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आज का चिंतन

सावधानी से मन की गतिविधियों पर नजर रखो

ऋषिराज नागर एडवोकेट कबीर ने अपनी बातों में दोहों के माध्यम से हमारा बड़ा गहरा मार्गदर्शन किया है। यही कारण है कि वह एक महापुरुष के रूप में भारत का ही नहीं बल्कि बाहर के लोगों का भी मार्गदर्शन आज तक कर रहे हैं। अहंकार आदि के बीजनाश के लिए शिक्षा देते हुए वह कहते […]

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जीवन में होती है दो प्रकार की हार जीत : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

दो प्रकार की हार जीत होती है। एक बाहर की और दूसरी अन्दर की। जब भी कोई व्यक्ति किसी कार्य को करता है, तब उसे या तो सफलता मिलती है, या असफलता। “जब वह कार्य में सफल हो जाता है, तो लोग कहते हैं कि “वह जीत गया.” और जब अपने कार्य में असफल हो […]

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सिद्धि के लिए सच्चे साधन

लेखक-स्वामी श्रद्धानन्द जी यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य, वर्तते कामचारतः। न स सिद्धिमवाप्नोति, न सुखं न परां गतिम्।। गीता 16/3 शब्दार्थ- (यः) जो मनुष्य, (शास्त्रविधिम्) शास्त्र की विधि एवं आदेश को (उत्सृज्य) छोड़कर (कामचारतः वर्तते) अपनी इच्छानुकूल आचरण करता है, (सः सिद्धिं न अवाप्नोति) वह न तो सिद्धि या सफलता को प्राप्त कर सकता है (न सुखम्) न […]

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( पूर्व जनम) पूरब लिखिया कमावणा कोई न मेटणहार

ऋषि राज नागर एडवोकेट संत कबीर – बाम्हन गुरु जगत का, साधु का गुरु नाहि। उरझि – उरझि कर मारि रहा, चारिउँ वेदा माहि॥ किया जप किया तप सजमो, किया बरत इसनान । जब लग जुगति न जानीऐ, भाउ भगति भगवान॥ गुरु नानक देव – जप तप करि करि संजम थाकी हठ निग्रहि पाईए । […]

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ब्रिटिश राज में किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि पगड़ी सम्भाल जट्टा

लायलपुर में शहरी बस्ती विधेयक (Colonisation Bill) के विरुद्ध चलाये जानेवाले आन्दोलन के प्रमुख आर्यसमाजी ही थे। २१ अप्रैल १९०७ के अन्त में जब लाला लाजपतरायजी लायलपुर की एक सभा में भाषण देने पहुँचे तब वहाँ उस समय के प्रसिद्ध आर्यसमाजी नेता सरदार अजीतसिंह ( अमर शहीद भगतसिंह के चाचा) का भाषण हो रहा था। […]

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क्या है विष्णु, क्षीरसागर, लक्ष्मी, गरुड़,शेषनाग का वैज्ञानिक सत्य

विष्णु किसको कहते हैं ? विष्णु का स्वरूप किसमें कहा जा सकता है ? क्या विष्णु की सवारी गरुड़ है ? गरुड़ क्या है ? वह विशाल सा पक्षी या कुछ और होता है ? क्षीर सागर क्या तथा कहां है ? उसमें शेषनाग पर कौन लेट रहा है ? लक्ष्मी जी पैर दबा रही […]

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मनुस्मृति में क्या दी गई है धर्म की परिभाषा ?

#डॉ_विवेक_आर्य १. धर्म संस्कृत भाषा का शब्द है जोकि धारण करने वाली धृ धातु से बना है। “धार्यते इति धर्म:” अर्थात जो धारण किया जाये वह धर्म है। अथवा लोक परलोक के सुखों की सिद्धि के हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना धर्म है। दूसरे शब्दों में यहभी कह सकते […]

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पंडित केरी पोथियां जो तीतर को ज्ञान,

ऋषि राज नागर एडवोकेट हमारे देश में विभिन्न धर्म एवं जाति के मनुष्य रहते हैं, जो अपने- अपने व्यवसाय या विभिन्न कार्य (कर्म) करके अपना व अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। कुछ मनुष्य कृषि करके कुछ वाणिज्य-व्यापर द्वारा तो कुछ, देश की सरहदों की सुरक्षा में व कुछ देश की आन्तरिक सुरक्षा में, […]

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शख्सियत और शोहरत (यश) के संदर्भ में

बिखरे मोती शख्सियत और शोहरत , बड़े नसीब से मिलती है। यह वह नयाब दौलत है, जो खुदा के करीब से मिलती है॥1980॥ तेरी कृपा से उगें, मन में सत्संकल्प । दृढ़ होवै संकल्प तो, कोई नहीं विकल्प॥ 1981॥ तेरे ध्यान में प्रभु! रहूं सदा में लीन तुम बिन चित्त तडपै मेरा, जैसे जल बिन […]

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वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का शरदुत्सव- “परमात्मा में अनन्त ज्ञान व बल हैः स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती

ओ३म् ======== वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून का शरदुत्सव आज दिनांक 12-10-2022 को आरम्भ हुआ। आज प्रातः सामवेद पारायण यज्ञ हुआ। यज्ञ के बाद स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने सामूहिक प्रार्थना कराई। यज्ञ के प्श्चात पं. दिनेश पथिक, अमृतसर के मधुर एवं हृदयस्पर्शी भजन हुए। प्रातः 10.00 बजे से प्रथम सत्र में ईश्वर उपासना विषय […]

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