Categories
मुद्दा

भागम भाग के दौर में बेदम होती जिंदगी

प्रस्तुति : श्रीनिवास आर्य किसी ने सोचा था कि कभी ऐसा ही समय आयेगा कि किसी के पास समय ही नहीं रहेगा। दिन अभी भी चौबीस घंटों का है। और घंटों में मिनट भी पहले जितने ही हैं पर पता नहीं समय कहां चला गया है। किसी के पास किसी के लिये टाइम नहीं है। […]

Categories
आतंकवाद

*फिल्मी हस्ती जावेद अख्तर* *तालिबान से भी ज्यादा घातक* *जहर है*

जावेद अख्तर ने 1970 से 1982 तक लेखक सलीम के साथ मिलकर 24 बॉलीवुड फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी। इनमें से ज्यादातर फिल्में अंडरवर्ल्ड पर अपराध आधारित कहानियां थीं। इस अवधि के दौरान, बॉम्बे में पांच खूंखार अपराधी थे – हाजी मस्तान, यूसुफ पटेल, करीम लाला वरदराजन मुदलियार और दाऊद इब्राहिम। इनमें से चार मुसलमान थे। […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

दक्षिण अफ्रीका में हिंदी के संस्थापक और महात्मा गांधी के निकट सहयोगी

जन्म-जयंती पर सश्रद्ध-स्मरण . स्वामी भवानीदयाल संन्यासी (जन्म 10 सितम्बर 1892 ई. – जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ़्रीका; मृत्यु- 9 मई, 1950 अजमेर, भारत) . दक्षिण अफ्रीका में हिंदी के संस्थापक और महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे। फिजी के भारतीयों की स्वतंत्रता के लिए उन्होने संघर्ष किया। उनके नाम पर फिजी की आर्य प्रतिनिधि सभा ने […]

Categories
राजनीति समाज

*क्या सपा नेताओं की तालिबानी मानसिकता पर अंकुश लगेगा*

🙏बुरा मानो या भला 🙏 —मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” कहावत है कि ख़रबूज़े को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। अब देखिए पहले झारखंड विधानसभा में नमाज के लिए एक अलग से कमरा आवंटित किया गया और उसके बाद कुछ इसी तरह की मांग उत्तर प्रदेश में भी उठ रही है. समाजवादी पार्टी के कानपुर से विधायक […]

Categories
स्वास्थ्य

भारत में होती जा रही चिकित्सा तंत्र की दयनीय हालत

रमेश ठाकुर रहस्यमयी बाल बीमारी ने हमारी नाकामी की एक ऐसी तस्वीर उजागर की है, जिसकी भरपाई हम सालों पहले कर सकते थे। भारत में शिशु अस्पतालों और बाल-चिकित्सकों की भारी कमी है, जिसका खमियाजा नौनिहाल अपने असमय मौत से चुका रहे हैं। कुदरत मानव पर पीड़ाओं का दौर किस्तों में दे रहा है। कोरोना […]

Categories
पर्यावरण

स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल रहेऔद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण आवश्यक

आलोक शुक्ला पर्यावरण प्रदूषण से बचने के लिए देश में ठोस मुहिम चलाने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों को औद्योगिक इकाइयों को उनके उत्पादन के अनुसार पेड़-पौधे लगाने और इनकी समुचित देखभाल के लिए निर्देश देना चाहिए। फैक्ट्री, उद्योग लगने के बाद वहां वनाच्छादित क्षेत्र बढ़ाने का टारगेट देने के साथ ही खेती […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

चुनावी घोषणा पत्र में जन कल्याण की झलक होनी ही चाहिए

भरत झुनझुनवाला बीते समय में इंग्लैंड के चुनाव में वहां की लेबर पार्टी ने जनता को मुफ्त ब्राडबैंड, मुफ्त बस यात्रा और मुफ्त कार पार्किंग जैसी सुविधाओं का प्रलोभन दिया था। हम भी क्यों पीछे रहते। उत्तर प्रदेश में कुछ वर्ष पूर्व छात्रों को मुफ्त लैपटॉप दिए गये, तमिलनाडु में चुनाव पूर्व किचन ग्राइंडर और […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

18वीं शताब्दी के भारत की आर्थिक समृद्धि का स्वरूप लेखिका: प्रो. कुसुमलता केडिया

गत 150 वर्षों में भारत क्यों इतना कम विकसित हो सका अथवा पहले से अधिक विपन्न क्यों हो गया, इंग्लैंड की तरह आगे क्यों नहीं बढ़ा, इसके उत्तर की जिन्हें तलाश है, उन्हें ब्रिटिश-पूर्व अखण्ड भारत की परिस्थिति की वास्तविकता को ठीक तरह से जानना होगा। के.एन. चौधुरी, रादरमुंड, धर्मपाल, तपन राय चौधुरी, एम.एन. पियर्सन, […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

न मुगल राष्ट्रनिर्माता थे न अंग्रेज! इसके विपरीत यह केवल विदेशी आक्रमणकारी थे

बलबीर पुंज भारत में इस्लामी त्रासदी के साक्ष्य भारी मात्रा में उपलब्ध है। जब 16वीं शताब्दी में विदेशी इस्लामी आक्रांता बाबर भारत आया, जहां उसके निर्देश पर उसकी मजहबी सेना भारत की सनातन बहुलतावादी संस्कृति को जख्मी कर रही थी… मैसूर के क्रूर इस्लामी शासक टीपू सुल्तान की वह तलवार भी है, जिसमें लिखा था- […]

Categories
महत्वपूर्ण लेख

महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए अभी बहुत कुछ जरूरत है काम करने की

अनूप भटनागर देश के प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण ने भारत की आजादी के 75 साल बाद भी न्यायपालिका में महिलाओं का अपेक्षित प्रतिनिधित्व नहीं होने पर चिंता व्यक्त की है। प्रधान न्यायाधीश का विचार है कि 75 साल में न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 50 फीसदी हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। […]

Exit mobile version