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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-5

अत: पश्चिम का आज का भौतिकवाद जिस प्रकार की श्रंगारप्रिय सामग्री मानव को परोस रहा है उसमें कामचेष्टा बलवती होनी स्वाभाविक है। तेल, उबटन, स्नान, इत्र, माला, आभूषण, अट्टालिका आदि के मध्य रहकर कोई स्त्री प्रसंग का निषेध करेगा भी तो कुण्ठा और मानसिक तनाव की अन्य व्याधियों से ग्रसित होगा ही। जैसे-खाली मन इंसान […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्रपति पद के लिए एक नाम यह भी

भारत के नये राष्ट्रपति का चुनाव इन दिनों चर्चा में है। नये-नये नाम इस पद के लिए प्रत्याशी के लिए वैसे ही आ-जा रहे हैं, जैसे ऊपर से गिरते पानी में बुलबुले आते हैंं और समाप्त हो जाते हैं। बहुतों के मन में लड्डू फूट रहे हैं कि इस बार हो सकता है वही देश […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-4

पश्चिमी देशों की मान्यता है कि यदि वीर्य के स्वाभाविक वेग को रोकने का प्रयास किया तो मानसिक व्याधियां जन्मेंगी। किंतु ऐसा होगा कब? इसे पश्चिमी देशों ने नही समझा। वस्तुत: ऐसा तभी होता है-जबकि वीर्य को रोक तो लिया जाए किंतु रोककर शरीर में खपाने की प्रक्रिया से मानव अनभिज्ञ रहे। यह अवस्था कुछ […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र, भाग-3

यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि मानव जब तक इस रोग से ग्रसित रहता है (अर्थात यौवन में रहता है) तब तक वह इसे आनंद का विषय मानकर रोग मानने को तत्पर नहीं होता। हां! जब रोग शांत होता है और इंद्रियां जवाब दे जाती हैं तो उसे ज्ञात होता है कि जिसे तू आनंद […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

चौदहवें रतन को खोजता देश

भारत के चौदहवें राष्ट्रपति का चुनाव निकट है। हमें भाजपा की ओर से शीघ्र ही नये राष्ट्रपति का नाम मिलने वाला है। इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह,  अरूण जेटली, वैंकैया नायडू को नियुक्त कर दिया है। विपक्षी दलों से समन्वय स्थापित कर ये तीनों मंत्री अगले राष्ट्रपति […]

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पर्यावरण राजनीति संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र भाग-2

अन्नोत्पादन से कितने ही जीवों की हत्या हलादि से होती है। वनों का संकुचन होता है। फलत: पर्यावरण का संकट आ खड़ा होता है। इसलिए प्राकृतिक और स्वाभाविक रूप से जो कुछ हमें मिल रहा है वही हमारा स्वाभाविक भोजन है। अत: अन्न  से रोटी बनाना और उसे भोजन में ग्रहण करना तो एक बनावट […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

राष्ट्र के वृत्त की परिधि का केन्द्र है हिन्दुत्व

समाचार है कि मुजफ्फरनगर और सहारनपुर दंगों की आड़ में अलकायदा ने भारतीय मुसलमानों से जिहाद में सम्मिलित होकर अपनी सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने की भावुक अपील की है। भारत में इस आतंकी संगठन का प्रमुख असीम उमर है। जिसके विषय में सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि उसके तार पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जुड़े […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

कश्मीर : तथ्य और सत्य

कश्मीर : तथ्य और सत्य जम्मू कश्मीर राज्य की भारत संघ में विशेष स्थिति है। यह एक पहाड़ी राज्य है। इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 92 प्रतिशत भाग पहाड़ी है। यहां की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर है, तो शीतकालीन राजधानी जम्मू है। इस राज्य का कुल क्षेत्रफल (पाकिस्तान तथा चीन द्वारा कब्जाए गये क्षेत्रफल सहित) 2, […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र

संतति निरोध की मूर्खतापूर्ण नीतियां अपनाने का षडय़ंत्र भारत में संतति निरोध की नीतियां भी पश्चिम के अंधानुकरण पर टिकी हैं। इस विषय को इससे जुड़ी हुई गुत्थ्यिों को हमारे राजनीतिज्ञों ने पश्चिमी दृष्टिकोण से ही देखा और समझा है। पश्चिमी दृष्टिकोण से बढक़र दुर्भाग्यपूर्ण है इस विषय पर इस्लामिक दृष्टिकोण को मान्यता देने की […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

बाबा साहेब और भीम सेना

यदि डा. भीमराव अंबेडकर जी आज होते तो अपने नाम के हो रहे दुरूपयोग को देखकर बहुत आहत होते। डा. भीमराव अंबेडकर अपने नाम पर बनायी गयी ‘भीमसेना’ को बनाने की अनुमति भी कभी नही देते। साथ ही मायावती की ‘जय भीम और जयमीम’ योजना को भी कभी अपनी स्वीकृति प्रदान नहीं करते। स्पष्ट है […]

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