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भारतीय संस्कृति

देवता शराब नहीं पीते थे

—-आचार्य ज्ञान प्रकाश वैदिक सोमरस सोम के पौधे से प्राप्त था , आज सोम का पौधा लगभग विलुप्त है , शराब पीने को सुरापान कहा जाता था , सुरापान असुर करते थे , ऋग्वेद में सुरापान को घृणा के तौर पर देखा गया है , टीवी सीरियल्स ने भगवान इंद्र को अप्सराओं से घिरा दिखाया […]

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भारतीय संस्कृति

अग्निहोत्र : जिंदगी एक नियामत हजार

वेद के मन्त्र ‘ओ३म् समिधाग्निं दुवस्यत घृतैर्बोधयतातिथिम्। आस्मिन् हव्या जुहोतन स्वाहा।। इदमग्नयेे-इदन्न मम।।’ में कहा गया है कि विद्वान लोगों ! जिस प्रकार प्रेम और श्रद्धा से अतिथि की सेवा करते हो, वैसे ही तुम समिधाओं तथा घृतादि से व्यापनशील अग्नि का सेवन करो और चेताओ। इसमें हवन करने योग्य अच्छे द्रव्यों की यथाविधि आहुति […]

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भारतीय संस्कृति

आश्चर्य है कि हम मनुष्य कहलाते हैं पर मनुष्य बनने के काम नहीं करते

ओ३म् ============ मनुष्य स्वयं को मनुष्य कहता है परन्तु मनुष्य किसे कहते हैं, इस पर वह कभी विचार नहीं करता। हमारे वैदिक विद्वान बताते हैं कि मनुष्य को मनुष्य विचारशील तथा सत्य व असत्य का मनन करने के कारण से कहते हैं। मनुष्य के पास बुद्धि होती है जिससे वह उचित-अनुचित, सत्य-असत्य, कर्तव्य-अकर्तव्य, धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय, […]

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भारतीय संस्कृति

मनुष्य जीवन में यज्ञ का महत्व

मनुष्य के द्वारा भिन्न भिन्न प्रकार के जाप और तप किए जाते हैं , जिनमें यज्ञ भी एक प्रकार का साधन है। यज्ञ सृष्टि के आदि काल से अर्थात स्वाम्भुवमनु के काल से प्रचलन में है। हमारे पूर्वज ऋषि – महर्षियों ने यज्ञ को पूजा की सर्वाधिक प्राचीन पद्धति बताया है । वेदों में अग्नि […]

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भारतीय संस्कृति

सभ्य आचरण और समय का मूल्य

एक मनुष्य अपने जीवन में जितने कर्म एवं क्रियाएं करता है उनका संबंध इच्छा, संवेग ,भावना आदि से न रखते हुए ज्ञान, बुद्धि और विवेक से स्थापित करना चाहिए। यह सभी कर्म क्रियाएं तात्कालिक रूप से अभ्यांतर में अथवा कुछ समय पश्चात मनुष्य के जीवन में दूसरे मनुष्यों को प्रभावित करती हैं । जिनसे दूसरे […]

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भारतीय संस्कृति

ऋषि मनु , मनुस्मृति और नारी जाति

डॉ विवेक आर्य भारतीय समाज में एक नया प्रचलन देखने को मिल रहा है। इस प्रचलन को बढ़ावा देने वाले सोशल मीडिया में अपने आपको बहुत बड़े बुद्धिजीवी के रूप में दर्शाते है। सत्य यह है कि वे होते है कॉपी पेस्टिया शूरवीर। अब एक ऐसी ही शूरवीर ने कल लिख दिया मनु ने नारी […]

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भारतीय संस्कृति

वास्तविक संपत्ति और मित्रता

जब दुनिया में आए हो तो कुछ ना कुछ जोड़ा भी अवश्य होगा। कितनी संपत्ति जोड़ दी ? कितने मकान बना दिए ? कौन-कौन से बेटे के लिए क्या क्या कर दिया ? हमारी जीवन भर यही सोच बनी रही कि उनके लिए धन-संपत्ति जोड़कर जाना है ।उससे अगले आने वाली पीढ़ी के लिए भी […]

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इतिहास के पन्नों से भारतीय संस्कृति

अद्भुत ज्ञान विज्ञान के स्वामी थे हमारे पूर्वज

लगभग 1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को , कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी , पल , विपल ) कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा , यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! क्या कभी […]

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भारतीय संस्कृति

उठो , जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक संघर्ष करते रहो

आज समय नहीं सोने का है , आज समय नहीं खोने का है, युग के प्रहरी जाग कि मंजिल तेरी पास है। शूल सुसज्जित डोली पर विजय की चढ़ी बारात है। उपनिषद कहते हैं- चरैवेति, चरैवेति अर्थात् चलते रहो। चलते रहने का नाम जीवन है। हर स्थिति और परिस्थिति में आगे ही आगे बढ़ते चलने […]

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भारतीय संस्कृति

दान , सच्चरित्रता और स्वाभिमान

किसी वस्तु का बिना मोल लिए किसी को दिया जाना दान कहा जाता है । दान देने में स्नेह , प्रेम , आत्मीयता , लगाव , मानवता आदि ऐसे दिव्य गुण समाविष्ट होते हैं जो कभी इच्छा से तो कभी कभी अनिच्छा से भी किसी को कुछ देने के लिए हमें प्रेरित करते हैं । […]

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