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संपादकीय

शानदार भारत के बढ़ते कदम

फिलीपींस की राजधानी मनीला में हुए आसियान देशों के सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति से इस सम्मेलन का महत्व बढ़ गया। भारत, जापान, ऑस्टे्रलिया और अमरीका ने इस सम्मेलन में चतुष्कोणीय नौसैनिक सहयोग के रास्ते पर चलने का महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस निर्णय […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-16

गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार गीता यह भी स्पष्ट करती है कि ”हे कौन्तेय! पुरूष चाहे कितना ही यत्न करे, कितना ही विवेकशील हो-ये मथ डालने वाली इन्द्रियां बल पूर्वक मन को विषयों की ओर खींच लेती हैं। मन विषयों के पीछे भागता है और इस प्रकार भागता हुआ एक दिन मनुष्य […]

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आर्थिकी/व्यापार

बैंकिंग क्षेत्र में भी जरूरी है निजीकरण

सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के लिए सरकारी नियमों का उल्लंघन करने में ये इकाइयां मददगार हैं। सार्वजनिक बैंकों को आज लग रहे भारी घाटे में मंत्रियों एवं अधिकारियों का यह दुराचरण मुख्य कारण है। जाहिर है कि घाटे में चल रहे बैंकों का लाभ में चल रहे बैंकों से विलय करने से मंत्रियों और अधिकारियों […]

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गौ और गोवंश

क्या गोवंशीय पशुओं के वध पर पूर्ण प्रतिबंध उचित है

भारत के संविधान निर्माताओं ने सवर्ण हिंदुओं की खातिर संविधान में एक अनुच्छेद (अनुच्छेद 48 डाला) जो कि भाग 14 (राज्य के नीति निदेशक तत्व) का हिस्सा है। सन् 1950 में भारतीय समाज मुख्यत: कृषि आधारित था। इसके अनुरूप यह अनुच्छेद ”कृषि और पशुपालन के संगठन”के संबंध में है। यह कहता है कि ”राज्य कृषि […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-15

गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार ‘गीता’ का कहना है कि योगस्थ होकर कर्मयोग का अभ्यासी बनकर मनुष्य को कर्म के फल की आसक्ति से स्वयं को मुक्त रखना चाहिए। कर्म की सिद्घि या असिद्घि दोनों में ही मनुष्य को समता का भाव अपनाने का अभ्यासी हो जाना चाहिए। जब मन ऐसी अवस्था […]

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धर्म-अध्यात्म विशेष संपादकीय

क्या है योग और चित्त की वृत्तियों का निरोध

(एक दिन प्रात:काल में मुझसे श्रद्घेय ज्येष्ठ भ्राताश्री प्रो. विजेन्द्रसिंह आर्य-मुख्य संरक्षक ‘उगता भारत’-ने अपनी समीक्षक बुद्घि से सहज रूप में पूछ लिया कि-‘देव! महर्षि पतंजलि के ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:’ पर तुम्हारे क्या विचार हैं? तब मैंने श्रद्घेय भ्राताश्री को अपनी ओर से जो प्रस्तुति दी, उसी से यह आलेख तैयार हो गया। हमारी उक्त चर्चा चलभाष […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-78

नाथ करूणा रूप करूणा आपकी सब पर रहे गतांक से आगे…. अर्थात हे अर्जुन! शुभकर्म करने वालों का न तो यहां इस लोक में और न ही परलोक में कभी विनाश होता है। हे प्रिय बन्धु! कोई शुभकर्म करने वाला दुर्गति को प्राप्त नहीं होता है, कारण कि ईश्वर की करूणा उसकी निरन्तर रक्षा करती […]

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बिखरे मोती

प्रार्थना सीढ़ी शिखर की, इसे करनी मत भूल

बिखरे मोती-भाग 205 गतांक से आगे…. सर्वदा याद रखो, मां-बाप के आंसू आपके हंसते-खेलते खुशहाल जीवन पर कभी भी आसमानी बिजली की तरह टूट पड़ेंगे, इसलिए जितना हो सके इन दो फरिश्तों (माता-पिता) का आशीर्वाद लीजिए, अभिशाप नहीं। यह अटल सत्य है कि मां-बाप के दिल से निकली हुई दुआएं कभी खाली नहीं जाती हैं। […]

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देश विदेश

चीन की फितरत को समझना होगा

हाल में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा से बीजिंग क्रोधित हो उठा है। चीन व भारत शायद ही कभी इस बात पर सहमत हुए हों कि वास्तविक सीमा रेखा कहां है। बीजिंग ने 1962 में भारत पर उस समय आक्रमण कर दिया, जब नई दिल्ली  ने अपना क्षेत्र वापस लेने की […]

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गीता का कर्मयोग और आज का विश्व संपादकीय

गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-14

गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार ‘गीता’ कहती है कि इस आत्मा को संसार का कोई शस्त्र छेद नहीं सकता। न इसको अग्नि जला सकती है, और न इसे पानी गला सकता है, इसे वायु सुखा नहीं सकती। अग्नि जला न पाएगा, शस्त्र करे नहीं छेद। पानी गला न पाएगा, हो वायु को […]

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