Categories
मुद्दा

राम का विरोध करती कांग्रेस और उसका राजनीतिक भविष्य

प्रवीण दुबे

श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर जहां संपूर्ण विश्व का हिंदू समाज उत्साहित है वहीं दूसरी ओर इस आयोजन को लेकर राजनीति भी पूरी तरह उफान पर है।

फिलहाल जानकारी मिली है कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे सहित सोनिया गांधी और नेता प्रतिपक्ष अभिरंजन चौधरी ने भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने का आमंत्रण अस्वीकार कर दिया है।

रामायण में कुछ प्रसंग ऐसे आते हैं जिनमें इस प्रकार घटनाक्रमों को महसूस किया जा सकता है।

पहला प्रसंग वह है जब प्रभु राम ने उनका तिरस्कार,अपमान या षडयंत्र करने वालों के प्रति खुद ही इस स्पष्ट करते हुए कहा है कि उन तक केवल वे ही व्यक्ति पहुंच सकते हैं जिनका ह्रदय निर्मल और साफ हो मुझे कपट और छल छिद्र करने वाले लोग मुझ तक नहीं पहुंच सकते।

यह प्रसंग उस समय का है जब रावण का भाई विभीषण राम से मिलने आता है और उसके आने से पूर्व सुग्रीव यह संशय प्रगट करते हैं कि हमारे दुश्मन रावण का भाई कहीं कोई षडयंत्र करने तो हमारे पास नहीं आ रहा। तब भगवान राम कहते हैं

निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥

अर्थात जो मनुष्य निर्मल मन का होता है वही मुझे पाता है मुझे कपट छल छिद्र नहीं भाते।

ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी और उनके कांग्रेसी सहयोगियों को प्रभु श्री राम ही अपने प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूर रखना चाहते हैं क्यों कि उनसे बड़ा कपटी और छल छिद्र करने वाला दूसरा कोई नहीं है।

रामायण में ही कहा गया है

“जाको प्रभु दारुण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेही”

अर्थात जब प्रारब्ध में बुरे कर्मों के फल मिलने का समय आता है तो सबसे पहिले परमात्मा यानी विधि उसकी बुद्धि को हर लेती है।

ऐसा लगता है कि सनातन और राम मंदिर के विरोधियों के बुरे कर्मों का फल मिलने का समय आ गया है तभी प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह जैसे सदकार्य तक को अस्वीकार कराकर भगवान ने उनकी बुद्धि हर ली है।

रामायण से जुड़ा एक और प्रसंग है जिससे यह साबित होता है कि भगवान राम द्वारा समुद्र तट पर शिवलिंग की स्थापना कराने हेतु जब अपने सबसे प्रबल किंतु विद्वान पंडित रावण को आमंत्रण भेजा तो राक्षस होने के बावजूद रावण ने उस आमंत्रण को न केवल स्वीकार किया था बल्कि रामेश्वरम में शिवलिंग प्राण प्रतिष्ठा भी कराई थी।

साफ है कि उनके प्रबल शत्रु होने के बावजूद रावण तक ने प्रभु राम से जुड़े भगवद कार्य को अस्वीकार नहीं किया था लेकिन कांग्रेस ने प्रभु राम के ही प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आमंत्रण को अस्वीकार करके खुद के रावण से भी निकृष्ट साबित कर दिया है।

राजनीतिक,धार्मिक कारणों से जो लोग अयोध्या में मंदिर निर्माण को राजनिति करते हैं वो विघ्न संतोषी भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के विरोध किए जाने के विषय पर भी बेहद सक्रिय नजर आ रहे हैं।

ये वही लोग हैं जिन्होंने पहले यह नारा उछाला था मंदिर वहीं बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे ,ये वही लोग हैं जो भगवान राम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाते थे और राम निर्मित रामसेतु को तोड़ने हथौड़ा लेकर दौड़ रहे थे,ये वही लोग हैं जिन्होंने 90 की कारसेवा में शामिल निहत्थे रामभक्तों के सीने गोलियों से छलनी कर दिए थे,ये वही लोग हैं जो अयोध्या में रामजन्म भूमि स्थान पर शौचालय निर्माण की मांग करते थे,

ये वही लोग हैं जो सनातन धर्म को समाप्त करने का सार्वजनिक आव्हान करते दिखाई देते हैं और भगवा वस्त्र में राम राम का जाप करते साधु संतों को आतंकवादी कहकर अपमान करते हैं,ये वही लोग हैं जिन्हें जय श्री राम के नारे से नफरत है और ऐसा करने वालों को जेल में डालने का आदेश देते हैं,ये वही लोग हैं जिन्होंने अयोध्या से कारसेवा कर साबरमती एक्सप्रेस से घर लौट रहे 56 से अधिक रामभक्तों को जिंदा जलाकर मार डाला था,ये वही लोग हैं जिन्होंने ठीक दिवाली के रोज पूज्य शंकराचार्य को अपमानित करके जेल में डाल दिया था,ये वही लोग हैं जिन्होंने दिल्ली में गौ हत्या के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले संत महात्मों पर गोली चलवाई थी।

राम विरोधियों खासकर कांग्रेसियों के इन अधार्मिक कृत्यों की सूची और अब भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाने से इंकार करने की बात करने वालों को इंगित करती रामायण की चौपाई में कहा गया है।

राम विमुख अस हाल तुम्हारा। रहा ना कोउ, कुल रोविनि हारा।

Share this:

Comment:Cancel reply

Exit mobile version