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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-05/02/2014

ज्ञान बाँटने के बाद छोड़ दें संसार की सेवा के लिए – डॉ.दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   ज्ञान ऎसा कारक है जिसे अपने पास नहीं रखकर उन लोगों को बांट दिया जाना चाहिए जो इसे चाहते हैं।  अपने पास जो कुछ है वह समुदाय और संसार का है और इसलिए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि […]

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विशेष संपादकीय

थालियों और तालियों का बजना

उत्तर प्रदेश आजादी के बाद से ही देश की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभाने वाला प्रांत रहा है। उत्तराखण्ड बनने तक प्रदेश के पास 85 लोकसभा सीटें होती थीं। आज भी इन सीटों में अधिक अंतर नही आया है। 82 सीटें अकेले उत्तर प्रदेश के पास आज भी हैं। इतनी सीटें किसी भी प्रांत के […]

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राजनीति

कश्मीरियत का सबसे बड़ा दुश्मन हुर्रियत

वीएसकेनई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में इन दिनों एक अलग तरह का विरोध दिखाई दे रहा है। यह विरोध है अपनी भाषा की उपेक्षा का विरोध। बिल्कुल अंग्रेजियत अंदाज में जम्मू कश्मीर सरकार इन दिनों राशनकार्ड का फार्म भरवा रही है। फार्म स्थानीय कश्मीर की भाषाओं में न होकर अंग्रेजी में हैं। जिसे लेकर जम्मू कश्मीर […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-03/02/2014

आदर-सम्मान की भूख स्वाभाविक है मगर इसके लायक तो बनें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com आजकल सभी तरफ सम्मान के भूखों और आदर के प्यासों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। जो इसके लायक हैं वे भी इस दौड़ में आगे ही आगे भागते जा रहे हैं और जो लायक नहीं हैं वे भी […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

तराइन का दूसरा युद्घ और चौहान, जयचंद व गौरी का अंत

राकेश कुमार आर्यतराइन का युद्घक्षेत्र पुन: दो सेनाओं की भयंकर भिड़ंत का साक्षी बन रहा था। भारत के भविष्य और भाग्य के लिए यह युद्घ बहुत ही महत्वपूर्ण होने जा रहा था। भारत अपने महान पराक्रमी सम्राट के नेतृत्व में धर्मयुद्घ कर रहा था, जबकि विदेशी आततायी सेना अपने सुल्तान के नेतृत्व में भारत की […]

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महत्वपूर्ण लेख

मातृ देवो भव: पितृ देवो भव: से ‘ओल्ड एज होम’ तक

डा. इन्द्रा देवी शब्दकोश का सबसे मार्मिक शब्द मॉं है। मातृ, मदर, आई बेबे, माती, नैने, अम्मी आदि  इसके पर्यायवाची हैं।  पृथ्वी को माता और आकाश को पिता कहा जाता है। पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जन इनके पुत्र हैं राष्ट्र भक्ति का परिचय भी भारत माता के रूप मेें ही देते है। स्वामी दयानन्द […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-02/02/2014

मनोरंजन तक ही सीमित न रहें हमारे उत्सव, मेले और पर्व – डॉ. दीपक आचार्य 94133306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   देश या दुनिया का कोई सा मेला, पर्व हो या उत्सव, इसकी पूर्ण उपलब्धि तभी है जब कुछ विशिष्ट व्यक्तित्वों या समूहों की बजाय इसकी दृष्टि परिधि में समूचा क्षेत्र हो, क्षेत्रवासी हों तथा स्थानीय लोगों की आत्मीय भागीदारी का व्यापक प्रतिबिम्ब […]

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भारतीय संस्कृति

वेद प्रचारकों/उपदेशकों का सफल उपासक होना आवश्यक

मनमोहन कुमार आर्यमहर्षि दयानन्द ने आर्य समाज की स्थापना वेदों के प्रचार व प्रसार के लिए की थी और यही आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य भी है। वेदों के प्रचार व प्रसार के पीछे महर्षि दयानन्द का मुख्य उद्देश्य यही था कि वेद ईशवर से उत्पन्न व प्रेरित सब सत्य विद्याओं की ज्ञान की पुस्तक […]

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महत्वपूर्ण लेख

शाश्वत है मां

एक और मातृनवमी बीत गयी। फिर मैंने अपनी मां का श्राद्घ नही किया। क्योंकि मैं नही मानता कि वे मेरे साथ नही हैं। मृत्यु सिर्फ देहावसान है। आत्मा तो अमर है। बीस बरस हुए अम्मा को गुजरे। पर हर वक्त हर दिन वो मेरे साथ रही हैं। खुशी गम, अच्छे बुरे, सबमें। मेरा मानना है, […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-01/02/2014

जब नहीं हो जरूरत शरीर को विराम दें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com संसार के प्रत्येक जड़ और जीव को विश्राम की जरूरत पड़ती है और पर्याप्त विश्राम पा लेने के उपरान्त पुनः ऊर्जीकरण की प्रक्रिया संपादित होने लगती है। ऎसा न हो तो इनकी आयु और क्षमता दोनों पर कुप्रभाव होने लगता है […]

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