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आज का चिंतन

मैं ही सबसे अधिक बुद्धिमान हूं – होने का भ्रम

प्रायः सभी लोग ऐसा मानते हैं, कि *”मैं ही सबसे अधिक बुद्धिमान हूं। इसलिए दूसरे लोगों को मेरी बुद्धि के अनुसार व्यवहार करना चाहिए।”* परंतु ऐसा होता नहीं। क्यों? यह तब हो सकता था, जब दूसरे लोग आपको अपने से अधिक बुद्धिमान मान लेते। परन्तु वे लोग आपको अपने से अधिक बुद्धिमान मानते नहीं। क्यों […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत की संस्कृति के उन्नायक गुरु गोविंद सिंह और जफरनामा

गुरु गोविन्द सिंह और जफरनामा का सच (गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती पर विशेष रूप से प्रचारित) गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे. वह ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे. और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे. जब औरंगजेब […]

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भारतीय संस्कृति

प्रणाम की प्रक्रिया और उसका महत्व

मनुष्य अनादि काल से अपना पूरा जीवन आत्मा और परमात्मा के गूढ़ रहस्य को जानने की जिज्ञासा में रेगिस्तान में जल के लिये भटकते एक मृगतृष्णा की भांति समाप्त कर देता है और वह तामसिक प्रवृत्तियों के गहन अंधकार में निमग्न रहकर प्रणाम, प्रार्थना और विसर्जन के मूल तत्व तक से अनभिज्ञ बना रहता है। […]

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आओ कुछ जाने

भारत का समुद्री पर्यटन और उसकी समस्याएं

शिवेश प्रताप मालदीव एवं लक्षद्वीप का मुद्दा बीते दिनों विश्व चर्चा के केंद्र में आ गया। भारत में भारत के तमाम ख्यातिलब्ध लोग देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के समर्थन में उतर आए हैं जो उचित है। इसी के साथ लोगों में यह विमर्श भी चल पड़ा है की आखिर क्यों भारत को छोड़कर […]

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मुद्दा

राम का विरोध करती कांग्रेस और उसका राजनीतिक भविष्य

प्रवीण दुबे श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जहां संपूर्ण विश्व का हिंदू समाज उत्साहित है वहीं दूसरी ओर इस आयोजन को लेकर राजनीति भी पूरी तरह उफान पर है। फिलहाल जानकारी मिली है कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे सहित सोनिया गांधी और […]

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महत्वपूर्ण लेख

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर विपक्ष की अपरिपक्व राजनीति

ललित गर्ग- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी एवं इंडिया गठबंधन के अन्य दलों ने शामिल नहीं होने का निर्णय लेकर जहां अपनी राजनीतिक अपरिपक्वता का परिचय दिया है, वहीं भारत के असंख्य लोगों की आस्था एवं विश्वास को भी किनारे करते हुए आराध्य देव […]

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देश विदेश

मालदीव पर लेफ्ट, लिबरल और कांग्रेस के एक जैसे सुर

डा समन्वय नंद देश का लेफ्ट लिबरल गुट के लोग व उनका सिस्टम हमेशा से भारत के राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर भारत के खिलाफ वातावरण तैयार करने में आगे रहता है, यह किसी से छुपी हुई नहीं है । अभी हाल ही में मालदीव प्रकरण में भी लेफ्ट लिबरल लोग ने इस बात को […]

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इतिहास के पन्नों से

विष्णुध्वज’ है अब कुतुब मीनार

श्रीनगर (गढ़वाल), २८ सितम्बर (वार्ता)। कुतुब मीनार का असली नाम ‘विष्णुध्वज’ है। इसका निर्माण सम्राट समुद्र गुप्त ने कराया था न कि कुतुबुद्दीन ए’गक ने, जैसा कि आमतौर पर माना जाता है बिहार विश्वविढ्यालय के प्रां. डी. त्रिषंदी का दाषा है कि यह मीनार समुद्र गुप्त द्ववारा निर्मित बंधशाला की केन्द्रीय मीनार थी । कुतुब […]

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आज का चिंतन

कर्मों का फल प्रदाता परमपिता परमेश्वर ही है

आचार्य हरिशंकर अग्निहोत्री (वेद प्रवक्ता) परमेश्वर ही कर्मों का फल देता है। चूंकि परमेश्वर न्यायकारी है इसीलिए सभी जीवों को सभी कर्मों का फल यथायोग्य अवश्य देता है। कर्म का फल कम या अधिक मिले, ऐसा नहीं होता है। कर्मों का फल न मिले, ऐसा नहीं होता है। किसी भी अनुष्ठान से किये कर्मों के […]

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इतिहास के पन्नों से

बुंदेलखंड के कण कण में समाए हैं राजा हरदौल सिंह

लोक कथाओं में नियति प्रधान, व्यक्ति प्रधान, समाज प्रधान एवं जाति प्रदान विशेषणों का आधिक्य देखने को मिलता है। कुछ रचनाएं व्यक्तिविशेष के माध्यम से उत्पन्न होती है तो कुछेक रचनाओं को जनसमुदाय द्वारा यथावत प्रस्तुत करने का चलन रहा है।व्यक्तिप्रधान रचनाओं का जन्म किसी कवि,लेखक की कृतियों-रचनाओं को आधार माना गया है।लोककथायें किसी समाज-जाति […]

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