1857 की क्रांति की जयंती के अवसर पर विशेष: एक और क्रांति की दरकार अनुभव करता देश 18 57 की क्रांति कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। देश के लोगों के भीतर 1757 के प्लासी के युद्ध के पश्चात से ही लावा धधक रहा था। अंग्रेज गवर्नर जनरल मैटकॉफ ने लिखा था कि भारत के लोग […]
श्रेणी: संपादकीय
कुछ दिन पूर्व एनसीईआरटी के द्वारा लिया गया यह निर्णय बहुत ही सराहनीय था कि अब एनसीईआरटी कक्षा 10 की किताब से प्रसिद्ध वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन से जुड़े विकासवाद के सिद्धांत को हटाया जाएगा। एनसीईआरटी की संबंधित पुस्तक में हुए इस बदलाव के बाद बड़ी संख्या में अध्यापकों और वैज्ञानिकों ने इसका विरोध किया। इसके […]
राजनीति में कूटनीति और कूटनीति में रणनीति का होना बहुत आवश्यक होता है। जिस राजनीति में कूटनीति और रणनीति ना हो वह राजनीति लूली लंगड़ी हो जाती है। प्रत्येक देश की विदेश नीति में इन तीनों चीजों का ही समन्वय होना बहुत ही आवश्यक होता है। जहां तक चीन के साथ भारत की विदेश नीति […]
पोन्नियिन सेल्वन पार्ट – 1 की सफलता के पश्चात अब पोन्नियिन सेल्वन 2 ,28 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। भारत की गौरव गाथा को प्रस्तुत करने वाली यह मूवी निश्चित रूप से नई पीढ़ी को अपने अतीत के बारे में बहुत कुछ समझाने में सफल होगी। पार्ट – 1 के माध्यम से […]
सोशल मीडिया पर ‘हिंदी-हिंदू-हिंदुस्तान’ के शुभचिंतकों की अच्छी बहस होती देखी जाती है। उनमें से कई ऐसे भी होते हैं जो पी0एम0 मोदी और सी0एम0 योगी को भी यह कहकर कोसते मिलते हैं कि इन दोनों ने भी हिंदुत्व के लिए कुछ नहीं किया। अब बात हिंदुत्व की ही करते हैं। हिंदुत्व इस देश की […]
हमारे देश के संविधान को बनाने के लिए 29 अगस्त 1947 को डॉ अंबेडकर की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया था। संविधान की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई थी। 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष […]
बात उन दिनों की है जब क्रांतिवीर सावरकर जी की योजना अनुसार महान क्रांतिकारी मदनलाल ढींगरा ने कर्जन वायली को गोली से उड़ा दिया था और कहा था कि कर्जन वायली स्वर्गधाम का नहीं , अपितु नरक धाम का अधिकारी है । इस हत्याकांड का केस लंदन की एक अदालत में विचाराधीन था । तभी […]
महात्मा गांधी ने कभी हमारे देश में ‘खिलाफत आंदोलन’ चलाया था। बहुत लोग हैं जो यह मानते हैं कि खिलाफत का अर्थ अंग्रेजों का विरोध करना था। जबकि सच यह नहीं था। सच यह था कि टर्की के खलीफा को अंग्रेजों ने जब उसके पद से हटा दिया तो उसकी खिलाफत अर्थात धार्मिक जगत में […]
हमारी सांझी विरासत और खालिस्तानी आंदोलन इतिहास इस बात का साक्षी है कि भारत की वैदिक हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए ही गुरु नानक जी ने नानक पंथ अर्थात सिक्ख मत की स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया जो भारत की वैदिक संस्कृति और […]
अपने मौलिक इतिहास की मूल चेतना को खोजता हुआ भारत आज इतिहास लेखन को लेकर नई करवट लेता दिखाई दे रहा है। कई लोगों को इस बात से बड़ी बेचैनी हो रही है कि भारत में इतिहास के पुनर्लेखन की मांग क्यों हो रही है और क्यों इस पर कार्य हो रहा है? हमें अपने […]