*”व्यक्ति सुबह जब से जागता है, तभी से वह बोलना आरंभ कर देता है। और रात्रि को सोने तक पूरे दिन वह बोलता ही रहता है। जो भी व्यक्ति उसे मिलता है, उसी के साथ वह कुछ न कुछ बातें करता ही रहता है।”* प्रायः लोगों में एक प्रवृत्ति और देखी जाती है, कि *”वे […]
श्रेणी: आज का चिंतन
डॉ. विवेक आर्य सठियाला गांव, जिला अमृतसर के रहने वाले डॉ विश्वनाथ जी बोताला में प्रतिदिन पढ़ने जाया करते थे। वहां एक ईसाई मिशनरी रहता था, जो ईसाई मत का खूब प्रचार करता था। स्कूल के विद्यार्थियों को वह सदा रिझाने की फिराक़ में रहता था। वह विद्यार्थियों में बाइबिल की कहानियां सुनाने , छोटे […]
महर्षि कपिल जी ने अपने सांख्य दर्शन में बतलाया है, कि “संसार में कहीं भी कोई भी व्यक्ति पूरा सुखी नहीं है।” उसी सांख्य दर्शन में एक और स्थान पर भी उन्होंने ऐसी बात कही है, कि “संसार उसी का नाम है जहां दिन रात, राग और द्वेष चलता रहता है।” अब आप इन बातों […]
डॉ. विवेक आर्य चुनावी माहौल आते ही राजनीतिक दल दुकानों पर लगने वाली सेल के समान रेवड़ियां बाँटने लगते है। मगर देश में बस रहे बंगला देशी और रोहिंग्या मुसलमान की समस्या को लेकर गंभीर कोई भी नहीं दिखता। जो दिखनी चाहिए। केवल आसाम में इस समस्या को लेकर कुछ प्रयास हुए है। पर उसका […]
डॉ. विवेक आर्य महात्मा गाँधी के जीवन को मैं जितना पढ़ता जाता हूँ। उतना मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि वर्तमान में देश की जितनी भी समस्याएं है। उन सभी की जड़ में उनका एकपक्षीय चिंतन है। अति-अहिंसावाद और मुस्लिम तुष्टिकरण की उनकी विचारधारा में देश के विभाजन होने एवं लाखों हिन्दुओं की हत्या […]
ओ३म् ========== क्या आप ईश्वर व उसके बनाये हुए इस संसार को जानते हैं? इसका उत्तर वह बन्धु जिन्होंने वेद व ऋषियों के शास्त्र पढ़े, जाने व कुछ समझे हैं, हां में देते हैं। कोई भी रचना तभी अस्तित्व में आती है कि जब कोई ज्ञानी मनुष्य उसकी रचना करता है। क्या कोई पेण्टिंग बिना […]
स्वच्छ वायुमण्डल का महत्त्व स्वच्छ वायु का सेवन ही प्राणियों के लिए हितकर है यह बात वेद के निम्न मन्त्रों से प्रकट होते हैं- वात आ वातु भेषजं शम्भु मयोभु नो हृदे। प्र ण आयूंषि तारिषत्।। -ऋ० १०/१८६/१ वायु हमें ऐसा ओषध प्रदान करे, जो हमारे हृदय के लिए शांतिकर एवं आरोग्यकर हो, वायु हमारे […]
पुनर्जन्म – विवेचना उगता भारत ब्यूरो एक शरीर को त्याग कर दूसरा शरीर धारण करना ही पुनर्जन्म कहलाता है। चाहे वह मनुष्य का शरीर हो या पशु, पक्षी, कीट, पतंग आदि कोई भी शरीर। यह आवागमन या पुनर्जन्म एक शाश्वत सत्य है। जो जैसे कर्म करता है,वह वैसा ही शरीर प्राप्त करता है।धनाढ़य, कंगाल, सुखी,दुःखी, […]
=========== महर्षि दयानन्द जी ने वेदानुयायी आर्यों के पांच नित्यकर्म बताते हुए उसमें प्रथम व द्वितीय स्थान पर सन्ध्या एवं देवयज्ञ अग्निहोत्र को स्थान दिया है। प्राचीन ग्रन्थ मनुस्मृति में द्विजों को पंचमहायज्ञों को करने की अनिवार्यता का उल्लेख मिलता है। देवयज्ञ अग्निहोत्र एक ऐसा नित्य-कर्म है जिसका प्रतिदिन किया जाना गृहस्थ मनुष्य का कर्तव्य […]
•••○•••○•••○••• प्रकृति की अग्रिम पंक्ति में शामिल होकर सेमल जैसे वृक्ष निश्चल स्वभाविक सहज भाव से बसंत उत्सव में ही निहित होलिकात्सव मनाते हैं। सेमल व पलास जैसे वृक्ष सर्दी के सीजन की अंतिम ऋतु शिशिर के गुजरते ही बसंती उत्सव मनाने लगते हैं लाल लाल बडे फूलों से सज जाते हैं। सेमल का वृक्ष […]