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आज का चिंतन

संसार में कहीं भी कोई भी व्यक्ति पूरा सुखी नहीं है

महर्षि कपिल जी ने अपने सांख्य दर्शन में बतलाया है, कि “संसार में कहीं भी कोई भी व्यक्ति पूरा सुखी नहीं है।” उसी सांख्य दर्शन में एक और स्थान पर भी उन्होंने ऐसी बात कही है, कि “संसार उसी का नाम है जहां दिन रात, राग और द्वेष चलता रहता है।” अब आप इन बातों […]

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भारत में बांग्लादेशी मुसलमान व रोहिंग्या की बढ़ती आबादी कहीं नया पाकिस्तान की तैयारी में तो नही ?

डॉ. विवेक आर्य चुनावी माहौल आते ही राजनीतिक दल दुकानों पर लगने वाली सेल के समान रेवड़ियां बाँटने लगते है। मगर देश में बस रहे बंगला देशी और रोहिंग्या मुसलमान की समस्या को लेकर गंभीर कोई भी नहीं दिखता। जो दिखनी चाहिए। केवल आसाम में इस समस्या को लेकर कुछ प्रयास हुए है। पर उसका […]

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गांधी के एकपक्षीय चिंतन के कारण हुई हिंदी की दुर्दशा

डॉ. विवेक आर्य महात्मा गाँधी के जीवन को मैं जितना पढ़ता जाता हूँ। उतना मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि वर्तमान में देश की जितनी भी समस्याएं है। उन सभी की जड़ में उनका एकपक्षीय चिंतन है। अति-अहिंसावाद और मुस्लिम तुष्टिकरण की उनकी विचारधारा में देश के विभाजन होने एवं लाखों हिन्दुओं की हत्या […]

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“ईश्वर जीवों के कर्मों का साक्षी और उन सबका फल प्रदाता है”

ओ३म् ========== क्या आप ईश्वर व उसके बनाये हुए इस संसार को जानते हैं? इसका उत्तर वह बन्धु जिन्होंने वेद व ऋषियों के शास्त्र पढ़े, जाने व कुछ समझे हैं, हां में देते हैं। कोई भी रचना तभी अस्तित्व में आती है कि जब कोई ज्ञानी मनुष्य उसकी रचना करता है। क्या कोई पेण्टिंग बिना […]

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वेद में वायु और स्वच्छ वायुमंडल का महत्व

स्वच्छ वायुमण्डल का महत्त्व स्वच्छ वायु का सेवन ही प्राणियों के लिए हितकर है यह बात वेद के निम्न मन्त्रों से प्रकट होते हैं- वात आ वातु भेषजं शम्भु मयोभु नो हृदे। प्र ण आयूंषि तारिषत्।। -ऋ० १०/१८६/१ वायु हमें ऐसा ओषध प्रदान करे, जो हमारे हृदय के लिए शांतिकर एवं आरोग्यकर हो, वायु हमारे […]

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वैदिक साहित्य और पुनर्जन्म की व्याख्या

पुनर्जन्म – विवेचना उगता भारत ब्यूरो एक शरीर को त्याग कर दूसरा शरीर धारण करना ही पुनर्जन्म कहलाता है। चाहे वह मनुष्य का शरीर हो या पशु, पक्षी, कीट, पतंग आदि कोई भी शरीर। यह आवागमन या पुनर्जन्म एक शाश्वत सत्य है। जो जैसे कर्म करता है,वह वैसा ही शरीर प्राप्त करता है।धनाढ़य, कंगाल, सुखी,दुःखी, […]

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ओ३म् “यज्ञ एवं योग मनुष्य जीवन के आवश्यक कर्तव्य होने सहित मोक्ष तक ले जाने में सहायक हैं”

=========== महर्षि दयानन्द जी ने वेदानुयायी आर्यों के पांच नित्यकर्म बताते हुए उसमें प्रथम व द्वितीय स्थान पर सन्ध्या एवं देवयज्ञ अग्निहोत्र को स्थान दिया है। प्राचीन ग्रन्थ मनुस्मृति में द्विजों को पंचमहायज्ञों को करने की अनिवार्यता का उल्लेख मिलता है। देवयज्ञ अग्निहोत्र एक ऐसा नित्य-कर्म है जिसका प्रतिदिन किया जाना गृहस्थ मनुष्य का कर्तव्य […]

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आज का चिंतन कृषि जगत

अटल तपस्वी सेमल॥

•••○•••○•••○••• प्रकृति की अग्रिम पंक्ति में शामिल होकर सेमल जैसे वृक्ष निश्चल स्वभाविक सहज भाव से बसंत उत्सव में ही निहित होलिकात्सव मनाते हैं। सेमल व पलास जैसे वृक्ष सर्दी के सीजन की अंतिम ऋतु शिशिर के गुजरते ही बसंती उत्सव मनाने लगते हैं लाल लाल बडे फूलों से सज जाते हैं। सेमल का वृक्ष […]

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“परमात्मा के सिवा हमारा कोई चिरस्थाई सुखदाता सहारा नहीं है”

ओ३म् ========= हम लगभग सत्तर वर्ष पूर्व जन्में हैं। कुछ वर्ष बाद हमें संसार से चले जाना हैं। हम कहां से आये हैं और मृत्यु के बाद कहां जायेंगे, हमें इसका ठीक-ठीक ज्ञान नहीं है। वेदादि शास्त्र पढ़ने के बाद हमें यह ज्ञान होता है कि संसार में ईश्वर, जीव तथा प्रकृति का अनादि व […]

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आज का चिंतन

-वैदिक साधन आश्रम तपोवन में वृहद गायत्री महायज्ञ सम्पन्न- “परमात्मा ने इस विशाल ब्रह्मांड को बनाया हैः स्वामी चित्तेश्वरानन्द”

ओ३म् ========== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में पांच दिनों से चल रहा गायत्री एवं चतुर्वेद शतकीय महायज्ञ आज दिनांक 13-3-2022 को सोल्लास सम्पन्न हुआ। यज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, पं. सूरतराम शर्मा, वैदिक विद्वान डा. वीरपाल जी, प्राकृतिक चिकित्सक स्वामी योगेश्वरानन्द सरस्वती, महाशय पं. रुवेल सिह आर्य, आश्रम के प्रधान […]

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