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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-62

इसी समय भारत की राष्ट्रवादी शक्तियों ने अपना योग विश्व को प्रस्तुत कर दिया है। हताशा और निराशा का मारा हुआ संसार बड़ी तेजी से ओ३म् के झण्डे तले योग की शरण में आ रहा है और अपनी हताशा और निराशा को मिटाकर आत्मिक शान्ति की अनुभूति कर रहा है। लोगों को ओ३म् का उच्चारण […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

दुर्गादास राठौर ने मल्लिका गुलनार के सामने रख दिया था अपना सिर

वेदों में नारी का सम्मान वेद ने नारी को अप्रतिम और अतुलित सम्मान दिया है। इसका कारण यही है कि नारी जगन्नियंता ईश्वर की विधाता और सर्जनायुक्त शक्ति का नाम है। ऋग्वेद (1/113/12) में कहा गया है- यावयद्द्वेषा ऋतपा ऋतेजा: सुम्नावरी सूनृता ईरयंती। सुमंगलीर्विभूति देवती तिमिहाद्योष: श्रेष्ठतया व्युच्छ।। अर्थात-”हे श्रेष्ठतम ऊषा! तू अपनी छटा को […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-74

हाथ जोड़ झुकाये मस्तक वन्दना हम कर रहे गतांक से आगे…. अत: एक प्रकार से नमस्ते दो विभिन्न आभामंडलों का प्रारंभिक मनोवैज्ञानिक परिचय है, जिसमें दो भिन्न-भिन्न आभामंडल कुछ निकट आते हैं, और परस्पर मित्रता का हाथ बढ़ाने का प्रयास करते से जान पड़ते हैं। इसीलिए कहा गया है :- अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्घोपसेविन:। चत्वारि […]

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बिखरे मोती

यजन भजन के योग तै, भक्ति चढ़ै परवान

बिखरे मोती-भाग 201 यहां तक कि चोरी और डाका डालने में निष्णात भी हम और हमारा समाज बनाता है। फिर मंदिर में मायावी (नकली) पूजा करने का ढोंग भी उन्हें घुट्टी में हम ही पिलाते हैं। कैसी विडंबना है? एक तरफ तो विकृत मानसिकता के लोगों की भीड़ बढ़ रही है, जबकि दूसरी तरफ नकली […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-61

तालाबों को प्राचीन काल में हमारे पूर्वज लोग बड़ा स्वच्छ रखा करते थे। पर आजकल तो इनमें कूड़ा कचरा और गंदी नालियों का गंदा पानी भरा जाता है। यही स्थिति नदियों की है। जो वस्तु हमारे जीवन का उद्घार करने में सहायक थी उन्हें ही हमने अपने लिए विनाश का कारण बना लिया है। हमें […]

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मुद्दा समाज

अंधेरा होते ही महिला स्वतंत्रता की बातें हो जाती हैं छू-मंतर

बाल मुकुन्द ओझा भारत में 1975 से हर साल आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकार, उनके सम्मान और अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी की चर्चा होती है, महिलाओं को प्रोत्साहन देने की बात होती है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने […]

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पर्यावरण

आधुनिकता की दौड़ में नदी पुनर्जीवन ही विकल्प

सुरेश उपाध्याय आधुनिकता की दौड़ में जब योजनाओं को कुछ ज्यादा व्यवस्थित होना चाहिए था, तब सब कुछ राम भरोसे छोड़ दिया गया। मलमूत्र, औद्योगिक कचरे और तमाम तरह के अवशिष्टों ने खान नदी को तबाह कर डाला है। नदी जलसंग्रहण क्षेत्र में पेड़ों की कटाई की गई और जहां भी लोगों ने चाहा, मनमाने […]

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स्वास्थ्य

दिमाग तंदुरुस्त और शरीर को चुस्त रखने वाली जड़ी-बूटियां

दिमाग हमारे शरीर को वो हिस्सा है जिसके संकेत के बिना शरीर का कोई भी अंग काम नहीं कर सकता। लेकिन कई बार बढ़ती उम्र, गलत आदतों, नशे और आवश्यक पोषक तत्वों की कमी आदि से याददाश्त कमजोर होने लगती है। लेकिन अपने आहार में कुछ विशेष जड़ी-बूटियों को शमिल करके आप अपने दिमाग को […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-60

वेदमंत्र जो कुछ कहता है उसकी व्याख्या वेदश्रमीजी इस प्रकार करते हैं-”हे अग्नि! तुम वृष्टि से हमारी रक्षा करो। अर्थात वृष्टि करके हमारा पालन करो और अति वृष्टि को रोककर भी वृष्टि से हमारी रक्षा करो। इस प्रकार दोनों प्रकार की प्रक्रियाओं के प्रति इसकी संगति होती है। किस प्रकार रक्षा या पालन करें इसके […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत संपादकीय

विश्वगुरू के रूप में भारत-59

इस मंत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि जैसे हमारा मुख सिर के अग्र भाग में होता है, वैसे ही यान का संचालन यंत्र अग्रभाग में ही रखना चाहिए। इसे तीन आवरण वाला अर्थात सुरक्षा, गति व संचालन की दृष्टि से त्रिवृत्त कहा गया है। संचालन कक्ष में संचालकों के बैठने व बाह्य […]

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