साफ कह चुका है केदार बंद करो यह बलात्कार वरना …. डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.comदैव भूमि उत्तराखण्ड में अचानक जो कुछ हो गया, वह रौंगटे खड़े कर देने वाला है। इसके बाद जो कुछ हो रहा है वह भी कोई कम दुःखी करने वाला नहीं है। अकस्मात शिव का तीसरा नेत्र खुल उठा और ताण्डव […]
महीना: जून 2013
मुझे बड़ा अटपटा लगता है जब कोई व्यक्ति-ये कहता है कि भारत वर्ष 1300 वर्ष पराधीन रहा। कोई इस काल को एक हजार वर्ष कहता है, तो कोई नौ सौ या आठ सौ वर्ष कहता है। जब इसी बात को कोई नेता, कोई बुद्घिजीवी, प्रवचनकार या उपदेशक कहता है तो मेरी यह अटपटाहट छंटपटाहट में […]
लोकतंत्र में प्रमुख रूप से द्वीदलीय व्यवस्था होती है। इसमें एक सत्तापक्ष होता है तो दूसरा विशेष पक्ष, अर्थात वह पक्ष जो सत्तापक्ष की नीतियों की विशेष पड़ताल करे और राष्ट्रहित में यथावश्यक संशोधन प्रस्तुत कर नीति या किसी विधेयक को राष्ट्रोचित बनाने में विशेष सहयोग करे। स्वस्थ लोकतंत्र की बुनियाद ही ये सोच है […]
हे कबीर ! लौट आओ जरूरत है मूर्दों में जान फूँकने की डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हे कबीर ! तुम्हारे जाने के बाद आज फिर तुम्हारी याद में बेसब्र हैं हम। आज वही युग फिर लौट आया है जो तुम्हारे समय था। उन दिनों विषमताओं का रंग-रूप कुछ और किस्म का था, आज आधुनिकताओं की […]
दरिद्री और दुःखी रहते हैंमितव्ययताहीन मूकदर्शक – डॉ. दीपक आचार्य9413306077dr.deepakaacharya@gmail.com जो लोग अपने जीवन में मितव्ययता नहीं बरतते हैं वे जीवन भर दुःखी और दरिद्री रहते हैं और इन लोगों का कोई ईलाज नहीं है। ऎसे लोगों में दो प्रकार की किस्मे होती हैं।एक वे हैं जो खुद का पैसा बचाने के लिए ही मितव्ययी हैं, दूसरों का […]
मुजफ्फर हुसैनगतांक से आगे…28 वर्ष की आयु में बगदाद की विख्यात इसलामी अकादमी अलगजाली के नेतृत्व में स्थापित की गयी। उनकी प्रसिद्घ पुस्तक ‘अहयाउल दीन’ (रिवाइवल ऑफ रिलीजियस साइंस) अत्यंत सम्मानित और विश्वसनीय पुस्तक मानी जाती है। उक्त पुस्तक के दूसरे भाग के पृष्ठ 23 पर 17 से 19 पंक्ति के बीच अपने ऐतिहासिक कथन […]
पिछले दिनों में चीन, सिंगापुर और मलयेशिया की यात्रा करके लौटा हूं। मुझे कुछ चीजों ने इन देशों में इतना प्रभावित किया है कि उन्हें आपके लिए लिखा जाना अनिवार्य मान बैठा हूं। जैसे चीन में हर व्यक्ति अपनी राष्ट्र भाषा चीनी से असीम स्नेह करता है। वह हर विदेशी से अपेक्षा करता है कि […]
द्वेष करै साधु नही, ज्ञानी नही कहायबुद्घि में जो कुशाग्र हो,नीति में गंभीर।मनोभाव प्रकटै नही,राज्य के रक्षक धीर।। 106।। दण्ड-क्षमा का भान हो,कोष का होवै ज्ञान।प्रजा को समझै पुत्रवत,राजा वही महान।। 107।। भृत्यों के जो संग मेंकरै ऐश्वर्य उपभोग।ऐसे राजा के राज में,खुशहाली के योग।। 108।। राजा का भेदी मंत्री,पति की भेदी नार।भ्राता पुत्र के […]
अविश्वसनीय होते हैं बात-बात में कसम खाने वाले डॉ. दीपक आचार्य 94330607 dr.deepakaacharya@gmail.comआदमियों की कई सारी किस्मों में से एक किस्म उन लोगों की है जो बात-बात में कसम खाया करते हैं और उन लोगों को अपनी किसी भी बात को पुष्ट करने या आधार प्रदान करने के लिए किसी न किसी की सौगंध खाने […]
भारत की विदेशनीति जैसी 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू जी के द्वारा तय की गयी थी कुछ कुछ वैसी ही चली आ रही है। यद्यपि इस विदेश नीति पर नेहरू जी का कोई अपना विशेष प्रभाव नही था वस्तुत: यह ब्रिटिशर्स के काल में जैसी थी न्यूनाधिक बाद में भी वैसी ही चलती […]