डॉ. उमंग जे. पंडया आयुर्वेद को पांचवां वेद माना गया हैं। वेदों के इस नित्य नूतन एवं चिर सनातन विज्ञान में गर्भ संस्कार का काफी महत्व बताया गया है। आचार्य चरक, आचार्य सुश्रुत आदि ऋषि-मुनियों ने इसका वैज्ञानिक प्रतिपादन भी किया है। सभी आचार्यों ने अपनी संहिताओं के शारीरस्थान में इस विषय का विस्तृत वर्णन […]
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राणा प्रताप शर्मा आदिकाल से ही हमारे देश में अनेक खोजें होती रहीं हैं। भारतीय गणित के इतिहास का शुभारंभ ऋग्वेद से होता है। आदिकाल (500ई.पू.) भारतीय गणित के इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस काल में शून्य तथा ‘दाशमिक स्थानमानÓ पद्धति का आविष्कार गणित के क्षेत्र में भारत की यह निश्चित रूप से […]
उगता भारत ब्यूरो प्राचीन समय से ही मनुष्य नाड़ी देखकर रोगों की पहचान करने का सिस्टम चला आ रहा है । प्राचीन काल में तो ऐसे भी वैद के जानकार हुए जो नाड़ी देखकर व्यक्ति के शरीर का हाल बता देते थे और गंभीर से गंभीर रोग की पहचान नाड़ी देखकर कर लेते थे। आज […]
हेमा हरि उपाध्याय प्रकृति के पांच तत्व धरती , आकाश, जल, वायु और अग्नि को मानव मात्र ने प्रदूषित किया है इन पांच तत्वों की पूजा कर इनका संवर्धन व संरक्षण करना हमारा प्रथम कर्तव्य है । लेकिन हमने अपनी अति आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए इन सभी साधनों को प्रदूषित कर दिया हैं । […]
आज के दौर में वैश्विक व्यापार में भारत के कुछ ही व्यापारिक परिवार विश्व में अपना सिक्का चला पाए है। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारत के वैश्यों ने बड़े पैमाने पर भारतीय उत्पादों को दूर देशों तक पहुंचाने का कार्य किया था जिस कारण भारतीय उत्पादों व भारतीय संस्कृति के प्रति आज […]
राम पुनियानी हमारी समृद्ध सांझा संस्कृति के चन्द उदाहरण मात्र हैं। परंतु साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद, जो इस समय दिन दूनी रात चौगुनी गति से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है, को इस सबसे कोई मतलब नहीं है। वह चाहता है कि हर संस्कृति, हर विचार और हर परंपरा हिन्दू संस्कृति का अंग बन जाए। तुर्रा यह है […]
अमिताभ स. सयाने बताते हैं कि जिंदगी में स्वप्न और बीज की सबसे बड़ी अहमियत है। हालांकि दोनों बेशक एक मामूली विचार बिंदु बन कर मन में उभरते हैं, लेकिन इनमें बहुत बड़ा करने की असीम सम्भावनाएं होती हैं। वास्तव में, दोनों का चरित्र या प्रकृति एक समान है। अमेरिकी लेखक नेपोलियन हिल इसे यूं […]
आज दशहरा का पावन पर्व है। इससे पूर्व 9 दिन तक देवी मां के भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा-अर्चना और उपासना हमने की थी। इससे भी पहले 15 दिन तक श्राद्ध पक्ष हमने मनाया था। अब जानने व समझने की बात यह है कि भारतीय संस्कृति में क्या है श्राद्ध पक्ष का महत्व? क्या है दुर्गा […]
🌹आर्य समाज के प्रवक्ता और वेद प्रचारक स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक का उत्तर : – महाबली हमुमान जी वानर = बन्दर नहीं थे. वे वेदों के बड़े विद्वान्, बलवान, ब्रह्मचारी और तपस्वी ‘मनुष्य’ थे. इसके कुछ प्रमाण मैं यहाँ लिखता हूँ : – १- हनुमान जी की माता जी का नाम ‘अंजनी’ था. और पिता जी […]
वीडियो रणथंभौर के अभयारण्य (बाघों के लिए सुरक्षित वन क्षेत्र) का है। जहां मनुष्य के बसने पर प्रतिबंध है उस स्थान पर कब्र और उसपर हरे रंग का कवर कैसे किया गया? आज पूरे भारत में कहीं भी पीर की कब्र रातों रात बना दी जाती है। फ्लाईओवर पर भी पीर की कब्र बना दी […]