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आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारतीय संस्कृति : भाग 5

9 . कर्णवेध संस्कार   कर्णवेध संस्कार को आज की युवा पीढ़ी ने अपनाने से इंकार कर दिया है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात से इस संस्कार को अंग्रेजीपरस्त लोगों ने हमारे लिए अनुपयोगी सिद्ध करने का प्रयास किया । प्रचलित शिक्षा प्रणाली में हमारे भीतर कुछ इस प्रकार के अवगुण भरने का प्रयास किया […]

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आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारत की वैश्विक संस्कृति, भाग 4

7 — अन्नप्राशन संस्कार जब बालक 6 माह का हो जाए तो उसे पहली बार अन्न ग्रहण कराया जाना चाहिए । शास्त्रों की व्यवस्था है कि इस अवसर पर भी यज्ञ करना चाहिए । जिससे पहली बार अन्न ग्रहण करने वाले बालक के हृदय और मस्तिष्क में यज्ञ की परोपकारी भावना विकसित हो। उसका एक […]

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भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारतीय संस्कृति ,भाग 3

5 नामकरण संस्कार बच्चे के नामकरण संस्कार के बारे में हमारे विद्वानों की मान्यता रही कि नाम सार्थक होने चाहिए। जिससे बच्चे में जीवन भर एक भाव बना रहे कि तुझे अपने नाम को सार्थक करना है । हमारे यहां पर विष्णु , महेश , ब्रहम , ब्रह्मदेव , ज्ञानानन्द , रामानन्द , शिवानन्द जैसे […]

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ऋषिकेश के प्रमुख आकर्षण

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी ऋषिकेश उत्तरखण्ड के देहरादून ज़िले में देहरादून के निकट एक नगर है। यह गंगा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और हिन्दुओं का एक तीर्थस्थल है, जहाँ प्राचीन सन्त उच्च ज्ञानान्वेषण में यहाँ ध्यान करते थे।नदी के किनारे कई मन्दिर और आश्रम बने हुए हैं। इसे “गढ़वाल हिमालय का […]

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16 संस्कार और भारत की वैश्विक संस्कृति, भाग 2

3 – सीमन्तोन्नयन संस्कार इस संस्कार के माध्यम से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास करने का विधान किया गया है । सीमन्त का अर्थ ही मस्तिष्क है और उन्नयन का अर्थ उसका विकास करना है । कहने का तात्पर्य है कि जिस संस्कार के माध्यम से बच्चे का मानसिक विकास किया जाए उसे सीमंतोन्नयन […]

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आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारत की वैश्विक संस्कृति, भाग 1

अब हम इस अध्याय में उन 16 संस्कारों का संक्षिप्त विवरण देंगे जो भारत की अथवा हिंदुत्व की चेतना के मूल स्वरों में सम्मिलित हैं । अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इन 16 संस्कारों को दो भागों में विभक्त कर लिया है । पहले अध्याय में हम पहले 8 संस्कारों के बारे में तो […]

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नहले पर दहला

एक मतान्ध आकर बोला की आर्यसमाज और इस्लाम तो एक ही हैं। दोनों निराकार ईश्वर को मानते है और दोनों मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं करते। मैंने कहा आपको पूरी जानकारी नहीं हैं। ईश्वर और अल्लाह एक नहीं हैं। ईश्वर वो है जिनके विषय में वेदों में बताया गया हैं। अल्लाह वो है जिनके विषय में […]

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ओ३म् “हमारी सृष्टि परमात्मा ने जीवात्माओं के सुख के लिये बनाई है”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हम जन्म लेने के बाद संसार में अस्तित्वमान विशाल ब्रह्माण्ड व इसके प्रमुख घटकों सूर्य, चन्द्र तथा पृथिवी सहित असंख्य तारों को झिलमिलाते हुए देखते हैं। पृथिवी कितनी विशाल है इसका अनुमान करना भी सबके बस की बात नहीं है। इस सृष्टि में मनुष्य व सभी प्राणियों के उपभोग की सभी […]

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सतयुग में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी वैवस्वत मनु द्वारा मत्स्य अवतार के रूप अयोध्या बसाई गई थी :- सतयुग मे अनेक अवतार भगवान विष्णु ने लिए थे। पहले अवतार में हयग्रीव से वेदों कि सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था। प्रभु ने सतयुग में मत्स्य अवतार के रूप में पृथ्वी पर […]

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वेदोत्पत्ति पर वेद का कथन

★★★★★★ √●वेदों की उत्पत्ति के विषय में परम्परा से प्राप्त कुछ तथ्य हमें ज्ञात होते हैं । परन्तु वेद भी अपनी उत्पत्ति की कहानी बताते हैं । साथ ही साथ, वे वैदिक ज्ञान की महत्ता पर भी प्रकाश डालते हैं । इसका एक विवरण ऋग्वेद के दशमें मण्डल के ७१वें सूक्त में प्राप्त होता है, […]

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