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आज का चिंतन

हे मनुष्यो ! वह परमात्मा सारे संसार में सब ओर से व्याप्त है,

आज का विचार स पर्यगाच्छुमकायमव्रणमस्नाविरम शुद्धमपापविद्धम । कविर्मनीषी परिभु: स्वयंभूर्याथातभ्यतोS र्थानव्यदधाच्छा श्वतीभ्य: समाभ्य:।। यजु0 ४०/८।। अर्थात—- हे मनुष्यो ! वह परमात्मा सारे संसार में सब ओर से व्याप्त है, महान वीर्यशाली सर्वशक्तिमान, स्थूल शूक्ष्म और कारण शरीर से रहित, अखण्ड, अद्वित्तीय, फोड़ा फुंसी और नस नाड़ी आदि के बन्धन से रहित है। अविद्या आदि दोषों […]

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ओ३म् “ईश्वर, वेद, महर्षि दयानन्द और मूर्तिपूजा”

========== ईश्वर, जीव और प्रकृति तीन अनादि तत्व हैं। ईश्वर अजन्मा, कभी जन्म व मरण को प्राप्त न होने वाला, और जीव जन्म-मरण के बन्धनों में बंधा हुआ है। जीवात्मा के जन्म व मरण का कारण कर्मों का बन्धन है। जीव में इच्छा, राग, द्वेष, सुख व दुःख, इन्द्रियो व अन्तःकरण के अनेक प्रकार के […]

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यज्ञ के तन्तु से बन्धे ही रहना

ओ३म् आ दे॒वाना॒मपि॒ पन्था॑मगन्म॒ यच्छ॒क्नवा॑म॒ तदनु॒ प्रवो॑ळ्हुम् । अ॒ग्निर्वि॒द्वान्त्स य॑जा॒त्सेदु॒ होता॒ सो अ॑ध्व॒रान्त्स ऋ॒तून्क॑ल्पयाति ॥ ऋग्वेद 10/2/3 यज्ञ के तन्तु से बन्धे ही रहना देवों का मार्ग है प्यारा देखो यह सूर्य चन्द्र, अग्नि, पृथ्वी सम्वत्सर कर रहे यज्ञ उजियारा आओ देवों का यह मार्ग सदा रखें हम उघारा यज्ञ के तन्तु से बन्धे ही […]

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अच्छे सज्जन सरल व्यक्ति गरीब हैं, और अनेक प्रकार से परेशान होकर जैसे तैसे जी रहे हैं।”

आजकल की स्थिति आप संसार में देख रहे हैं, कि “अच्छे सज्जन सरल व्यक्ति गरीब हैं, और अनेक प्रकार से परेशान होकर जैसे तैसे जी रहे हैं।” “और दूसरी तरफ छली कपटी चालाक धोखेबाज बेईमान लोग बहुत धन कमा कर खूब मजे कर रहे हैं। वे भौतिक साधनों संपत्तियों का खूब भोग करते हैं।” ऐसी […]

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ओ३म् “ईश्वर, वेद, महर्षि दयानन्द और मूर्तिपूजा”

========== ईश्वर, जीव और प्रकृति तीन अनादि तत्व हैं। ईश्वर अजन्मा, कभी जन्म व मरण को प्राप्त न होने वाला, और जीव जन्म-मरण के बन्धनों में बंधा हुआ है। जीवात्मा के जन्म व मरण का कारण कर्मों का बन्धन है। जीव में इच्छा, राग, द्वेष, सुख व दुःख, इन्द्रियो व अन्तःकरण के अनेक प्रकार के […]

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पश्चिम की अपसंस्कृति की नकल करता भारत का युवा

विदेशों में लड़के और लड़कियां आपस में मित्रता करते हैं। अब उन्हीं की नकल भारतीय युवक युवतियां भी करने लगे हैं। यह विदेशी परंपरा है, भारतीय नहीं। यह परंपरा सुखदायक नहीं, बल्कि दुखदायक है। “भारत में वैदिक काल में कहीं भी ऐसा देखने को नहीं मिलता, कि पुरुषों और स्त्रियों की आपस में मित्रता होती […]

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आदमी को लेकर आदमी के मन में गलत धारणा

प्रायः लोगों के मन में ऐसी धारणा बनी हुई है, कि “यह व्यक्ति तो अब 60 वर्ष का हो गया। बूढ़ा हो गया। सरकार ने भी इसे रिटायर कर दिया। अब यह किसी काम का नहीं रहा। अब यह फालतू आदमी है, बेकार है।” परंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि […]

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ओ३म् “आर्यसमाज की ईश्वरीय ज्ञान वेदों के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख मान्यतायें”

-मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। हमारा यह संसार किससे बना और कौन इसे संचालित कर रहा है, इसका उत्तर खोजते हुए हम इसके कर्ता व पालक ईश्वर तक पहुंचते हैं। सौभाग्य से हमें सृष्टि के आदि में उत्पन्न व प्रचारित चार वेद आज भी अपने मूल स्वरूप तथा शुद्ध अर्थों सहित प्राप्त व विदित हैं। इन […]

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महर्षि दयानन्द का यज्ञ विषयक् वैज्ञानिक पक्ष*

* लेखक- पं० वीरसेन वेदश्रमी प्रस्तोता- डॉ विवेक आर्य, प्रियांशु सेठ यज्ञ में मन्त्रोच्चारण कर्म के साथ आवश्यक है- महर्षि स्वामी दयानन्द जी ने यज्ञ की एक अत्यन्त लघु पद्धति या विधि हमें प्रदान की जो १० मिनट में पूर्ण हो जावे। उसमें मन्त्र के साथ कर्म और आहुति का योग किया। बिना मन्त्र के […]

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“सभी आत्माएं एक जैसी हैं।”

“सभी आत्माएं एक जैसी हैं।” ऐसा वेद आदि शास्त्रों में बताया गया है। उसका एक अनुमान प्रमाण यह भी है कि “सभी को सुख चाहिए, दुख किसी को भी नहीं चाहिए। थोड़ा सा भी नहीं चाहिए। सभी को सुख 100 प्रतिशत चाहिए। उत्तम क्वॉलिटी का चाहिए।” इससे पता चलता है कि सभी आत्माएं एक जैसी […]

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