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संपादकीय

हसन खान मेवाती के मेवात में यह क्या हो रहा है?

मेवात में जो कुछ हो रहा है वह हमारी अतीत की गलतियों का स्वाभाविक परिणाम है। बात 1947 की है जिस समय देश सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलस रहा था। तब देश के भावी राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 5 सितंबर 1947 को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को मेवात के लोगों के मिजाज को […]

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संपादकीय

भारत में अविश्वास प्रस्तावों का रहा है रोचक इतिहास

लोकतंत्र में सरकार की तानाशाही को रोकने के लिए अनेक प्रबंध किए जाते हैं। यद्यपि सिरों की गिनती का खेल लोकतंत्र की वास्तविक पवित्र भावना को बिगाड़ देता है। किसी भी सरकार के विरुद्ध लाया जाने वाला अविश्वास प्रस्ताव एक ऐसा ही हथियार है, जिसे विपक्ष कभी भी अपनाकर सरकार को यह आभास करा सकता […]

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इतिहास के पन्नों से संपादकीय

मणिपुर समस्या के कुछ और भी पहलू हैं : मणिपुर के मतई लोगों की भारत भक्ति और सेकुलर राजनीति

नवंबर 1984 में दंगे हुए। जिनमें सिखों का नरसंहार किया गया। निश्चित रूप से वह घटना बहुत ही निंदनीय थी। पर उससे पहले जिन अनेक हिंदुओं का पंजाब में कत्ल किया गया था उनकी चर्चा नवंबर 1984 के दंगों की चर्चा में दबकर रह गई। आज तक कभी आपने यह नहीं सुना होगा कि 1984 […]

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संपादकीय

क्या समान नागरिक संहिता के माध्यम से जजिया कर को भी हटाया जा सकेगा?

वर्तमान में केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता को भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाने और उसी के अनुरूप उसे लागू करने के एक प्रस्ताव के रूप में ला रही है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में देश के जागरूक नागरिकों से, संगठनों से और राजनीतिक दलों से विचार मांगे हैं। जिससे एक […]

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संपादकीय

समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग – 3 डॉ राजेंद्र प्रसाद, हिंदू कोड बिल और नेहरू

भारत में प्राचीन काल से जिस वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था और 16 संस्कारों जैसी परंपराओं को मान्यता प्रदान की गई उससे यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि भारत में सृष्टि प्रारंभ से ही सब राष्ट्रवासियों के लिए एक जैसी विधिक व्यवस्था की गई। देश में अपराधिक कानूनों में ही नहीं बल्कि दीवानी […]

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संपादकीय

समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग – 2 नेहरू के मंदिर बनाम दयानंद के मंदिर

पंडित जवाहरलाल नेहरू वेद में आए ‘दक्षिणा’ शब्द का अर्थ नहीं जानते थे। भौतिक जगत में मंदिरों में होने वाली दक्षिणा को वह ‘हिंदू सांप्रदायिकता’ के साथ जोड़कर देखते थे। यही कारण था कि वे मंदिरों को भी संप्रदाय का प्रतीक मानते थे और नए मंदिर बनाने की वकालत नए-नए उद्योग ,हॉस्पिटल, स्कूल आदि बनाकर […]

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संपादकीय

समान नागरिक संहिता और आर्य समाज, भाग – 1 नेहरू की नीतियां और समान नागरिक संहिता

भारत में प्रत्येक राष्ट्रवासी को ( नागरिक नहीं) समान अधिकार प्राप्त हों और प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिक, शारीरिक और आत्मिक उन्नति कर सके , इसके लिए ऋषियों ने तप किया। भारतीय राष्ट्र की मानवतावादी चिंतनधारा के पीछे ऋषियों का यह तप ही काम करता रहा है। भारत के ऋषियों के द्वारा बनाई गई यह राष्ट्र […]

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संपादकीय

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई पर विशेष: विश्व नेतृत्व और विश्व जनसंख्या दिवस का पाखण्ड

वर्ष भर में ऐसे बहुत से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय दिवस आते हैं जिनकी पहचान मानवता के हित में किसी विशेष उद्देश्य को लेकर की जाती है। जैसे नेत्रदान दिवस, डॉक्टर्स डे, फादर्स डे, मदर्स डे ,श्रम दिवस, पर्यावरण दिवस इत्यादि। इसी प्रकार वर्ष में हम एक बार विश्व जनसंख्या दिवस भी मनाते हैं। इन दिवसों की […]

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संपादकीय

फ्रांस के दंगों से भारत को कुछ सीखना होगा

हमने इतिहास में पढ़ा है कि मोहम्मद बिन बख्तियार खिलजी नाम का एक विदेशी लुटेरा जो कि मानव की बौद्धिक संपदा का शत्रु था, 1199 में भारत पर हमलावर बनकर आया था। तब उसने नालंदा विश्वविद्यालय जैसे बौद्धिक संपदा के केंद्र को आग के हवाले कर दिया था। कहते हैं कि यह विश्वविद्यालय उस समय […]

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संपादकीय

कांति ,शांति, क्रांति और हिंदू अस्तित्व की खोज

भारत की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है। इसी सभ्यता को यदि ‘विश्व सभ्यता’ कहा जाए तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी। भारत विश्वगुरु इसीलिए था कि भारत की सभ्यता और संस्कृति ने विश्व के लोगों का प्रत्येक क्षेत्र में नेतृत्व और मार्गदर्शन किया। भारत को समझने का अर्थ है – हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का सच […]

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