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आज का चिंतन

“वैदिक धर्म की दृष्टि में सभी प्राणी समान हैं”

ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। आर्यसमाज की शिरोमणि सभा सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के लगभग चार दशक पूर्व मंत्री रहे श्री ओम्प्रकाश पुरुषार्थी जी ने एक लघु पुस्तक ‘आर्यसमाज और अस्पर्शयता निवारण’ (कार्य प्रणाली और सफलतायें) लिखी है। इस पुस्तक के द्वितीय संस्करण का प्रकाशन सन् 1987 में हुआ था। पुस्तक की भूमिका सभा […]

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“स्वाध्याय से लाभ और न करने से हानि होती है” =========

ओ३म् ========= मनुष्य शरीर में एकदेशी, अल्प परिमाण, सूक्ष्म व चेतन आत्मा का निवास होता है। चेतन पदार्थ का गुण-धर्म ज्ञान प्राप्ति व ज्ञानानुरूप कर्मों को करके अपनी उन्नति करना होता है। जीवात्मा व मनुष्य पर यह बात लागू होती है। संसार में जीवात्माओं से भिन्न एक परम सत्ता ईश्वर की भी है जो सत्य, […]

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संसार में होते हैं अधिकतर लोग कामचोर : विवेकानंद परिव्राजक जी महाराज

“संसार में देखा जाता है, कि सामान्य व्यक्ति अधिकतर कामचोर होता है। वह पुरुषार्थ करने से बचना चाहता है। “बैठे बिठाए सारी सुविधाएं मिल जाएं, और कुछ खास मेहनत करनी न पड़े।” ऐसी मनोवृत्ति लोगों की प्रायः देखी जाती है।” जब उनका दूसरे लोगों के साथ व्यवहार होता है, तो दूसरे लोग अर्थात माता पिता […]

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गृहस्थ आश्रम मृत्युपर्यंत नहीं है

जिस प्रकार गृहस्थ आश्रम में सुख पूर्वक रहने के लिए उससे पहले ब्रह्मचर्य आश्रम में तैयारी करनी पड़ती है। यहां निर्माण करना, विद्या, बल, सामर्थ्य, शक्ति बढ़ाना लक्ष्य होता है ताकि गृहस्थ आश्रम में कष्ट न हो। उसी प्रकार संन्यास से पहले उसकी तैयारी वानप्रस्थ में होती है चार आश्रमों में पहला और तीसरा केवल […]

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मनुस्मृति और नारी जाति (विश्व मातृ दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित)

भारतीय समाज में एक नया प्रचलन देखने को मिल रहा है। इस प्रचलन को बढ़ावा देने वाले सोशल मीडिया में अपने आपको बहुत बड़े बुद्धिजीवी के रूप में दर्शाते है। सत्य यह है कि वे होते है कॉपी पेस्टिया शूरवीर। अब एक ऐसी ही शूरवीर ने कल लिख दिया मनु ने नारी जाति का अपमान […]

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मातृ दिवस (मदर्स डे) पर विशेष… सागर से भी गहरा है माँ का वासत्सल्य

डॉ. वंदना सेन भारतीय संस्कृति में माँ शब्द में एक ऐसा अपनापन है। जिसमें ममता की गहराई है, वात्सल्य का ऐसा अमूल्य खजाना है, जो दुनिया में कहीं अन्यत्र नहीं मिल सकता। इसीलिए हमारे महापुरुषों ने माँ को भगवान का दर्जा दिया है, वहीं किसी भी बच्चे के लिए प्रथम गुरु भी केवल माँ ही […]

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“स्वाध्याय से लाभ और न करने से हानि होती है” -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून।

ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। मनुष्य शरीर में एकदेशी, अल्प परिमाण, सूक्ष्म व चेतन आत्मा का निवास होता है। चेतन पदार्थ का गुण-धर्म ज्ञान प्राप्ति व ज्ञानानुरूप कर्मों को करके अपनी उन्नति करना होता है। जीवात्मा व मनुष्य पर यह बात लागू होती है। संसार में जीवात्माओं से भिन्न एक परम सत्ता ईश्वर की भी […]

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आज का चिंतन

“मनुष्य जीवन की उन्नति में पालन करने योग्य कुछ आवश्यक कर्तव्य”

ओ३म् ============ हम मनुष्य कहलाते हैं। इसका कारण यह है कि परमात्मा ने हमें सत्य व असत्य का विचार करने के लिए बुद्धि दी है। परमात्मा ने ही मनुष्येतर सभी प्राणियों को बनाया है परन्तु उनको मनुष्यों जैसी सत्यासत्य का विवेचन करने वाली बुद्धि नहीं दी है। वह सत्य व असत्य का विचार नहीं कर […]

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मां गंगा का अवतरण,महर्षि परशुराम का जन्मदिन ,

मां गंगा का अवतरण,महर्षि परशुराम का जन्मदिन ,मां अन्नपूर्णा का जन्म, द्रौपदी का चीर हरण, कृष्ण सुदामा का मिलन ,कुबेर को आज के दिन खजाना मिलना, सतयुग त्रेता युग का प्रारंभ होना, ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय का अवतरण, प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण का कपाट खोलना, बांके बिहारी मंदिर में केवल आज ही के दिन […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महान् संन्यासी स्वामी सर्वानन्द सरस्वती जी द्वारा लिखित संस्मरण- “महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ के व्यक्तित्व विषयक कुछ संस्मरण”

ओ३म् ============ महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ (जन्म 18-1-1912 मृत्यु 20-1-1989) वैदिक धर्म, ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज के निष्ठावान अनुयायी एवं वेद, यज्ञ एवं साधना के प्रचारक थे। उनका जीवन धर्म, संस्कृति के प्रचार एवं यज्ञ-योग-साधना को समर्पित था। उन्होंने वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के द्वारा देश के विभिन्न भागों में जाकर यज्ञ एवं योग आदि […]

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