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संपादकीय

कांति ,शांति, क्रांति और हिंदू अस्तित्व की खोज

भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। इसी सभ्यता को यदि ‘विश्व सभ्यता’ कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत विश्वगुरु इसीलिए था कि भारत की सभ्यता और संस्कृति ने विश्व के लोगों का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व और मार्गदर्शन किया। भारत को समझने का अर्थ है – हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का सच […]

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संपादकीय

‘रेवड़ी संस्कृति’ और देश के राजनीतिक दल

देश में बढ़ती ‘रेवड़ी संस्कृति’ लोकतंत्र पर सीधा हमला है। जिन लोगों को इसका तात्कालिक लाभ मिल रहा है, वह हमारी बातों से चाहे सहमत ना हों, पर सच यही है कि ‘ रेवड़ी संस्कृति’ लोक कल्याणकारी राज्य की मान्यता को आघात पहुंचाती है। ‘रेवड़ी संस्कृति’ में देखने में तो ऐसा लगता है कि जैसे […]

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संपादकीय

हिंदू महासभा और आर्य समाज को अपना ग्रास बनाता आर0एस0एस0 ?

वीर सावरकर जी ने कहा था :–  आसिंधु सिंधु पर्यंता यस्य भारत भूमिका । पितृभू: पुण्यभूश्चैव सा वै हिंदू रीति स्मृता ।।  अर्थात जो इस पवित्र भारत भूमि को अपनी पुण्य भूमि और पितृभूमि मानता है , वह स्वाभाविक रूप से हिंदू है । मुसलमान और ईसाई इस भारत भूमि को अपनी भूमि तो मानते […]

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संपादकीय

समान नागरिक संहिता की बाट जोहता देश

भारत के संविधान का अनुच्छेद 30 ए बहुत ही आपत्तिजनक है। इस संवैधानिक अनुच्छेद को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु के पश्चात संविधान में ढंग से अर्थात चोरी से स्थापित करवाया था। इस पर संविधान सभा में खुलकर कोई बहस नहीं हुई थी , ना ही लोगों से किसी प्रकार […]

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संपादकीय

राहुल गांधी की पप्पूगीरी और कांग्रेस का भविष्य

‘भारत जोड़ो’ यात्रा से जो कुछ राहुल गांधी ने कमाया था, उसे उन्होंने अपने दो बार के विदेश के दौरों पर जाकर देश के विरोध में दिए गए अपने बयानों से गंवा भी दिया है। भारतीय राजनीति में इस समय नकारात्मकता का प्रतीक बनकर तेजी से उभरे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी पैरों पर अपने […]

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संपादकीय

सेंगोल के सांस्कृतिक निहितार्थ और इसका महत्व

नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद सबसे अधिक चर्चा का विषय इस समय सेंगोल अर्थात राजदंड है। बीजेपी ने कहा है कि जिस समय 1947 में 15 अगस्त को सत्ता हस्तांतरण हुआ था उस समय भी इस छड़ी को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रदान किया गया था। जिन्होंने इसे इलाहाबाद स्थित आनंद […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर , अध्याय 5,नेहरू-शेख संबंध और नेहरूवादी लेखक

आज देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि है। 27 मई 1964 को उनका देहांत हुआ था। हम सभी जानते हैं कि पंडित जवाहरलाल नेहरू धर्मनिरपेक्षता के दीवाने थे। उन्हें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर शेख अब्दुल्लाह से मिलकर महाराजा हरि सिंह को नीचा दिखाने में आनंद की अनुभूति होती थी। पीयूष बबेले ने […]

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संपादकीय

देश का विभाजन और सावरकर : अध्याय 1, नए संसद भवन का उद्घाटन और विपक्ष

नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के बहाने विपक्ष 2024 के लोकसभा चुनावों की अपनी भूमि और भूमिका तैयार कर रहा है। जितने भर भी राजनीतिक दल नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं उन्हें 2024 के चुनावों की राजनीति ऐसा करने के लिए बाध्य कर रही है। माना […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

देश विभाजन और सावरकर, अध्याय 3 सर सैयद अहमद खान का द्विराष्ट्रवाद

14 मार्च 1888 को मेरठ में दिए गए अपने भड़काऊ भाषण में सर सैयद अहमद खान ने स्पष्ट कर दिया था कि हिंदू-मुस्लिम मिलकर इस देश पर शासन नहीं कर सकते । अपने भाषण में उन्होंने कहा- “सबसे पहला प्रश्न यह है कि इस देश की सत्ता किसके हाथ में आनेवाली है ? मान लीजिए, […]

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संपादकीय

पीएम 2024 के चुनाव से पहले करें देश को हिंदू राष्ट्र घोषित

राष्ट्र के संदर्भ में जननायकों को किसी भी स्थिति परिस्थिति में पर-राष्ट्र के समक्ष झुकना नहीं चाहिए। ‘राष्ट्र-प्रथम’ को लक्ष्य में रखकर उसी के अनुसार आचरण करना चाहिए। स्वाधीनता के उपरांत यदि इसी तथ्य को दृष्टिगत रखकर राष्ट्र निर्माण में सरकारें जुटी रहतीं तो हमारा देश अब तक निश्चित रूप से ‘विश्व गुरु’ बन चुका […]

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