्णा और गोदावरी नदियों के मिलन के साथ ही आंध्र प्रदेश का दशकों पुराना सपना साकार हो गया है। माना जा रहा है कि इन दोनों नदियों के आपस में जुडऩे से तकरीबन साढ़े तीन लाख एकड़ के भूक्षेत्र को फायदा होगा और […]

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बाबासाहेब की अंतर्दृष्टि के अनुरूप हैं संघ प्रमुख के विचार

परवीन गुगनानी सरसंघचालक जी अर्थात राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, प्रमुख मोहन रावजी भागवत के आरक्षण व्यवस्था पर पुनर्विचार की आवश्यकता व्यक्त करनें से वैचारिक तूफ़ान खड़ा हो गया है. संघप्रमुख ने आरक्षण के औचित्य पर प्रश्न कतई नहीं किया है, यह स्पष्ट है. मीडिया ने जानबूझकर उनसे बीते वर्षों में समय समय पर सार्वजनिक तौर […]

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समाज का पुराण वर्णित अन्ध विश्वासों का आचरण

मनमोहन सिंह आर्य सृष्टि की रचना करने के बाद से ईश्वर मनुष्यों को जन्म देता, पालन करता व उनकी सभी सुख सुविधा की व्यवस्थायें करता चला आ रहा है। हमारी यह सृष्टि लगभग 1 अरब 96 करोड़ वर्ष पूर्व ईश्वर के द्वारा अस्तित्व में आई है। सृष्टि को बनाकर ईश्वर ने वनस्पतियों व प्राणीजगत को […]

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सप्तऋषियों और चतुष्टय वेदज्ञों में एक महर्षि अंगिरा

अशोक प्रवृद्ध दिव्य अध्यात्मज्ञान, योगबल, तप-साधना एवं मन्त्रशक्ति के लिए विशेष रूप से प्रतिष्ठित महर्षि अंगिरा भारतीय सनातन वैदिक परम्परा के आदि पुरूषों में से एक हैं, जिन्हें सृष्टि के आदि काल में वेद ज्ञान को सुनने , समझने और आदिपुरूष ब्रह्मा को समझाने का सौभाग्य प्राप्त है ।पुरातन ग्रंथों के अनुसार महर्षि अंगिरा ब्रह्मा […]

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कृषकों की आत्महत्त्याएं कैसे रुकेगी?

डॉ. मधुसूदन 1. कृषकों की आत्महत्त्याओं को घटाने के लिए।प्रायः ६० करोड की कृषक जनसंख्या, सकल घरेलु उत्पाद का केवल १५ % का योगदान करती है। और उसीपर जीविका चलाती है।विचारक विचार करें।अर्थात, भारत की प्रायः आधी जनसंख्या और, केवल १५% सकल घरेलु उत्पाद? बस? जब वर्षा अनियमित होती है, तब इन का उत्पाद घट कर […]

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वेदों का ज्ञान और समाज का पुराण वर्णित अन्ध विश्वासों का आचरण

सृष्टि की रचना करने के बाद से ईश्वर मनुष्यों को जन्म देता, पालन करता व उनकी सभी सुख सुविधा की व्यवस्थायें करता चला आ रहा है। हमारी यह सृष्टि लगभग 1 अरब 96 करोड़ वर्ष पूर्व ईश्वर के द्वारा अस्तित्व में आई है। सृष्टि को बनाकर ईश्वर ने वनस्पतियों व प्राणीजगत को बनाया और इसमें […]

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निर्माण एवं सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा

मृत्युजंय दीक्षित श्रेष्ठश्रम को  साधना और समर्पण वृद्धि की जोड़ मिले तो समाज में नि:संदेह समृद्धि पैदा होगी। श्रम से अर्थोत्पादन होता है और अर्थ ही इच्छापूर्ति का साधन  है। श्रम ही यज्ञ है साधन और अनुसंधान उसके उपचार हैं। कुशलता इस साधन की उपलब्धि है। भगवान विश्वकर्मा जी ने अपने श्रेष्ठ कार्यो के द्वारा […]

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