महात्मा गांधी जी की वसीयत महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के […]
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21 जून भारतीयता के गुण गौरव के गुणगान का दिवस बन गया है। इस दिन सारा देश ही नहीं, अपितु सारा विश्व ही भारतीय संस्कृति की महानता और उसकी सर्वग्राहयता के समक्ष शीश झुकाता है। मां भारती की आरती में सारा संसार नतमस्तक हो जाता है और कह उठता है :- ”हे भारत की पवित्र […]
हृदयनारायण दीक्षित सभ्यता देह है और संवाद प्राण। दुनिया की सभी सभ्यताओं का विकास सतत संवाद से हुआ है। भारतीय संस्कृति में आस्था से भी संवाद की परंपरा है। सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि विवाद को परस्पर संवाद से हल करने का सुझाव दिया है। न्यायालय ने अयोध्या विवाद को संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा बताया […]
बनवारी पिछली एक शताब्दी में अंगरेजी शिक्षा ने हमें जितना नियंत्रित किया है, उतना बीसवीं सदी के पूर्वार्ध तक चला ब्रिटिश राज भी नहीं कर पाया था। अंगरेजी शिक्षा ने हमें अपनी सभ्यता के मूल मार्ग से भटका दिया है और उसने हमसे अपने पिछले इतिहास को समझने की दृष्टि छीन ली है। हमारे इतिहास […]
अपने राष्ट्र की महान संस्कृति और उसकी मानवाधिकारवादी प्रकृति के प्रति कृतघ्नता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि लोग अपने देश को जंगलियों का देश मानकर ‘मैग्नाकार्टा’ और यू.एन.ओ. के घोषणापत्रों में मानवाधिकारों का अस्तित्व खोजते हैं। ऐसे लोगों की बुद्घि पर तरस आता है और क्षोभ भी होता है? तरस […]
डॉ0 इन्द्रा देवी (बागपत) फि ल्मों का हमारे वर्तमान यथार्थ जीवन से गहरा सम्बन्ध है। श्रव्य और पाठ्य विषयों में शब्दों द्वारा कल्पना की सहायता से मानसिक चित्र उकेरे जाते हैं, परन्तु दृश्य ‘फि ़ल्म-फ ीचर’ में हमें कल्पना पर इतना बल नहीं देना पड़ता, वहाँ कल्पना की कमी अभिनेता-अभिनेत्री की भाव-भंगिमा पूरी कर देती […]