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पुस्तक समीक्षा

आचार्य रामदेव गुरुकुल काँगड़ी के दूसरे कुलपति

31 जुलाई जयन्ती पर पुण्य स्मरण स्वामी श्रद्धानंद के बाद इनहोने गुरुकुल को आगे बढ़ाया। (जन्म: ३१ जुलाई १८८१ – मृत्यु: ९ दिसम्बर १९३९) आर्यसमाज के नेता, शिक्षाशास्त्री, इतिहासकार, स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी एवं महान वक्ता थे। उन्होने भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में मौलिक अनुसन्धान कर हिन्दी में अपना प्रसिद्ध ग्रन्थ भारतवर्ष का इतिहास प्रकाशित किया। आचार्य […]

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इतिहास के पन्नों से

हमारे देश का नाम भारत कैसे पड़ा ?

अजित वडनेरकर देश का नाम बदलने पर बहस छिड़ी है, संविधान में दर्ज ‘इंडिया दैट इज़ भारत’ को बदलकर केवल भारत करने की माँग उठ रही है. इस बारे में एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल हुई जिसपर बुधवार को अदालत ने सुनवाई की। याचिकाकर्ता की माँग थी कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से […]

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स्वास्थ्य

प्राचीन भारत के वैद्य और चिकित्सा शास्त्र

प्राचीन भारत के चिकित्सक अनु सैनी भारतीय चिकित्सा इतिहासलेखन के एक सर्वेक्षण से पता चलेगा कि प्राचीन भारत की चिकित्सा पद्धतियों और चिकित्सा साहित्य पर काम में कोई कमी नहीं है। हालांकि, जो लोग उपचार के लिए जिम्मेदार थे, उन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। यह लेख प्राचीन भारत में एक पेशेवर के रूप में चिकित्सक […]

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आतंकवाद

इस्लामिक जेहाद से निपटने का मूल मंत्र

जेहाद से निपटने का 👉मन्त्र👈 पंडित लीलाधर चौबे की जबान में जादू था। जिस वक्त वह मंच पर खड़े हो कर अपनी वाणी की सुधावृष्टि करने लगते थे; श्रोताओं की आत्माएँ तृप्त हो जाती थीं, लोगों पर अनुराग का नशा छा जाता था। गरमी के दिन थे। लीलाधर जी किसी शीतल पार्वत्य प्रदेश को जाने […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक धर्म की सार्वभौमिकता

वैदिक धर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि या विश्व का प्रथम धर्म होने के साथ केवल मनुष्यों की नहीं बल्कि प्राणी मात्र के कल्याण कामना चाहता है , वेद और गीता इस बात की पुष्टि करते है , उदहारण के लिए , शं नो अस्तु द्विपदे शं चतुष्पदे ” यजुर्वेद 36:8 दो पैर […]

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आज का चिंतन

आर्य समाज के दीवाने भजनोपदेशक———- [पंडित प्रकाशचन्द्र कविरत्न]

आनंद स्त्रोत बह रहा, पर तू उदास है। अचरज है जल में रहकर भी मछली को प्यास है। फुलों में ज्यों सुवास ईख में मिठास है, भगवन् का त्यों विश्व के कण कण में वास है।। 1।। टुक ज्ञान चक्षु खोल के तू देख तो सही, जिसको तू ढूंढता है, सदा तेरे पास है।। 2।। […]

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इतिहास के पन्नों से भारतीय संस्कृति

महर्षि मनु, मनु स्मृति और भारत में जातिवादी व्यवस्था

क्या महर्षि मनु जातिवाद के पोषक थे? मनुस्मृति जो सृष्टि में नीति और धर्म (कानून) का निर्धारण करने वाला सबसे पहला ग्रंथ माना गया है उस को घोर जाति प्रथा को बढ़ावा देने वाला भी बताया जा रहा है। आज स्थिति यह है कि मनुस्मृति वैदिक संस्कृति की सबसे अधिक विवादित पुस्तक बना दी गई […]

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पर्यावरण

कबूतरों की अनियंत्रित वृद्धि अप्राकृतिक और परेशानियाँ बढ़ानेवाली

  कई हाऊसिंग सोसायटियों के परिसरों में खुले स्थानों पर बड़ी संख्या में कबूतर घूमते हैं और गंदगी फैलाते हैं। बिल्डिंग के कुछ लोग उन्हें खाना खिलाकर प्रोत्साहित करते हैं। देश में सबसे आम पक्षियों में सबसे पहले कबूतर और उसके बाद कौवा आता है। इसका कारण भोजन और शहरीकरण की प्रचुरता और आसान उपलब्धता […]

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विविधा

आलोचना और निंदा का भेद

आलोचना और निंदा का भेद जरा बारीक है और समझ में न आये तो भूल हो सकती है। आलोचना तो बुद्ध ने भी की, महावीर ने भी की। आलोचना तो क्राइस्ट ने भी की, मुहम्मद ने भी की। ऐसा कोई सदगुरु नहीं हुआ पृथ्वी पर जिसने आलोचना न की हो। भेद क्या है? आलोचना और […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

पेरियार ने कैसे किया था भारतीय संस्कृति का सत्यानाश

लेखक- अरुण लवानिया चेन्नई की झुग्गी-झोपड़ी में एक दलित परिवार में जन्मे और वहीं पचीस वर्ष बिताने वाले ऐम वेंकटेशन एक आस्थावान हिंदू हैं। उन्होंने चेन्नई के विवेकानन्द महाविद्यालय से दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। जब वेंकटेशन ने महाविद्यालय में प्रवेश लिया तो उनके कथनानुसार उन्हें प्रतिदिन पेरियारवादियों के एक ही कथन […]

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