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पर्यावरण

भूकंप से बार बार क्यो डोल रही है धरती!

डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट उत्तराखंड समेत नेपाल और भारत के अन्य क्षेत्रों में धरती एक बार डोलने लगी। भूकंप के तेज झटकों से लोग दहशत में आ गए।बीती आधी रात करीब 1 बजकर 58 मिनट पर आये भूकंप के झटकों ने लोगों की नींद ही उड़ा दी।भूकंप के झटके इतने तेज थे कि गहरी नींद […]

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पर्यावरण

संघ द्वारा भारतीय समाज को साथ लेकर पर्यावरण में सुधार के किए जा रहे हैं प्रयास

बीते कुछ वर्षों में कंकरीट की इमारतों में इजाफे और भूमि प्रयोग में बदलाव की वजह से भारत में तापमान लगातार बढ़ रहा है। देश के शहरों में अर्बन हीट आइलैंड बढ़ रहे हैं। अर्बन हीट आइलैंड वह क्षेत्र होता है जहां अगल-बगल के इलाकों से अधिक तापमान रहता है। कई स्थानों पर अधिक ज्यादा […]

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पर्यावरण

‘खादर , खजूर और घरबरा गांव का खजूरस्तान’

खजूर के पेड़ की ऊंचाई 25 से लेकर 30 फीट तक हो जाती है…… संत कबीर के इस दोहे ने खजूर को अनाहक ही बदनाम किया है। बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर । पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ।। संत कबीर यदि जनपद गौतम बुध नगर के यमुना व […]

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रामायण, श्रीराम और पर्यावरण (भाग) 1

_________________________ महर्षि वाल्मीकि जो न केवल आदिकवि ,आदि इतिहासकार भी हैं उनके द्वारा प्रणीत रामायण महाकाव्य भारतवर्ष ही नहीं संसार के महाकाव्यों में सर्वोच्च स्थान रखता है| रामायण आर्य सभ्यता और संस्कृति का दर्पण है| वाल्मीकि रामायण के अध्ययन से हम रामायण कालीन ज्ञान विज्ञान कला कौशल धार्मिक पारिवारिक सामाजिक मूल्यों लोकाचार नर नारी की […]

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यदि चाहे हम हर घर जल, बचत-प्रबंधन इसके हल  

हम यह भूल जाते हैं कि पानी के बिना वे सब बेकार हैं। हम अपनी जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते रहते हैं। कम से कम हममें से हर व्यक्ति अपने घरों और कार्यस्थलों में पानी का उचित इस्तेमाल तो कर ही सकता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि सड़क किनारे लगे […]

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कबूतरों की अनियंत्रित वृद्धि अप्राकृतिक और परेशानियाँ बढ़ानेवाली

  कई हाऊसिंग सोसायटियों के परिसरों में खुले स्थानों पर बड़ी संख्या में कबूतर घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं। बिल्डिंग के कुछ लोग उन्हें खाना खिलाकर प्रोत्साहित करते हैं। देश में सबसे आम पक्षियों में सबसे पहले कबूतर और उसके बाद कौवा आता है। इसका कारण भोजन और शहरीकरण की प्रचुरता और आसान उपलब्धता […]

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प्रकृति संरक्षण: हमारे समाधान प्रकृति में हैं

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नींव है। प्रकृति है तो जीवन है, जीवन है तो मानव है, मानव है तो मानवता है। प्रकृति संरक्षण सबसे बड़ा पुण्य […]

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पर्यावरण

वराहमिहिर का जलान्वेषण विज्ञान आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी भारतीय जलविज्ञान की पिछली पोस्टों में बताया जा चुका है कि वराहमिहिर के भूमिगत जलान्वेषण विज्ञान द्वारा वृक्ष- वनस्पतियों,भूमि के उदर में रहने वाले जीव-जन्तुओं की निशानदेही और भूमिगत शिलाओं या चट्ठानों के लक्षणों और संकेतों के आधार पर भूमिगत जल को कैसे खोजा जा सकता है? आज इस पोस्ट […]

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हिमनदियों-गिरिस्रोतों का उद्गम स्थल उत्तराखंड झेल रहा है भीषण जल संकट

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन अत्यंत चिंता का विषय है कि विभिन्न नदियों का उद्गम स्थल उत्तराखंड पीने के पानी के संकट से सालों से जूझ रहा है. गर्मियों के सीजन में हर साल पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को भीषण जल संकट से गुजरना पड़ता है किन्तु उत्तराखंड राज्य का जल प्रबंधन […]

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पर्यावरण

उत्तराखंड में वनों की कटाई से गहराता जलस्रोतों का संकट

लेखक:- डॉ. मोहन चंद तिवारी प्राकृतिक जल संसाधनों जैसे तालाब, पोखर, गधेरे, नदी, नहर, को जल से भरपूर बनाए रखने में जंगल और वृक्षों की अहम भूमिका रहती है.जलवायु की प्राकृतिक पारिस्थितिकी का संतुलन बनाए रखने और वर्तमान ग्लोबल वार्मिंग के प्रकोप को शांत करके आकाशगत जल और भूमिगत जल के नियामक भी वृक्ष और […]

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