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भारतीय संस्कृति

।प्रजापति(ब्रह्मा) का अपनी पुत्री से संभोग और वेद।।

– कार्तिक अय्यर विधर्मी लोग हिंदुओं पर आक्षेप करते है कि तुम्हारे वेद और पुराण में ब्रह्मा यानी प्रजापति द्वारा स्वयं की बेटी यानी सरस्वती के साथ संभोग करने की कथा विद्यमान है।हाल ही में एक ‘समीर मोहम्मद’ नामक मुल्लाजी ने यह आक्षेप किया है। आक्षेपकर्ता का कहना है के ऋग्वेद में इस मंत्र मैं […]

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आज का चिंतन

सिद्धि के लिए सच्चे साधन

लेखक-स्वामी श्रद्धानन्द जी यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य, वर्तते कामचारतः। न स सिद्धिमवाप्नोति, न सुखं न परां गतिम्।। गीता 16/3 शब्दार्थ- (यः) जो मनुष्य, (शास्त्रविधिम्) शास्त्र की विधि एवं आदेश को (उत्सृज्य) छोड़कर (कामचारतः वर्तते) अपनी इच्छानुकूल आचरण करता है, (सः सिद्धिं न अवाप्नोति) वह न तो सिद्धि या सफलता को प्राप्त कर सकता है (न सुखम्) न […]

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आज का चिंतन

मनुस्मृति में क्या दी गई है धर्म की परिभाषा ?

#डॉ_विवेक_आर्य १. धर्म संस्कृत भाषा का शब्द है जोकि धारण करने वाली धृ धातु से बना है। “धार्यते इति धर्म:” अर्थात जो धारण किया जाये वह धर्म है। अथवा लोक परलोक के सुखों की सिद्धि के हेतु सार्वजानिक पवित्र गुणों और कर्मों का धारण व सेवन करना धर्म है। दूसरे शब्दों में यहभी कह सकते […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

महर्षि दयानन्द क्या थे?

(स्वामी दयानन्द के बलिदान दिवस के अवसर पर प्रकाशित) लेखक वीरसेन वेदश्रमी प्रस्तोता- #डॉ_विवेक_आर्य वह मूलशंकर था, चैतन्य था, महाचैतन्य था, दयानन्द था। सरस्वती था, वेदरूपी सरस्वती को वह इस धरातल पर प्रवाहित कर गया। वह स्वामी था, वह सन्यासी था, परिव्राट था। दंडी था, योगी था, योगिराज था, महा तपस्वी था। योग सिद्धियों से […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

क्या श्री राम जी माँसाहारी थे?

– डॉ विवेक आर्य मेरे कई मित्रों ने यह शंका मेरे समक्ष रखी हैं की उनके सामने दिन प्रतिदिन वाल्मीकि रामायण में से कई श्लोक आते हैं जिनसे यह सिद्ध होता हैं की श्री राम जी माँसाहारी थे? इस शंका का समाधान होना अत्यंत आवश्यक हैं क्यूंकि श्री राम के साथ भारतीय जनमानस की आस्था […]

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आओ कुछ जाने

सृष्टि या ब्रह्माण्ड की रचना

भाग 1 💎( 1 ) प्रश्न : – ब्रह्माण्ड की रचना किससे हुई ? ☀उत्तर : – ब्रह्माण्ड की रचना प्रकृति से हुई । 💎( 2 ) प्रश्न : – ब्रह्माण्ड की रचना किस ने की ? ☀उत्तर : — ब्रह्माण्ड की रचना निराकार ईश्वर ने की जो कि सर्वव्यापक है । कण – कण […]

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इतिहास के पन्नों से

भगत सिंह के नाम पर सुनियोजित षड्यंत्र (भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर)

#डॉ_विवेक_आर्य ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ? शहीद भगत सिंह की यह छोटी सी पुस्तक वामपंथी, साम्यवादी लाबी द्वारा आजकल नौजवानों में खासी प्रचारित की जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें भगत सिंह के जैसा महान बनाना नहीं अपितु उनमें नास्तिकता को बढ़ावा देना है। कुछ लोग इसे कन्धा भगत सिंह का और निशाना कोई और भी […]

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इतिहास के पन्नों से

राजा जयसिंह के नाम छत्रपति शिवाजी महाराज जी का पत्र

(एक मुस्लिम मित्र ने अपनी अलपज्ञता का परिचय देते हुए कहा की वीर शिवाजी का उद्देश्य केवल राज्य विस्तार था। उनका धर्म से कुछ भी लेना देना नहीं था। मुझे अपने मित्र की अज्ञानता को दूर करना लाभदायक लगा। इसलिए मैं राजा जयसिंह के नाम शिवाजी का पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस पत्र में […]

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आज का चिंतन

आर्य समाज की श्री कृष्ण जी के बारे में मान्यता

श्री कृष्ण और आर्यसमाज #डॉ_विवेक_आर्य लाला लाजपत राय ने अपने श्रीकृष्णचरित में श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में एक बड़ी विचारणीय बात लिखी है- “संसार में महापुरुषों पर उनके विरोधियों ने अत्याचार किये,परन्तु श्रीकृष्ण एक ऐसे महापुरुष हैं जिन पर उनके भक्तों ने ही बड़े लांछन लगाये हैं।श्रीकृष्णजी भक्तों के अत्याचार के शिकार हुए हैं व हो […]

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इतिहास के पन्नों से

9 अगस्त : काकोरी कांड की वर्षगांठ के अवसर पर

9 अगस्त, 1925 को हुआ था ‘काकोरी कांड’। आज ही के दिन क्रांतिकारियों ने सहारनपुर से लखनऊ जा रही एक ट्रेन को काकोरी में रोककर सरकारी खजाना लूट लिया था। इस लूट को अंजाम देने की योजना बनाई थी राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खां ने। क्रांतिकारियों का इरादा था कि लूटे गए खजाने से […]

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