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भारतीय संस्कृति

श्रीरामचरितमानस’ दिव्य लोकमंगलकारी नीतिपरक ग्रंथ

✍️ आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी रामचरितमानस एहि नामा। सुनत श्रवण पिया बिश्रमा मन करि बिषय अनल बन जरै। होइ सुखी जौं एहिं सर पराई॥ (इसका नाम रामचरितमानस है, जिसका अर्थ है जप को शांति मिलती है। मनरूपी हाथी विषयरूपी दावानल में जल रहा है, वह यदि इस रामचरितमानस रूपी झील में आ पड़े तो […]

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श्री विष्णु द्वारा प्रदत्त दिव्य अयोध्या से सृष्टि की शुरुवात

✍️ आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र स्थानों में से एक रहा है। हिन्दू धर्म में मोक्ष पाने को बेहद महत्व दिया जाता है। पुराणों के अनुसार सात ऐसी पुरियों का निर्माण किया गया है, जहां इंसान को मुक्ति प्राप्त होती है। मोक्ष यानी कि मुक्ति, इंसान को जीवन- […]

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राजा भर्तृहरि को वैराग्य कैसे हुआ?

प्राचीन उज्जैन में हुए प्रतापी राजा भर्तृहरि अपनी तीसरी पत्नी पिंगला पर कुछ अधिक ही मोहित थे और वे उस पर अत्यंत विश्वास करते थे। राजा पत्नी मोह में अपने कर्तव्यों को भी भूल गए थे। उस समय उज्जैन में एक तपस्वी गुरु गोरखनाथ का आगमन हुआ। गोरखनाथ राजा के दरबार में पहुंचे। भर्तृहरि ने […]

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महायज्ञ एवं महाव्रत अनुष्ठान”*

” 1- *” यज्ञरूप प्रभु से प्रेरणा – ईश्वर की असीम अनुकम्पा से महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज की 200 वीं जन्मशता ब्दी एवं आर्य समाज मंदिर, मुरार, ग्वालियर के 95 वे स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में *” सामवेद पारायण महायज्ञ एवं भव्य शोभायात्रा” का समायोजन ” दिनांक- 9,10,11,12 दिसम्बर,2023 में प्रातः- 9 से 12 […]

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प्रभु श्रीराम वनवासियों एवं वंचितों के अधिक करीब थे

यह एक एतिहासिक तथ्य है कि प्रभु श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने के उद्देश्य से अपनी सेना वनवासियों एवं वानरों की सहायता से ही बनाई थी। केवट, छबरी, आदि के उद्धार सम्बंधी कहानियां तो हम सब जानते हैं। परंतु, जब वे 14 वर्षों के वनवास पर थे तो इतने लम्बे अर्से तक वनवास […]

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16 संस्कार और भारतीय संस्कृति : भाग 8

संन्यास संस्कार सम्यक न्यास अर्थात विचारपूर्वक दूरी बना लेना , अथवा ऐसा भाव उत्पन्न कर लेना कि अब मैं न्यासी या ट्रस्टी हो गया हूँ । मैं निरपेक्ष हो गया हूँ । मैं राग और द्वेष से ऊपर उठ गया हूँ । अब मुझे न किसी से अधिक लगाव है ना किसी से द्वेष है […]

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भारतीय संस्कृति

हिंदुत्व, लड्डू और बैंकाक

राकेश अचल – विनायक फीचर्स बैंकॉक में तीन दिवसीय विश्व हिंदू कांग्रेस का सम्मेलन सम्पन्न हो गया और इसकी गूँज पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के प्रचार में नहीं सुनाई नहीं दी, ये हैरानी की बात है। बैंकाक दुनिया में किस बात के लिए मशहूर या बदनाम है ये बताने की जरूरत नहीं है । […]

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16 संस्कार और भारतीय संस्कृति : भाग 7

विवाह संस्कार विवाह जैसे पवित्र संस्कार को देने वाला भारत सचमुच महान है । क्योंकि उसने जब विवाह संस्कार जैसा पवित्र संस्कार संसार को प्रदान किया तो उसने समाज से सारी अनैतिकता , पापाचार , व्यभिचार को समाप्त करने और मनुष्य को पशु बनने से रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया । उसकी ओर से […]

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भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारतीय संस्कृति : भाग 6

वेदारम्भ संस्कार बच्चे का वेदारम्भ संस्कार भी भारत में प्राचीन काल में समारोह पूर्वक संपन्न कराया जाता था । इसका उद्देश्य यही होता था कि बच्चे में सूक्ष्म रूप से ऐसे संस्कार उत्पन्न हों कि वह शिक्षा या विद्या को अपने लिए बोझ न समझे , अपितु उसे अपने जीवन का श्रंगार मानकर सहज रूप […]

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आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारतीय संस्कृति : भाग 5

9 . कर्णवेध संस्कार   कर्णवेध संस्कार को आज की युवा पीढ़ी ने अपनाने से इंकार कर दिया है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से इस संस्कार को अंग्रेजीपरस्त लोगों ने हमारे लिए अनुपयोगी सिद्ध करने का प्रयास किया । प्रचलित शिक्षा प्रणाली में हमारे भीतर कुछ इस प्रकार के अवगुण भरने का प्रयास किया […]

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