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भारतीय संस्कृति

अष्टाचक्रा दिव्य अयोध्या

✍️ आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी अयोध्या वैकुंठ नगर है :- अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी सम्पन्नता की तुलना स्वर्ग और मानव शरीर के आत्म तत्व परम पिता परमेश्वर से की गई है। जो देवताओं, राक्षसों,शत्रुओं तथा पातक समूह से जीती ना जा सके उसे अयोध्या कहते हैं। […]

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भारतीय संस्कृति हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

धनुर्धारी श्री राम के अविस्मरणीय कथन_

“ निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ प्रण कीन्ह!” “…भय विन होत न प्रीत” आजकल लगभग सभी समाचार पत्रों सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं और टीवी समाचार चैनलों में “श्रीराम जन्म भूमि मंदिर” अयोध्या धाम में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के शुभाअवसर पर अति उत्साहित व भक्ति रस में डूबे हुई कार सेवकों की संघर्ष […]

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भारतीय संस्कृति

भारत में सांस्कृतिक धरोहरों को दिलाया जा रहा है उचित स्थान

22 जनवरी 2024 को प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या में सम्पन्न होने जा रही है। पिछले लगभग 500 वर्षों के लम्बे संघर्ष के पश्चात श्रीराम लला टेंट से निकलकर एतिहासिक भव्य श्रीराम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। पूरे देश का वातावरण राममय हो गया है। न केवल भारत के […]

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भारत के उपनिषदों का ज्ञान और हमारा राष्ट्रीय जीवन

भारत की राष्ट्रीय चेतना को आर्ष ग्रंथों ने बहुत अधिक प्रभावित किया है । दीर्घकाल तक भारतीय संस्कृति की प्रेरणा के स्रोत बने इन ग्रंथों ने भारत के राष्ट्रीय मानस को ,राष्ट्रीय चेतना को , राष्ट्रीय परिवेश को और राष्ट्रीय इतिहास को इतना अधिक प्रभावित किया है कि इनके बिना भारतीयता के उद्बोधक इन सभी […]

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भारतीय संस्कृति

प्रणाम की प्रक्रिया और उसका महत्व

मनुष्य अनादि काल से अपना पूरा जीवन आत्मा और परमात्मा के गूढ़ रहस्य को जानने की जिज्ञासा में रेगिस्तान में जल के लिये भटकते एक मृगतृष्णा की भांति समाप्त कर देता है और वह तामसिक प्रवृत्तियों के गहन अंधकार में निमग्न रहकर प्रणाम, प्रार्थना और विसर्जन के मूल तत्व तक से अनभिज्ञ बना रहता है। […]

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भगवान श्री राम का पावन चरित्र

आज देश में चारों ओर एक ही नाम की प्रसिद्धि छाई हुई है और वो नाम है श्री राम का । कारण कि लगभग 500 वर्षों से देश जिस संघर्ष से जूझ रहा था उसका अंततः समापन हुआ और 5 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के करकमलों से राम […]

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वैराग्य―साधना

यह वैराग्य क्या है? महर्षि पतञ्जलि महाराज ने वैराग्य की परिभाषा करते हुए योगशास्त्र में लिखा है― दृष्टानुश्रविकविषयवितृष्णस्य वशीकारसंज्ञा वैराग्यम् । ―(योग० १/१५) अर्थात्― देखे और सुने हुए विषयों की तृष्णा का भी मन में न रहना वैराग्य कहलाता है। जब सांसारिक विषयों की मन में इच्छा भी नहीं रहती तो मनुष्य का ध्यान परमात्मा […]

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श्रीराम का कर्तव्य पथ

त्रेता में स्वर्गिक वातावरण व्याप्त था। हर वृद्ध को पूजा व सत्कार के योग्य समझा जाता था और हर नारी को देवी मानकर पूजा जाता.राम केवल वाल्मीकि रामायण के ही नायक नहीं अपितु आदि आर्यावर्त को एक सूत्र में जोड़ने वाली आल्हादक शक्ति हैं। उनका प्रेरणादायक और विलक्षण व्यक्तित्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है […]

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तुलसीदास के “दोहाशतक” में श्रीराम जन्मभूमि विध्वंस का वर्णन

✍️ आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी यह तर्क हमेशा दिया जाता रहा है कि अगर बाबर ने राम मंदिर तोड़ा होता तो यह कैसे सम्भव होता कि महान रामभक्त और राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास इसका वर्णन पाने इस ग्रन्थ में नहीं करते । यही प्रश्न इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष भी था। […]

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श्रीरामचरितमानस’ दिव्य लोकमंगलकारी नीतिपरक ग्रंथ

✍️ आचार्य डॉ. राधे श्याम द्विवेदी रामचरितमानस एहि नामा। सुनत श्रवण पिया बिश्रमा मन करि बिषय अनल बन जरै। होइ सुखी जौं एहिं सर पराई॥ (इसका नाम रामचरितमानस है, जिसका अर्थ है जप को शांति मिलती है। मनरूपी हाथी विषयरूपी दावानल में जल रहा है, वह यदि इस रामचरितमानस रूपी झील में आ पड़े तो […]

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