अयोध्या में राम मंदिर बना है तो कई प्रकार की घटनाओं पर इस समय चर्चाएं चल रही हैं । कम्युनिस्ट इतिहासकारों ने जिस प्रकार हमारे भारतीय वीर वीरांगनाओं के इतिहास को छुपाया अब उनके पाप उजागर होने लगे हैं । कई लोगों का ध्यान इतिहास की उन धूल फांकती पुस्तकों की ओर गया […]
श्रेणी: हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष
डॉ. अंबेडकर वर्ण व्यवस्था एवं जाति व्यवस्था को परस्पर विरोधी मानते हैं और वर्ण व्यवस्था के मूल तत्त्वों की प्रशंसा करते हैं। उन्हीं के शब्दों में उनके मत उद्धृत हैं- (क) ‘‘जाति का आधारभूत सिद्धान्त वर्ण के आधारभूत सिद्धान्त से मूल रूप से भिन्न है, न केवल मूल रूप से भिन्न है, बल्कि मूल […]
भाई-बहिन- मुझ से छोटी एक बहन फिर उससे छोटा भाई फिर एक और भाई हुए अर्थात् दो भाई फिर एक बहन’ और हुए थे । तब तक मेरी १६ वर्ष की अवस्था हुई थी (इससे प्रकट है कि स्वामी जी सब से बड़े थे और उनके ज्ञानानुसार कुल तीन भाई और दो बहनें थीं।) पहली […]
26 फरवरी बलिदान दिवस(पुण्यतिथि) पर उन्हें कोटि कोटि नमन।करांची में हुए मुस्लिम लीग के अधिवेशन में ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चौदहवें समुल्लास को इस्लाम के विरुद्ध बताते हुए जब्त करने का प्रस्ताव पास किया गया |सिंध के मंत्रिमंडल ने जब ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चौदहवें समुल्लास को हटा देने की घोषणा की , तो देश भर में […]
आज स्वातन्त्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि है। 83 वर्ष की आयु में वीर सावरकर ने हिन्दू साधुओं की प्राचीन परंपरा अपनाकर, तिथि माघ शुक्ल एकादशी को अन्न, जल और दवाइयों का त्याग कर दिया। उनका कहना था, “जब जीवन का उद्देश्य पूरा हो जाए, और समाज की सेवा करने लायक ताकत न बचे, […]
पुण्यतिथि 27 फरवरी पर शत शत नमन चंद्रशेखर आजाद का क्रांतिकारी जीवन का केंद्र बिंदु झांसी रहा था ! जहाँ क्रांतिकारियों में उनके २-3 करीबियों में से एक सदाशिव राव मलकापुरकर रहते थे ! चंद्रशेखर आजाद अपने जीवन में बहुत अधिक गोपनीयता रखते थे इस कारण वह आजीवन कभी भी पुलिस द्वारा पकडे नहीं गए […]
#BajiraoPeshwa 25 फरवरी 1728 द्वितीय विश्व युद्ध के प्रसिद्ध सेनानायक फील्ड मार्शल मांटगुमरी ने युद्धशास्त्र पर आधारित अपनी पुस्तक ‘ए कन्साइस हिस्ट्री ऑफ़ वारफेयर’ में विश्व के सात प्रमुख युद्धों की चर्चा की है। इसमें एक युद्ध पालखेड़ (कर्नाटक) का है, जिसमें 27 वर्षीय बाजीराव पेशवा (प्रथम) ने संख्या व शक्ति में अपने से दुगनी […]
(सन् १८२४ ई० से १८७५; तदनुसार सं० १८८१ से १९३१ वि० तक) बचपन : वैराग्य: गृहत्याग व संन्यास मेरा वास्तविक उद्देश्य:देश-सुधार व धर्म-प्रचार- हमसे बहुत लोग पूछते हैं कि हम कैसे जानें कि आप ब्राह्मण हैं। आप अपने इष्टमित्र भाई बन्धुओं के पत्र मंगा दें अथवा किसी की पहचान बता दें ऐसा कहते हैं, इसलिए […]
#डॉविवेकआर्य आज जय भीम, जय मीम का नारा लगाने वाले दलित भाइयों को आज के कुछ राजनेता कठपुतली के समान प्रयोग कर रहे हैं। यह मानसिक गुलामी का लक्षण है। दलित-मुस्लिम गठजोड़ के रूप में बहकाना भी इसी कड़ी का भाग हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम प्रमुख समाज सुधारकों के रूप में […]
महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की अद्भुत धारणा शक्ति… महर्षि दयानन्द जी की धारणा शक्ति अपूर्व थी, उन्होंने एक बार पं० भगवान वल्लभ से सुश्रुत संहिता जो हजारों पृष्ठ का ग्रन्थ था, मंगवाकर देखा, और एक दो दिन में ही उस पर इतना अधिकार कर लिया कि प्रश्न उठने पर प्रत्येक, प्रसंग का वाक्य उद्धत करने […]