कभी गुजरात सिर्फ में भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे सूखा प्रदेश माना जाता था। उसमें कच्छ तो एकदम सूखा था।कच्छ के तमाम लोग अपनी मातृभूमि को छोड़कर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में बसने को मजबूर हो गए थे क्योंकि इंसान के लिए पानी की सबसे मूलभूत जरूरत होती […]
महीना: अप्रैल 2021
अब अनेकों शोध पत्रों से यह बात पूर्णत: सिद्ध हो चुकी है कि अरब का मूल स्वरूप वैदिक रहा है । मोहम्मद साहब ने अपने जीवन काल में जब इस्लाम की स्थापना की तो उन्होंने अरब के पुराने हिन्दू स्वरूप को मिटाने का आदेश दिया। जिससे वे प्रतीक समाप्त करने की प्रक्रिया आरम्भ हुई […]
गाजियाबाद । यति नरसिंहानंद इस समय हिंदुत्व की एक प्रमुख आवाज बन चुके हैं। बेहिचक और निडर होकर अपनी बात को प्रस्तुत करने के लिए प्रसिद्ध यति नरसिंहानंद हिंदुत्व की रक्षा के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार हैं। लिबरल गिरोह उनसे परेशान है। वामपंथी मीडिया उन्हें हिन्दुओं की सबसे ‘कर्कश आवाज़’ […]
सुखी भारती श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहीदी के पश्चात श्री गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने देश−धर्म की रक्षा हेतु दो तलवारें मीरी−पीरी धरण की। उनकी मीरी की तलवार मुगलों के संग टकराई उन्होंने जालिमों को यह बता दिया कि अगर हमें शांति से नहीं रहने दिया जाएगा तो हमें तलवार उठाने में […]
देवराज सिंह जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र और उनसे सहानुभूति रखने वाले कथित बुद्धिजीवी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर संविधान की दुहाई देते नहीं थकते हैं। लेकिन जब बात विश्वविद्यालय के दोहरे रवैये की आती है, दलितों और जनजातीय समुदाय के साथ होते बुरे व्यवहार के खिलाफ आवाज उठानी होती है तो […]
सुभाष काक प्राचीन भारतीय मंदिर मानव जाति की कुछ सबसे बड़ी कलात्मक उपलब्धियाँ हैं, जिन्हें दुनियाभर में माना जाता है, लेकिन उनके इतिहास को समझने के लिए पर्याप्त अनुसंधान नहीं किया गया है। वर्तमान की अनिश्चितता और भ्रम के माध्यम से खोज, अतीत का ज्ञान रोशनी प्रदान करता है, जिसके कारण इतिहास का अध्ययन […]
ओ३म् -ईश्वर साक्षात्कार के लिए प्रयासरत तपस्विनी साध्वी प्रज्ञा जी का सम्बोधन- ========== रविवार दिनांक 28-3-2021 को हमें वैदिक साधन आश्रम तपोवन देहरादून में 7 मार्च 2021 से चल रहे चतुर्वेद पारायण यज्ञ, गायत्री यज्ञ एवं योग साधना शिविर में यज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर यज्ञ में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यज्ञ […]
भारतीय इतिहास का विस्मृत पृष्ठ : महाराजा विक्रमादित्य … … आज से 2075 वर्ष पहले भारतीय इतिहास में एक नूतन युग का शुभारम्भ कर संवत् प्रारम्भ करनेवाले महाराज विक्रमादित्य कौन हैं, यह प्रश्न भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। जिस विक्रम का न्याय लोकविश्रुत है, जिसके भूमि में दबे हुए सिंहासन […]
बिखरे मोती जैसा जिह्वा जप करे, वैसे मन में भाव। दोनों में हो एकता, पार लगेगी नाव ॥1463॥ व्याख्या:- प्रायःदेखा गया है कि कतिपय लोग अपनी रसना से किसी वेद – मंत्र अथवा श्लोक का जप तो करते हैं किंतु चित्त में आर्जवता(सरलता) नहीं कुटिलता होती है अर्थात् छल, कपट, ईर्ष्या, द्वेष,प्रतिशोध और जघन्य […]
वैदिक संपत्ति गतांक से आगे … द्रविड़ और आर्य शास्त्र पुराणों में जितने यज्ञों का वर्णन है,उन सब में यजुर्वेद से अध्वर्यु की ही योजना पाई जाती है। विष्णु और वायुपुराण के देखने से ज्ञात होता है कि, जनमेजय के दोनों यज्ञों के शल्क यजुर्वेद से अध्वर्यु की की योजना हुई थी। और धर्मराज के […]