तवलीन सिंह ”मैं यह कहते हुए शर्मिंदा हूं कि पिछले सप्ताह वीर सावरकर पर लिखी गई दो किताबों को पढ़ने से पहले तक मुझे उनके बारे में कुछ मालूम नहीं था। स्कूल और कॉलेज में मैंने बड़े शौक से इतिहास की पढ़ाई की थी। लेकिन जिन किताबों से मुझे इतिहास पढ़ाया गया था, उनमें आजादी […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
चन्द्रकांत जोशी जम्मू कश्मीर में धारी 370 और 35 ए की आड़ मे किस तरह से संवैधानिक फ्राड कर जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों के नागरिक अधिकारों का हनन कर वहाँ के नेता अपने घर भरते रहे और लोगों को गुमराह करते रहे इसको जानना हो तो दिल्ली के जाने माने वकील दिलीप दुबे […]
गुर्रमकोंड नीरजा हिंदी दिवस के अवसर पर मैं सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं, इसके पीछे निहित कारण हम सब जानते ही हैं। मैं तो बस यही कहना चाहूँगी कि इसे केवल एक औपचारिकता न समझा जाए। वैसे भी, हम दूसरे तमाम त्यौहार क्यों मनाते हैं? हर त्यौहार के साथ कोई न […]
मोहन कोठियाल विश्व पर्यटन मानचित्र में पुडुचेर्री भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में एक है| यहाँ का फ़्रांसिसी स्थापत्य लोगों को भारत में फ्रांस का अनुभव देता है |श्री अरविन्द के ऑरोविले ने इससे एक आध्यात्मिक स्थल के रूप मैं पहचान दी हैं | दक्षिण भारत में बंगाल की खाड़ी से लगा तटीय शहर पुडुचेर्री […]
संजीव नायर अगर किसी से हिंदुत्व के बारे में पूछेंगे तो अधिकांश लोग बता नहीं पाएंगे और कुछ इससे राम मंदिर का निर्माण से जोड़ेंगे| इस आलेख के दो भाग हैं, पहला सावरकर के अनुसार हिंदुत्व का अर्थ जो उन्होंने ने १९२३ में दिया था और दूसरा आज के सन्दर्भ में आठ बिंदुओं में इसका […]
गुरु तेग बहादुर के साथ ही बलिदान देने वाले भाई मतिदास, जिन्हें मुस्लिम ना बनने पर औरंगजेब के आदेश से आरे से बीच से चीर दिया गया था और जिनके बलिदान से भाव विह्वल हो गुरु ने उन्हें भाई की उपाधि से विभूषित किया था, के वंश में जन्मे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी भाई परमानन्द […]
मुकेश मोलवा मालवा की धीर, वीर और रत्नगर्भा धरती की तासिर है जिसने शूरवीर योद्धाओं को जन्म दिया ऐसे ही शूरनायक बख्तावर सिंह भी हुए जिनका जन्म मालवा में हुआ। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका अदा करने के कारण यह योद्धा पहचाना गया। विक्रम के शौर्य की जननी मालवा की माटी जहां भोज की […]
डॉ. अजय खेमरिया 26 नबम्बर1949 को हम भारतीयों का संविधान बनकर तैयार हुआ था।आज 71 बर्ष बाद हमारा संविधान क्या अपनी उस मौलिक प्रतिबद्धता की ओर उन्मुख हो रहा है जिसे इसके रचनाकारों ने अपनी भारतीयता के प्रधानतत्व को आगे रखकर बनाया था।आज इस सवाल को सेक्यूलरिज्म के आलोक में विश्लेषित किये जाने की आवश्यकता […]
विकास बहुगुणा मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया में लोग न केवल बेहतर इंसान बनने के लिए रामायण पढ़ते हैं बल्कि इसके पात्र वहां की स्कूली शिक्षा का भी अभिन्न हिस्सा हैं कुछ साल पहले की बात है। इंडोनेशिया के शिक्षा और संस्कृति मंत्री अनीस बास्वेदन भारत आए थे. इस यात्रा के दौरान उनके एक बयान ने खास […]
डॉ. अजय खेमरिया देश ने अपनी आजादी के स्वर्णिम आंदोलन के बाद जिस महान नेता को लोकनायक के रूप में स्वीकार किया उस जयप्रकाश नारायण यानी जेपी के बिना आजाद भारत का कोई भी राजनीतिक विमर्श आज पूर्ण नही होता है।समकालीन राजनीति में नेतृत्व करने वाली पूरी पीढ़ी वस्तुतः जेपी की छतरी से निकलकर ही […]