Categories
आज का चिंतन

सारा आर्य जगत् दयानन्द के जन्म संवत् को ही अमान्य कर बैठा!

** “शान्तिधर्मी” के फरवरी, २०२३ के अंक में विक्रमी संवत् २०७९ और दयानन्दाब्द १९९ अंकित है। इसके आगे “शान्तिधर्मी” के मई, २०२३ के अंक में विक्रमी संवत् २०८० और दयानन्दाब्द २०० अंकित है। इससे प्रकट होता है कि यह पत्र दयानन्द का जन्मदिन १२ फरवरी को मानता है। “वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोज़ड़” का २०२३ ई. […]

Categories
आज का चिंतन

मनुष्य अकेला नहीं जी सकता

*”मनुष्य अकेला नहीं जी सकता, क्योंकि वह अल्पज्ञ और अल्पशक्तिमान है। ठीक प्रकार से या सुख पूर्वक जीवन जीने के लिए उसे अनेक लोगों का सहयोग लेना पड़ता है।” “दूसरे लोगों का सहयोग मिलने पर व्यक्ति का जीवन सरल हो जाता है। इससे उसकी अनेक समस्याएं सुलझ जाती हैं, और अनेक प्रकार से उसे सुख […]

Categories
आज का चिंतन

संसार में तन मन धन से सुखी कौन नहीं रहना चाहता?

संसार में तन मन धन से सुखी कौन नहीं रहना चाहता? सभी चाहते हैं। परंतु यह बात भी प्रसिद्ध है, कि “कर्म किए बिना फल नहीं मिलता।” “इसलिए जो लोग सुखी रहना चाहते हैं, उन्हें कुछ न कुछ कर्म तो करना ही पड़ेगा, तभी उनकी इच्छा पूरी हो पाएगी।” “तो यदि आप तन से सुखी […]

Categories
आज का चिंतन भारतीय संस्कृति

16 संस्कार और भारत की वैश्विक संस्कृति, भाग 1

अब हम इस अध्याय में उन 16 संस्कारों का संक्षिप्त विवरण देंगे जो भारत की अथवा हिंदुत्व की चेतना के मूल स्वरों में सम्मिलित हैं । अध्ययन की सुविधा के लिए हमने इन 16 संस्कारों को दो भागों में विभक्त कर लिया है । पहले अध्याय में हम पहले 8 संस्कारों के बारे में तो […]

Categories
आज का चिंतन

संसार में होते हैं कई प्रकार के लोग : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

संसार में अनेक प्रकार के लोग मिलते हैं। “कुछ अच्छे लोग मिलते हैं, जो बुद्धिमान धार्मिक सदाचारी धनवान परोपकारी होते हैं। वे आपके गुणों को भी समझते हैं। आप से प्रेम करते हैं। आपके साथ रहना उठना बैठना बातचीत करना चाहते हैं। ऐसे लोगों से आप भी मित्रता रखें। उनसे सहयोग लें भी, और उन्हें […]

Categories
आज का चिंतन

स्वामी दयानंद और आर्द्देयोश्यरत्नमाला

महर्षि दयानंद द्वारा आर्य उद्देश्य रत्न माला नामक पुस्तक लिखी है। इसमें 100 सिद्धांत बताए गए हैं एक सिद्धांत जो सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण है ईश्वर । अब दूसरी परिभाषा धर्म की की गई है। जिसमें कहा गया है कि ईश्वर की आज्ञा का पालन और पक्षपातरहित सर्वहित करना है। जो प्रत्येक प्रत्यक्ष आदि आठ […]

Categories
आज का चिंतन

ओ३म् “वेदों में आये अयोध्या पद का प्रयोग मानव व देवों के शरीरों के लिए हुआ है, किसी स्थानवाचक नाम के लिए नहीं”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। वेद चार हैं। चार वेदों का ज्ञान अनादि व नित्य ज्ञान है जो सदैव व सर्वदा परमात्मा के ज्ञान में विद्यमान रहता है। यह चार वेद ईश्वर प्रदत्त बीज-रूप में सब सत्य विद्याओं का ज्ञान है जो सृष्टि के आरम्भ में सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान तथा सर्वज्ञ परमात्मा से परमात्मा द्वारा उत्पन्न आदि […]

Categories
आज का चिंतन

ऋषि दयानंद के दो टूक मंतव्य

ऋषि के मंतव्य दो टूक में। जो पक्षपातरहित,न्यायाचरण,सत्य भाषणादियुक्त, ईश्व राज्ञा, वेदों से अविरुद्ध है उसको,धर्म, और जो पक्षपात रहित हि न्यायाचरण,मिथ्या भाषण आदि,ईश्वर आज्ञाभंग,वेद विरुद्ध है उसको अधर्म मानता हूं । जो इच्छा,द्वेष,सुख, दुःख,और ज्ञानादि गुणयुक्त,अल्पज्ञ,नित्य है उसी को जीव मानता हूं । जीव और ईश्वर स्वरूप और वैधमार्य से भिन्न और व्याप्य व्यापक […]

Categories
आज का चिंतन

पलायन के दर्द से गुज़रता गांव

यशोदा कुमारी बिहार देश का दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्र आज भी बिजली, पानी, सड़क, अस्पताल और शिक्षा जैसी कई बुनियादी ज़रूरतों से जूझ रहा है. इसमें रोज़गार प्रमुख है जो ग्रामीणों को पलायन के लिए मजबूर करती है. परिवार के लिए दो वक़्त की रोटी की व्यवस्था करने के लिए लोग अपने गांव से निकल […]

Categories
आज का चिंतन

ओ३म् ‘हमारी सृष्टि परमात्मा ने जीवात्माओं के सुख के लिये बनाई है’

========== हम जन्म लेने के बाद संसार में अस्तित्वमान विशाल ब्रह्माण्ड व इसके प्रमुख घटकों सूर्य, चन्द्र तथा पृथिवी सहित असंख्य तारों को झिलमिलाते हुए देखते हैं। पृथिवी कितनी विशाल है इसका अनुमान करना भी सबके बस की बात नहीं है। इस सृष्टि में मनुष्य व सभी प्राणियों के उपभोग की सभी वस्तुयें उपलब्ध हैं। […]

Exit mobile version